नई दिल्ली/चेन्नई. नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर शुक्रवार को सत्तारूढ़ दल भाजपा एवं विपक्षी दल कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी रहने के साथ रस्मी राजदंड ‘सेंगोल’ को लेकर भी घमासान छिड़ गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नया संसद भवन हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा. उन्होंने नवनिर्मित परिसर का एक वीडियो भी साझा किया. वहीं, कई केंद्रीय मंत्रियों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के फैसले को लेकर कांग्रेस सहित 20 विपक्षी दलों पर निशाना साधा.
‘माई पार्लियामेंट माई प्राइड’ हैशटैग
मोदी ने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते हुए लोगों से ‘माई पार्लियामेंट माई प्राइड’ हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए अपने ‘वॉयसओवर’ के साथ वीडियो साझा करने का भी आग्रह किया. नए संसद भवन का उद्घाटन रविवार को होगा. इस समारोह की शुरुआत सुबह-सुबह हवन और सर्व-धर्म प्रार्थना के साथ शुरू होगी. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में औपचारिक उद्घाटन करेंगे. पूर्व नौकरशाहों, राजदूतों और करीब 270 विशिष्ट नागरिकों के एक समूह ने विपक्षी दलों की आलोचना की और दावा किया कि सभी ‘परिवार पहले’ वाले दल, भारत का प्रतिनिधित्व करने वालों का बहिष्कार करने के लिए एकजुट हो गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सचिवालय को नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले पर गौर करना अदालत का काम नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट स्थापित किए जाने वाले रस्मी राजदंड के महत्व को कमतर करके ‘चलते समय सहारा देने के काम आने वाली छड़ी’ बना देने का आरोप लगाया. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका वंशवादी नेतृत्व उन्हें आपस में जोड़ता है जिनकी ‘राजशाही’ पद्धतियों का संविधान के सिद्धांतों से टकराव है.
क्या बोले अमित शाह
शाह ने कहा कि कांग्रेस को अपने व्यवहार पर ‘मनन’ करने की आवश्यकता है. उन्होंने पार्टी के इस दावे की निंदा की कि ‘राजदंड’ के 1947 में ब्रिटेन द्वारा भारत को सत्ता सौंपे जाने का प्रतीक होने का कोई उदाहरण नहीं है. शाह ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ ने भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर पंडित (जवाहरलाल) नेहरू को एक पवित्र राजदंड दिया था, लेकिन इसे ‘चलते समय सहारा देने वाली छड़ी’ की तरह बताकर किसी संग्रहालय में भेज दिया गया.’
उन्होंने कहा, ‘अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है. पवित्र शैव मठ थिरुवदुथुराई आदिनम ने भारत की स्वतंत्रता के समय राजदंड के महत्व के बारे में स्वयं बताया था.’ शाह ने कहा, ‘कांग्रेस अब आदिनम के इतिहास को फर्जी बता रही है. कांग्रेस को अपने व्यवहार पर मनन करने की आवश्यकता है.’
शाह के इस बयान के पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो. रमेश के दावों को चुनौती देते हुए तमिलनाडु में एक मठ के प्रमुख ने कहा कि सेंगोल अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपा गया था और फिर इसे 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू को अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में भेंट किया गया था तथा कुछ लोगों द्वारा इस संबंध में किए जा रहे गलत दावों से उन्हें बहुत तकलीफ हो रही है.
चेन्नई में, संवाददाताओं से बातचीत में तिरुवदुथुरै आदिनाम के अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी ने कहा कि सेंगोल जो लंबे समय तक लोगों की निगाहों से दूर था, अब संसद में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि दुनिया उसे देख सके. सेंगोल को सौंपे जाने के प्रमाण से जुड़े एक सवाल पर आदिनाम ने कहा कि 1947 में अखबारों और पत्रिकाओं में छपी तस्वीरें व खबरों सहित इसके कई प्रमाण हैं. परमाचार्य स्वामी ने कहा, ‘यह दावा करना कि सेंगोल भेंट नहीं किया गया था, गलत है. सेंगोल के संबंध में ‘गलत सूचना’ के प्रसार से तकलीफ हुई है.’
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