क्यों मुश्किल में हैं CBI के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा, CVC ने की है कार्रवाई की सिफारिश

Former CBI Chief Alok Verma: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने UPSC से वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है, जो 2018 में एक विवाद के केंद्र में थे, जब जांच एजेंसी के तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना थे. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 4, 2021, 04:50 PM IST
  • सीबीआई के शीर्ष दो अधिकारियों के बीच खुले विवाद का मामला
  • गृह मंत्रालय और DOPT ने UPSC से की कार्रवाई की सिफारिश
क्यों मुश्किल में हैं CBI के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा, CVC ने की है कार्रवाई की सिफारिश

नई दिल्लीFormer CBI Chief Alok Verma: एक जानकारी के मुताबिक केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पूर्व निदेशक आलोक कुमार वर्मा को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही वह सेवानिवृत्ति के लाभ से भी वंचित किए जा सकते हैं. 

दरअसल पूर्व CBI निदेशक पर आरोप हैं कि उन्होंने  केंद्रीय एजेंसी के निदेशक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग और सेवा के दौरान नियमों का उल्लंघन किया है. विकास से जुड़े डीओपीटी के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) से वर्मा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने वाली एक फाइल प्राप्त हुई है और आगे की कार्रवाई के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को भेज दी गई है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने UPSC से वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है, जो 2018 में एक विवाद के केंद्र में थे, जब जांच एजेंसी के तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना थे. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. सूत्र ने बताया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई की फाइल दो-तीन दिन पहले प्राप्त हुई थी.

इसलिए हो सकती है कार्रवाई
कार्रवाई के बारे में बताते हुए सूत्र ने कहा कि वर्मा को नियमों के मुताबिक सेवानिवृत्ति के लाभ से हाथ धोना पड़ सकता है. सूत्र ने कहा कि सरकार ने यह भी हवाला दिया है कि 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा ने अपनी सेवा के दौरान सरकारी नियमों का उल्लंघन किया था.

सीबीआई निदेशक के रूप में वर्मा, एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ एक झगड़े में लिप्त थे और एक-दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते थे. अस्थाना को जुलाई में दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया.

2018 में सामने आया था मामला
सीबीआई के शीर्ष दो अधिकारियों के बीच खुले विवाद के बाद, सरकार ने सीवीसी की सिफारिशों पर 23 अक्टूबर, 2018 को उन्हें देश की शीर्ष प्रीमियर जांच एजेंसी से बाहर कर दिया. वर्मा का नाम हाल ही में पेगासस स्नूप लिस्ट में भी आया था. सीबीआई में आधी रात को तख्तापलट बमुश्किल दो दिन बाद आया जब वर्मा ने ब्यूरो में तत्कालीन विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया.

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अस्थाना को 2020 में मिली क्लीन चिट
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 9 जनवरी, 2019 को उसी पद पर बहाल कर दिया. हालांकि, दो दिन बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने अपने दो अन्य सदस्यों न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 11 जनवरी, 2019 को 2-1 वोट से उन्हें सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था.

हालांकि, अस्थाना को फरवरी 2020 में सीबीआई से क्लीन चिट मिल गई. हाल ही में, उन्हें एक साल के लिए सेवा विस्तार दिया गया और दिल्ली पुलिस के आयुक्त के रूप में भी नियुक्त किया गया. वर्मा ने पहले 31 जुलाई, 2017 को सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने के बाद उनकी सेवानिवृत्ति पर विचार करने का अनुरोध किया था. 

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