बजट से क्या हैं टेक्सटाइल सेक्टर की उम्मीदें? निर्यात नीति को लेकर है क्या डिमांड?

हिंदुस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स का कहना है कि भारत कपड़ा निर्यात में चीन, वियतनाम और श्रीलंका से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है, क्योंकि यहां श्रम, बिजली और ब्याज दरें बहुत महंगी हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 22, 2024, 10:07 PM IST
  • टेक्सटाइल सेक्टर को हैं उम्मीदें.
  • निर्यात नीति में क्या बदलाव की मांग?
बजट से क्या हैं टेक्सटाइल सेक्टर की उम्मीदें? निर्यात नीति को लेकर है क्या डिमांड?

मुंबई. देश में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद कल संसद में आम बजट (बजट 2024) पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट है. इस कार्यकाल के पहले बजट से टेक्सटाइल सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं. हिंदुस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सुशील गादियान ने बजट से उम्मीदें जताई हैं.

बढ़ सकता है व्यापार
गादियान ने कहा है कि वर्तमान में कपड़ा उद्योग भारत का दूसरा सबसे बड़ा श्रम प्रधान उद्योग है. कृषि क्षेत्र के बाद भारत में कपड़ा उद्योग सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है. इसलिए सरकार से उम्मीद है कि कपड़ा उद्योग को ज्यादा से ज्यादा राहत दी जाएगी. अगर सरकार कपड़ा उद्योग पर ध्यान दे तो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार काफी हद तक बढ़ सकता है.

निर्यात में इन देशों से नहीं कर पा रहे प्रतिस्पर्धा
गादियान का कहना है कि भारत कपड़ा निर्यात में चीन, वियतनाम और श्रीलंका से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है, क्योंकि यहां श्रम, बिजली और ब्याज दरें बहुत महंगी हैं. सरकार की नीति के कारण हम अपनी इच्छा के अनुसार निर्यात नहीं कर पा रहे हैं.  जब तक सरकार इन सभी समस्याओं पर ध्यान नहीं देगी, तब तक हमारा निर्यात नहीं बढ़ेगा. 

कपड़ों की गुणवत्ता पर ध्यान
उन्होंने कहा कि सरकार को प्रोसेस हाउस में कपड़ों की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. घरेलू बाजार में डिमांड की तुलना में सप्लाई बहुत अधिक है. भुगतान नहीं के कारण बहुत सारा माल बिक नहीं पाता. आज के समय में MSME सबसे बड़ा मुद्दा है. अगर सरकार MSME पर ध्यान देगी, तभी घरेलू बाजार चल पाएगा. सरकार ने व्यापारियों के अटके हुए भुगतान की वसूली के लिए कानून तो बना दिया है, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. 6-7 साल तक इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया जाता है. सरकार के कानून मंत्री को इस मामले पर काम करना चाहिए.

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