नई दिल्ली: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की बतौर सीएम लगातार तीसरी बार ताजपोशी हो चुकी है. लेकिन अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ से पहले भी अपनी जिंदगी की कई शपथ ली थीं. केजरीवाल खुद से किया अपना वादा निभाते रहे और आगे बढ़ते रहे. केजरीवाल का इरादा हमेशा से अटल रहा है. हारकर बैठ जाना केजरीवाल की फितरत में कभी नहीं रहा. उन्हें हमेशा जीत मिली क्योंकि केजरीवाल ने जब भी कोई इरादा बनाया उन्होंने उसे मंजिल को पाने के लिए अपना सबकुछ समर्पित कर दिया.
केजरीवाल ने करके दिखाया
सियासत में अरविंद केजरीवाल का सफर ज्यादा लंबा नहीं है लेकिन उनकी कहानी सुनकर आपको यकीन हो जाएगा कि एक आम आदमी अगर अपना हौसला न हारे और जीत के लिए जी तोड़ मेहनत करे तो उसे सफलता जरूर मिलती है.
हरियाणा के छोटे से गांव सिवानी में हुआ जन्म
अरविंद केजरीवाल का जन्म दिल्ली से 177 किलोमीटर दूर हरियाणा के छोटे से गांव सिवानी में हुआ था. अरविंद केजरीवाल के पिता इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. अरिवन्द केजरीवाल की शुरुआती पढाई सोनीपत और गाजियाबाद में हुई. केजरीवाल पढ़ाई में बेहद तेज थे, 12वीं के बाद केजरीवाल को आईआईटी खड़गपुर में दाखिला मिल गया.
कॉलेज में बेहद शर्मीले थे केजरीवाल
केजरीवाल आज जमकर बोलते हैं, भाषण देते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि केजरीवाल कॉलेज में बेहद शर्मीले थे. बहुत ही धीमी आवाज में बोला करते थे. केजरीवाल फिल्मों के बहुत शौकीन थे. वो गीत भी गाते थे और मंच पर एक्टिंग भी करना चाहते थे. कॉलेज के दिनों में केजरीवाल ने अपना थिएटर ग्रुप बना लिया था.
केजरीवाल ने जब जैसा चाहा वैसा किया. केजरीवाल की जिद कहें या जीतने की ललक, केजरीवाल ने जो इरादा बनाया पूरा किया.
- केजरीवाल ने IIT करने की ठानी, सफल रहे
- केजरीवाल एक्टिंग करना चाहते थे, ग्रुप बना लिया
- केजरीवाल नौकरी के पहले इंटरव्यू में छंट गए
- केजरीवाल ने कंपनी से दोबारा इंटरव्यू लेने को कहा
- केजरीवाल दोबारा इंटरव्यू में चुन लिए गए
- केजरीवाल सिविल सर्विस में जाने का मन बनाया
- नौकरी छोड़कर पढ़ाई की और सफल रहे
केजरीवाल ने रेवेन्यू सर्विस का एग्जाम भी पास कर लिया लेकिन उनका मकसद पूरा नहीं हुआ. युवा अरविंद एक दिन मदर टेरेसा से मिलने कोलकाता चले गए. मदर टेरेसा से मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल समाज सेवा करने लगे. साल 1992 में केजरीवाल ने इंटरव्यू दिया और रेवेन्यु सर्विसेस के लिए चुन लिए गए.
केजरीवाल ने सुनीता से किया लव मैरिज
अरविंद केजरीवाल नतीजों के बाद पब्लिक के सामने आए तो उनका परिवार भी उनके साथ था. अरविंद केजरीवाल की पत्नी का नाम सुनीता है. अरविंद केजरीवाल ने सुनीता से लव मैरिज की है. दोनों की मुलाकात सिविल सर्विसेस की ट्रेनिंग के दौरान हुई थी.
साल 1992 में अरविंद को दिल्ली के इनकम टैक्स विभाग में एस्सिटेंट कमीशनर के तौर पर पहली पोस्टिंग मिली. इस नौकरी में मोटी कमाई करने की जगह केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरु की.
उधार लेकर बनाई परिवर्तन नाम की संस्था
50 हजार रुपए उधार लेकर परिवर्तन नाम की संस्था बनाई. RTI कानून को देश के गांव गांव तक पहुंचाया. 2006 में एशिया के नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले रेमन मैगसेस अवार्ड के लिए चुने गए. पुरस्कार से मिले 45 लाख रुपये से पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन नाम की दूसरी संस्था बनाई.
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले "क्रांतिकारी"
इसके बाद अन्ना आंदोलन ने अरविंद केजरीवाल को बड़ी पहचान दिलाई. वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले क्रांतिकारी के तौर पर उभरे. लेकिन अन्ना और केजरीवाल का साथ सिर्फ 18 महीने का रहा. 2 अक्टूबर 2012 को जैसे ही केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की स्थापना की, अन्ना से दूरियां बढ़ गईं.
इसे भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल की ताजपोशी, लगातार तीसरी बार संभाली दिल्ली की कमान
अरविंद केजरीवाल ने जब दिल्ली का चुनाव लड़ा तो इतिहास रच दिया. केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. केजरीवाल ने खुद को दिल्ली में अजेय साबित कर दिया है. सियासत की ये राह अरविंद केजरीवाल को कहां तक ले जाएगी ये भविष्य तय करेगा.
इसे भी पढ़ें: दिल्ली के राज-युद्ध में असफलता के 3 कारण बताये मनोज तिवारी ने