नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के कॉलेजियम ने बॉम्बे उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला की स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उनके नाम की सिफारिश करने से इनकार कर दिया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में फैसला दिया था कि 'स्किन टू स्किन टच (त्वचा से त्वचा संपर्क) यौन उत्पीड़न नहीं' है. इस पर काफी विवाद हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट ने दो फैसले पलट दिए थे
शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति गनेडीवाला के इस साल जनवरी में पारित दो फैसलों को 18 नवंबर को खारिज कर दिया था, जिसमें यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) कानून के तहत यौन उत्पीड़न प्रावधानों की व्याख्या की गई थी.
बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सेवारत महिला न्यायाधीश को एक नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोपी को जमानत देने के बाद व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा था. आदेश में कहा गया था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ था. इसलिए, पॉक्सो कानून के तहत इसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता है.
14 दिसंबर को हुई थी कॉलेजियम की बैठक
सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की बैठक 14 दिसंबर को हुई थी. सूत्रों के अनुसार, बैठक में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायमूर्ति गनेडीवाला के नाम की सिफारिश नहीं करने का निर्णय लिया गया.
तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी करने का प्रस्ताव मंजूर
हालांकि, कॉलेजियम ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के तीन अन्य अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया और प्रस्ताव बृहस्पतिवार को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. बंबई उच्च न्यायालय के इन तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति माधव जयाजीराव जामदार, न्यायमूर्ति अमित भालचंद्र बोरकर और न्यायमूर्ति श्रीकांत दत्तात्रेय कुलकर्णी हैं.
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