नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में अफरा तफरी का माहौल है. लेकिन इसे जन्म देने वाला चीन निश्चिंत दिख रहा है. यही नहीं चीनी व्यापारी पूरी दुनिया की कंपनियों के शेयर खरीदने में जुटे हैं.
शेयरों की खरीद बिक्री से समझ में आती है चीन की साजिश
चीन की कंपनियां लगातार कंपनियों के शेयर खरीदने में जुटी हुई हैं. खास बात ये है कि वो ये खरीदारी सीधे नहीं करके छिपे तौर पर कर रही हैं. जिससे शक और गहराता है.
प्रतिष्ठित पत्रिका 'फोर्ब्स' में बाजार विशेषज्ञ ब्रैन्डेन हर्न लिखते हैं कि चीन की सबसे बड़ी कंपनी अलीबाबा की हांगकांग लिस्टिंग ने 1.54 प्रतिशत और टेन्सेन्ट ने 0.39 प्रतित का मुनाफा पिछले हफ्ते कमाया है.
चीनी कंपनियां हांगकांग के शेयर बाजार हेंग-सेंग के जरिए बाजार में खरीदारी कर रही हैं. जिसका नतीजा ये रहा कि हेंग-सेंग के वॉल्यूम में 32 फीसदी की उछाल देखा गया. जो पिछले एक साल के औसत का दोगुना है.
प्रतिष्ठित बिजनेस पत्रिका ब्लूमबर्ग में एक कॉलमिस्ट माक्सी यिंग ने लिखा है कि पिछले सप्ताह चीन के स्टॉक शंघाई और शेनजेन ने पिछले दो साल में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया. उनमें 5 फीसदी का इजाफा देखा गया.
पूरी दुनिया के शेयर बाजार हो रहे हैं धराशायी
जहां चीन की कंपनियां फल फूल रही हैं, वहीं कोरोना वायरस के डर के कारण पूरी दुनिया में कारोबार ठप पड़ा हुआ है. जिसका नतीजा वहां के शेयर बाजारों पर दिखाई दे रहा है.
चीन के अलावा पूरे एशिया के शेयर बाजारों में दस फीसदी की औसत गिरावट देखी जा रही है. जापान, कोरिया, मलेशिया, भारत हर जगह निवेशक सिर पीट रहे हैं. उनका पैसा डूब रहा है. पिछले हफ्ते तक सभी शेयर बाजारों में गिरावट का दौर देखा जा रहा था. जिसे संभालने के लिए सरकार को राहत पैकेज की घोषणा करनी पड़ी.
लेकिन इन हालातों में भी चीन का शेयर बाजार तरक्की कर रहा है. वो भी तब जब वहां का कारोबारी शहर वुहान कोरोना वायरस की वजह से तबाह हो चुका है.
खबरें तो ये भी हैं कि चीन में कोरोना वायरस के कारण डेढ़ करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है.
क्या चीन का पैदा किया कोरोना वायरस उसका हथियार है
कोरोना वायरस की शुरुआत चीन से ही हुई है. लेकिन आज ये दुनिया के 196 देशों में फैल चुका है.
भारत में 21 दिनों का लॉक डाउन है. इटली में सेना से लाशें उठवाने की नौबत आ गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने न्यूयार्क को कोरोना वायरस का नया केंद्र बताया है. स्पेन में स्थिति भयावह होती जा रही है. जर्मनी, फ्रांस जैसे विकसित देश भी कोरोना से जूझते हुए बर्बाद हो रहे हैं.
लेकिन कोरोना वायरस से भारी झटका लगने के बाद भी चीन अपने यहां हालात सामान्य बता रहा है. वहां के उद्योग, बाजार, कारोबार, आर्थिक बाजार सब सामान्य कोराबार की स्थिति में आ गए हैं.
कोरोना वायरस के डर से पूरी दुनिया भर में स्टॉक मार्केट की गिरावट का चीन ने फायदा उठाया और कम कीमतों पर कंपनियों के शेयर खरीदे. दुनिया की कई बड़ी कंपनियों का मालिकाना हक चीन के हाथों में जाता हुआ दिख रहा है.
तो क्या ये माना जाए कि दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कब्जा जमाने के लिए चीन ने कोरोना वायरस को हथियार के रुप में इस्तेमाल किया.
क्योंकि यहां गौर करने लायक बात ये है कि चीन ने कोरोना ग्रस्त अपने इलाकों में विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO)समेत किसी भी अंतराष्ट्रीय संगठन को घुसने तक नहीं दिया था. क्यो वो सच छिपाना चाहता है
चीन में ऐसे अमानवीय प्रयोग कोई नई बात नहीं
चीन एक कम्युनिस्ट देश है. वहां मानवाधिकार जैसी बातों का कोई महत्व नहीं है. ऐसे में इस बात का पूरा संदेह उपजता है कि चीन ने अपने फायदे के लिए कोरोना वायरस फैलाया.
कोरोना वायरस के शिकार ज्यादातर बूढ़े और बीमार लोग हुए हैं. जिनके जीवन का चीन के कम्युनिस्ट शासन की नजर में कोई कीमत नहीं है.
चीन को कन्युनिज्म की खाई में धकेलने वाले माओ त्से तुंग की कथित क्रांति के कारण 1948 में 7 करोड़ 70 लाख लोगों की जान चली गई थी. लाखों लोगों की भीषण यातनाओं का शिकार होना पड़ा था.
माओ के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली शासक बनकर वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग उभरे हैं. उन्हें अनंत काल तक अपने पद पर बने रहने की छूट मिल चुकी है. शी जिनपिंग की सत्ता पूरी तरह निरंकुश है. ऐसे में चीन दुनिया पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए किसी तरह का अमानवीय प्रयोग करने में हिचकेगा नहीं. क्योंकि अतीत में वह ऐसे प्रयोग कर चुका है.
शायद यही वजह है कि कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका के तेवर चीन के प्रति बेहद सख्त हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कोरोना को लगातार चीनी वायरस बता रहे हैं. लेकिन चीन इसपर आपत्ति जता रहा है. क्योंकि उसे अपनी पोल खुलने का खतरा महसूस हो रहा है.
चीन की करतूतों पर है दुनिया की निगाह
दुनिया भर में कोरोना की दहशत के बीच अमेरिका के वकील लैरी केलमेन ने चीन के खिलाफ 200 खरब डॉलर का मुकदमा दायर किया है. जिसमें चीन पर दुनिया के 3.34 लाख लोगों को वायरस से संक्रमित करने का आरोप लगाया गया है.
केलमेन ने टेक्सास के उत्तरी डिस्ट्रिक्ट की अदालत में मुकदमा दायर करते हुए आरोप लगाया कि वायरस को चीन ने युद्ध के जैविक हथियार के बतौर बनाया है और वह इसे आगे बढ़ाते हुए अमेरिकी कानून, अंतरराष्ट्रीय कानून, समझौतों और मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है. केलमेन ने कहा कि इसे एक प्रभावी और विनाशकारी जैविक युद्ध हथियार के रूप में बड़े पैमाने पर आबादी को मारने के लिए डिजाइन किया गया है.
सूचना क्रांति के इस युग चीन की करतूतें छिप नहीं सकतीं. आज नहीं तो कल कोरोना वायरस का सच आना तय है.
परिस्थितिजन्य सबूत पूरी तरह चीन के दोषी होने की तरफ इशारा कर रहे हैं. बस इस पर मुहर लगनी बाकी है.