नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया का परिदृश्य बदल कर रख दिया है. पिछले पांच महीनों में दुनिया वैसी नहीं रही जैसी पिछले कई दशकों से बनी हुई थी. आईए देखते हैं. दुनिया में कौन से बदलाव दिखाई दे रहे है और किस तरह स्थापित मान्यताएं ध्वस्त होती जा रही हैं-


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1. यूरोप और अमेरिका दुनिया की ताकत का केन्द्र हैं
कोरोना वायरस(CoronaVirus) ने दुनिया का यह भ्रम तोड़ दिया है. जिसके मुताबिक माना जाता था कि दुनिया में वही होता है जो अमेरिका और यूरोप चाहते हैं. आज कोरोना वायरस की मार के चलते विश्व की शक्ति का संतुलन एशिया की तरफ झुक गया है.



नए विजेता बनकर उभरे हैं भारत और चीन. 


सोवियत संघ के पतन के बाद दुनिया के इकलौते सुपर पावर कहे जाने वाले अमेरिका की कमर टूटती दिख रही है. अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों को छोड़कर पूरी दुनिया कोरोना की जद में है. सभी की निगाहें चीन और भारत की तरफ हैं. जिनसे मदद की आस है. 


जहां अमेरिका भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन मंगाने के लिए हाथ पैर जोड़ रहा है तो यूरोप चीन के सामने मेडिकल उपकरण मंगाने के लिए गिड़गिड़ा रहा है. स्पेन चीन से 36 अरब के उपकरण खरीद चुका है. इटली जैसे देश भी कोरोना के खिलाफ जंग के लिए चीन के ही भरोसे हैं. 


यूरोप और अमेरिका(America) में कोरोना का कहर फैलता जा रहा है. वहीं चीन ने इसके उपर काबू पा लिया है. उधर भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या एक सीमा के उपर नहीं है. 


इस घटना ने ये बात भी साबित कर दी है कि कोरोना जैसे घातक वायरस से जूझने में चीन और भारत ज्यादा सक्षम हैं. कोरोना ने यूरोप और अमेरिका के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता की कलई खोल दी है. 


एक नन्हे से वायरस ने साबित कर दिया है कि जूझने और संघर्ष करने की जो शक्ति एशियाई देशों के पास है, वह यूरोप और अमेरिका के पास नहीं है. ये बात पूरी दुनिया में एक बड़ा मानसिक बदलाव लाएगी. जो कि आने वाले भविष्य में ये तय करेगा कि दुनिया को नियंत्रित करने की क्षमता किसके पास रहने वाली है.  



2. पेट्रोलियम है जीवन का आधार
कोरोना वायरस ने आधुनिक दुनिया के ये दूसरा बड़ा भ्रम तोड़ दिया है कि पेट्रोलियम ही दुनिया को चलाने का एकमात्र ईंधन है. इसके पहले हमने देखा है कि पेट्रोलियम संसाधनों पर कब्जे के लिए बड़ी बड़ी जंगें लड़ी गईं. जिसमें लाखों लोगों की जाने जा चुकी हैं. लेकिन कोरोना वायरस ने ये बता दिया है कि पेट्रोलियम के बिना भी जीना संभव है.


लॉकडाउन(Lockdown) की वजह से पूरी दुनिया में पेट्रोलियम की खपत आश्चर्यजनक रुप से कम हो गई है. सिर्फ जरुरी सुविधाओं के लिए ही पेट्रोलियम का प्रयोग किया जा रहा है. सड़कों पर गाड़ियां कम हो गई हैं. लोग घरों में बैठकर अपने कम निपटा रहे हैं. भारत का उदाहरण लिया जाए तो यहां पेट्रोल डीजल की खपत में 95% की कमी आई है. लेकिन इसका किसी पर कोई असर नहीं पड़ा है. 


ऑटोमोबाइल(Automobile) कंपनियों की मार्केटिंग से प्रभावित होकर खरीदी गई लाखों गाड़ियां गैराज में पड़ी धूल खा रही हैं. लेकिन दुनिया अपनी गति से चल रही है. जितनी जरुरत है उतने ही पेट्रोलियम का प्रयोग हो रहा है. 



इससे पता चलता है कि जीवन के लिए पेट्रोलियम पदार्थ उतने जरुरी नहीं हैं. जितना हम समझते थे. 



3. सिर्फ हथियारों और कूटनीति के बल पर ही दुनिया पर कब्जा किया जा सकता है
कोरोना त्रासदी ने ये साबित कर दिया है कि दुनिया पर कब्जा करने के लिए हथियारों और कूटनीतिक दांवपेंचों की ही जरुरत नहीं पड़ती. आज की दुनिया में पूरी जंग आर्थिक साम्राज्य स्थापित करने की है. बड़ी बड़ी कंपनियों और शेयर मार्केट की चाल ही आधुनिक युग के युद्ध का आधार माना जाता है. 


लेकिन हम देख रहे हैं कि कैसे चीन बिना एक गोली चलाए या किसी तरह का कूटनीतिक दांव पेंच दिखाए पूरी दुनिया की बड़ी कंपनियों पर कब्जा करते जा रहा है. 


कोरोना के खिलाफ जंग में दुनिया के 50 से ज़्यादा देश चीन के भरोसे बैठे हैं. इसी बहाने चीन अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करता जा रहा है. क्योंकि वो जानता है कि ये कोरोना जब तक है उसके पास अपनी ताकत बढ़ाने का मौका है. क्योंकि कोरोना से जूझते हुए दुनिया भर के देशों की इकॉनमी बेहद कमज़ोर हो गई है. जिसकी वजह से चीन सुपरपावर बनने के करीब पहुंच चुका है. 



कोरोना की वजह से पैदा हुए भय का फायदा उठाकर चीन(China) ने यूरोपियन और अमेरिकी कंपनियों के गिरते हुए शेयर 30% से भी कम कीमत पर खरीदता चला गया. चीन के अलावा पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई. हर देश के निवेशक सिर पीट रहे हैं. लेकिन इन हालातों में भी चीन का शेयर बाजार तरक्की कर रहा है. वो भी तब जब वहां का कारोबारी शहर वुहान(Wuhan) कोरोना वायरस की वजह से तबाह हो चुका था.


चीन कैसे पूरी दुनिया के कारोबार पर कब्जा कर रहा है. ये विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें. 


4. जीवन की आधुनिक सुविधाएं मौत को टाल सकती हैं
कोरोना वायरस के प्रकोप वहीं ज्यादा देखा गया है जो देश कई दशकों से जीवन की आधुनिकतम सुख सुविधाओं से लैस थी. अमेरिका, इटली, ब्रिटेन जैसे देशों को खुशहाली और आधुनिक जीवन शैली का प्रतीक माना जाता था. 


इन देशों की सरकारों ने अपने नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा और जीवन की बेहतरी के इतना काम किया था कि पूरी दुनिया में इन सुविधा संपन्न देशों में बसने की होड़ मची हुई थी. एशिया और अफ्रीका(Asia and Africa) जैसे इलाकों के नागरिकों के सामने यूरोप और अमेरिका में बसना एक सपने के सच होने जैसा था. जो लोग बसने की क्षमता नहीं रखते थे वह एक बार इन देशों में घूमने जरुर जाना चाहते थे. 



लेकिन आज परिस्थितियां बदल गई हैं. यूरोप और अमेरिका में रहने वाले एशियाई और अफ्रीकी देशों के लोग अपने मूल देशों में लौटने के लिए बेचैन हैं. उन्हें वहां अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है. इसलिए वह इन अपनी जान बचाने के लिए यूरोप और अमेरिकी देशों की सुविधाओं का मोह छोड़कर अपने मूल देशों में कम नागरिक सुविधाओं के बीच भी जिंदगी बिताने के लिए तैयार हैं. 


क्योंकि वो समझ गए हैं कि इन तथाकथित विकसित देशों में उनकी जान की सुरक्षा की गारंटी नहीं है.  


5. जिंदगी बिताने का सबसे बेहतर तरीका सनातन परंपरा है
कोरोना त्रासदी ने साबित कर दिया है कि जीवन जीने के लिए सनातन हिंदू परंपरा से ज्यादा बेहतर कुछ और नहीं है. पूरी दुनिया आज कोरोना वायरस से बचने के लिए भारतीय परंपराओं को अपना रही है. एक तरह के कहा जाए तो भारत की कुछ परंपराएं और संस्कार Corona Virus के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए हैं. 


पूरी दुनिया हाथ मिलाने, गले लगाने, हाथ चूमने या फिर गाल पर किस करने की बजाए भारतीयों की तरह नमस्कार करने का तरीका अपना रही है.



कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए पूरी दुनिया हिंदुओं की तरह अंतिम संस्कार के रुप में शवों के अग्निदाह को सबसे बेहतर प्रक्रिया बता रही है. 


कोरोना से जूझने के लिए हाथ धोने, स्वच्छता आजमाने, खुद को बैक्टीरिया मुक्त करने के लिए जो तरीके बताए जा रहे हैं वो भारतीय सूतक की परंपराओं से मेल खाते हैं. जो भारत में कई हजार सालों से प्रचलित हैं. 


आपने गौर किया होगा कि किसी अनुष्ठान या पूजा के दौरान बार-बार जल से हाथ की शुद्धि कराई जाती है. इसी तरह मंत्र का उच्चारण करते समय भी जल के छींटे डाले जाते हैं. और इस दौरान जो मंत्र पढ़ा जाता है उसे स्वस्ति-वाचन कहा जाता है. आज कोरोना से जंग में भी इसी तरह के सफाई के तरीके आजमाने की सलाह दी जा रही है. 


स्वच्छता साफ सफाई और शाकाहार कोरोना से जूझने के मंत्र बन गए हैं. आज कोरोना से लड़ते हुए पूरी दुनिया में मांसाहार बंद किया जा रहा है. ये बात भारतीय मनीषी हमेशा से जानते थे कि शाकाहार स्वस्थ जीवन की राह है. 


चीन के लोगों के चमगादड़ और कीड़े खाने की आदत ने कोरोना का प्रसार किया था. आज यूरोप और अमेरिका जैसे मांसाहार पर आधारित भोजन शैली वाले देश के लोग भी जान बचाने के लिए सनातनी हिंदुओं की तरह शाकाहार अपनाने के लिए विवश हैं. 


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