Farmer Protest: संगठनों की चेतावनी, मांगें नहीं मानी तो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में 'किसान परेड'

किसान संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के तमाम मोर्चों से किसान दिल्ली के अंदर घुसकर अपनी किसान गणतंत्र परेड करने के लिए मजबूर होंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 2, 2021, 08:38 PM IST
  • किसानों ने मोदी सरकार को दी कड़ी चेतावनी
  • 4 जनवरी को नहीं बनी बात, तो 5 तारीख को...
Farmer Protest: संगठनों की चेतावनी, मांगें नहीं मानी तो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में 'किसान परेड'

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के साथ प्रस्तावित अगले चरण की बातचीत से पहले प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने अपना रुख और सख्त कर लिया है. शनिवार को संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर बात नहीं बनी तो तो 26 जनवरी को जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा होगा, तब दिल्ली की ओर ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी. स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा, 'अगर 26 जनवरी तक हमारी बातें नहीं सुलझती तो दिल्ली के तमाम मोर्चों से किसान दिल्ली के अंदर घुसकर अपनी किसान गणतंत्र परेड करने के लिए मजबूर होंगे.'  

सरकार को योगेंद्र यादव की चेतावनी

योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने कहा कि सरकार का किसानों की 50 प्रतिशत मांगों को स्वीकार करने का दावा ‘सरासर झूठ’ है. उन्होंने कहा, ‘हमें अब तक लिखित में कुछ नहीं मिला है.’ सरकार और किसान संगठनों के बीच अगले दौर की बातचीत चार जनवरी को होनी है. किसान नेताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि 4 जनवरी की वार्ता विफल होने पर 5 जनवरी से ही देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया जायेगा.

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वहीं, किसान नेता दर्शन पाल सिंह (Darshan Pal Singh) ने कहा कि उनकी प्रस्तावित परेड ‘किसान परेड’ के नाम से होगी और यह गणतंत्र दिवस परेड के बाद शुरू होगी. बता दें कि 26 जनवरी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) दिल्ली में होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. किसान नेताओं का कहना है कि दिल्ली के आसपास के किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली को 25 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में बुलाया जायेगा. इससे पहले 23 जनवरी को सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) की जयंती के अवसर पर देश भर में राजभवनों पर प्रदर्शन किया जायेगा क्योंकि राज्यपाल केंद्र के प्रतिनिधि होते हैं.

इन मुद्दों पर बन चुकी है सहमति

इससे पहले बुधवार को हुई छठे दौर की बातचीत के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच प्रस्तावित बिजली विधेयक एवं पराली जलाने पर जुर्माना के मुद्दे पर कथित तौर पर सहमति बनी थी, लेकिन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर गतिरोध बना हुआ है.

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किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘पिछली बैठक में हमने सरकार से सवाल किया कि क्या वह 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करेगी. उन्होंने कहा, ‘नहीं. फिर आप देश की जनता को क्यों गलत जानकारी दे रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अबतक हमारे प्रदर्शन के दौरान करीब 50 किसान ‘शहीद’ हुए हैं.’

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गौरतलब है कि दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद गत 37 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. अब देखना होगा कि 4 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच का विवाद खत्म होता है या फिर किसानों का आंदोलन (Farmer Protest) अभी और लंबा खिंचता है.

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