दिल्ली के राज-युद्ध में असफलता के 3 कारण बताये मनोज तिवारी ने

अब इसे क्या कहा जा सकता है, हार के बाद पछताने का कोई कारण नहीं..राजनीति की दुनिया में इस तरह की असफलताओं से भविष्य की बड़ी सफलताओं के द्वार खुलते हैं. दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दो कारणों को दिल्ली में हार का जिम्मेदार बता रहे हैं..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Mar 3, 2020, 11:01 PM IST
    • ''गोली के नारे ने नुकसान पहुंचाया''
    • ''सीएम फेस के साथ लड़ते चुनाव तो बेहतर होता''
    • ''मेनिफेस्टो आने में देर हुई''
    • ''48 सीटें आ सकती थीं ''
दिल्ली के राज-युद्ध में असफलता के 3 कारण बताये मनोज तिवारी ने

नई दिल्ली. हार के कारण एक दो या उनके भी हो सकते हैं और हर व्यक्ति के दृष्टिकोण से वे अलग अलग भी हो सकते हैं. किन्तु महत्वपूर्ण उस व्यक्ति का नज़रिया है जो कि दिल्ली के इस राज-युद्ध में मैदान में उतर कर तलवार चला रहा था. इस दृष्टि से मनोज तिवारी की सोच और उनका कारण दिल्ली के ध्वंस की मजबूत जिम्मेदार हो सकते हैं.

 

नारे ने नुकसान पहुंचाया

दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने माना कि हार के लिए कुछ कमियां ज़िम्मेदार हैं. शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि वे हिंदू-मुस्लिम की बात नहीं कर रहे थे परन्तु यह प्रदर्शन भी ठीक नहीं है. 'गोली मारो" वाले नारे ने नुक्सान पहुंचाया क्योंकि ये भाजपा की सोच नहीं है. इस देश में गद्दारों को सजा देने के लिए देश का कानून ही काफी है.

सीएम फेस के साथ लड़ते चुनाव तो बेहतर होता 

मनोज तिवारी का कहना है कि बेहतर होता कि हम मुख्यमंत्री का चेहरा लेकर चुनाव में उतरते, तब परिणाम दूसरा होता. किन्तु यह पार्टी का सामूहिक फैसला . मेनिफेस्टो आने में देर हुई, इस कारण लोगों तक वह सही समय के भीतर नहीं पहुँच पाया. उसके भीतर दो रुपये किलो आटा देने जैसी बातें भी थी जो वक्त पर लोगों तक पहुंचानी जरूरी थीं. 

 

48 सीटें आ सकती थीं 

अपने अड़तालीस सीटों वाले बयान पर तिवारी बोले कि 'मुझे 48 सीटें जीतने का अनुमान था, जो कहीं से गलत नहीं था. इस बार हमारा करीब 40 प्रतिशत वोट शेयर रहा है. आठ प्रतिशत वोट बढ़ना कोई छोटी बात नहीं है. पर इन वोटों को हम अपनी सीटों में तब्दील नहीं कर पाए. 

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