पश्चिम बंगाल में बगैर पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी सुरक्षित नहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश-पीठ ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है, जहां कोई भी बिना पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी को सुरक्षित या बरकरार नहीं रख सकता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 16, 2022, 10:49 PM IST
  • प्राथमिक शिक्षक की बर्खास्तगी से जुड़े केस में सुनाया फैसला
  • माणिक भट्टाचार्य को डब्ल्यूबीबीपीई अध्यक्ष पद से हटाया
पश्चिम बंगाल में बगैर पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी सुरक्षित नहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी

नई दिल्लीः कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश-पीठ ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है, जहां कोई भी बिना पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी को सुरक्षित या बरकरार नहीं रख सकता है.

प्राथमिक शिक्षक की बर्खास्तगी से जुड़े मामले में सुनाया फैसला
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने अपनी नियुक्ति के चार महीने बाद एक सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक की बर्खास्तगी से संबंधित फैसला सुनाते हुए पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य के नाम का भी जिक्र किया.

गंगोपाध्याय ने कहा, "शायद, वादी ने माणिक भट्टाचार्य को पैसे नहीं दिए और इसलिए उनका रोजगार समाप्त कर दिया गया. पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है, जहां कोई भी बिना पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी हासिल नहीं कर सकता है."

माणिक भट्टाचार्य को डब्ल्यूबीबीपीई अध्यक्ष पद से हटाया
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के आदेश के बाद, माणिक भट्टाचार्य को डब्ल्यूबीबीपीई अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने इस साल जून में डब्ल्यूबीबीपीई भर्ती में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच का आदेश देते हुए भट्टाचार्य को उनकी कुर्सी से हटाने का भी आदेश दिया था.
यह विशेष मामला जिस पर न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने इतनी कड़ी टिप्पणी की, एक व्यक्ति मिराज शेख द्वारा मुकदमेबाजी से संबंधित है, जिसे दिसंबर 2021 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था.

'मानदंडों के अनुसार नहीं हैं योग्य'
हालांकि, सेवा में शामिल होने के ठीक चार महीने बाद, डब्ल्यूबीबीपीई द्वारा यह कहते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी गई कि उनके पास बोर्ड के मानदंडों के अनुसार आरक्षित श्रेणी में नियुक्त होने के लिए स्नातक में 45 प्रतिशत के योग्यता अंक नहीं हैं. शेख ने आदेश को चुनौती दी और समर्थन में उन्होंने अपना स्नातक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उनके प्राप्त अंक 46 प्रतिशत थे.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और वादी द्वारा रखे गए दस्तावेजों से संतुष्ट होने के बाद न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने मंगलवार को डब्ल्यूबीबीपीई को वादी को प्राथमिक शिक्षक के रूप में तुरंत बहाल करने का आदेश दिया. इसके बाद उन्होंने यह टिप्पणी की कि पश्चिम बंगाल में कोई भी भर्ती बिना पैसे दिए नहीं होती है.

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की टिप्पणियों पर बयान देने से परहेज किया है. हालांकि, विपक्ष ने दावा किया कि न्यायाधीश ने अपने अवलोकन के माध्यम से पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की असली तस्वीर को उजागर किया है.

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