नई दिल्ली: रक्षा विज्ञान और अनुसंधान संस्थान यानी डीआरडीओ हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर रहा है. यह मिसाइल भारत के पास पहले से मौजूद ब्रह्मोस मिसाइल से भी ज्यादा घातक होगी. इसका विकास भविष्य में होने वाले युद्धों को देखते हुए किया जा रहा है.
रक्षा मंत्री करेंगे उद्घाटन
इस हायपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण के लिए एक पवन सुरंग का निर्माण किया गया है. जिसमें इस मिसाइल की गति की परख की जाएगी. फिलहाल भारत के पास मौजूद ब्रह्मोस की स्पीड लगभग 3 मैक है. जबकि प्रस्तावित हायपरसोनिक मिसाइल की गति 7 मैक के आस पास होगी. एक मैक का अर्थ है ध्वनि की गति(343.59 मीटर प्रति सेकेंड) होती है. 7 मैक का अर्थ है आवाज की गति से पांच गुना ज्यादा तेज. भारत द्वारा विकसित की जाने वाली मिसाइल आवाज की गति से 5 गुना ज्यादा तेज होगी. यह एक सेकेंड में एक मील की दूरी तय करेगी. जिसकी वजह से इसे किसी भी रडार से पकड़ पाना संभव नहीं होगा और ना ही इसे किसी इंटरसेप्टर मिसाइल से निशाना बनाया जा सकता है.
पांचवी पीढ़ी के हथियार का हो रहा है विकास
भारत पांचवी पीढ़ी के हथियारों का विकास करने में जुटा हुआ है. इसके लिए खास तरह के ईंधन का निर्माण किया जा रहा है, जो कि बेहद हल्का हो और ज्यादा ज्वलनशील हो. इन हायपरसोनिक मिसाइलों के जरिए पारंपरिक और एटमी दोनों तरह के हथियार भेजे जा सकते हैं. इन मिसाइलों का पीछा करना या मार गिराना लगभग नामुमकिन होता है. यह दुश्मन के किसी भी डिफेन्स सिस्टम को चकमा देकर अपना काम करने में सक्षम हैं.
दुनिया के कुछ ही देशों के पास है हायपरसोनिक मिसाइलें
ब्रह्मोस का विकास करके भारत दुनिया के सबसे एडवांस मिसाइल तकनीक वाले देशों में शामिल हो गया है. अब हायपरसोनिक मिसाइल का विकास करने के बाद भारत दुनिया के चंद गिने चुने देशों के समूह में शामिल हो जाएगा. जिनके पास ध्वनि से कई गुना ज्यादा तेज गति से वार करने वाली मिसाइलें हैं.
- अमेरिका के पास रिम-161 एसएम-3 मिसाइल है. जिसकी मारक क्षमता 2500 किलोमीटर है और इसकी गति 13.2 मैक है.
- रुस ने भारत के सहयोग से 2.8 मैक गति वाली ब्रह्मोस विकसित की है.
- चीन के पास डोंगफेंग-41 मिसाइल है, जिसकी गति 25 मैक बताई जाती है. लेकिन इस मिसाइल के चीन के पास होने की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है.