जब ब्रह्मचर्य की शपथ से डगमगा गए थे महात्मा गांधी, शादी पर मंडराने लगा था खतरा

Gandhi Jayanti 2021: आप महात्मा गांधी को पसंद कर सकते हैं या नापसंद कर सकते हैं, लेकिन आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते. यही बापू की खासियत है.   

Written by - Akash Singh | Last Updated : Oct 2, 2021, 08:30 AM IST
  • जानिए बापू के कुछ अनकहे किस्से
  • क्या हैं गांधी के महान बनने की वजहें
जब ब्रह्मचर्य की शपथ से डगमगा गए थे महात्मा गांधी, शादी पर मंडराने लगा था खतरा

नई दिल्लीः Gandhi Jayanti 2021: एक शख्सियत, जिसके विचारों ने दुनिया के तमाम लोगों को प्रभावित किया. कुछ लोग उसे मसीहा मानते तो कुछ भारत का भाग्यविधाता. कुछ कहते कि उस एक बूढ़े इंसान ने पूरी दुनिया को जीने का एक नया सलीका सिखाया, लेकिन विवादों से भी उसका बड़ा नाता रहा. उसकी महानता पर लगातार सवाल उठते रहे, लेकिन सच तो यही है कि आप उस शख्स को पसंद करें या नापसंद पर आप उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते. जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं. आज यानी 2 अक्टूबर को देश गांधी की 152वीं जयंती मना रहा है. आइए जानते हैं गांधी के कुछ अनसुने किस्से...

एक हत्यारे को दांडी मार्च में किया शामिल
गांधी जब दक्षिण अफ्रीका में वकालत कर रहे थे, तभी उनकी ख्याति दुनिया में बढ़ने लगी थी. जब वह भारत लौटे तो उनका भव्य स्वागत किया गया. पूरे देश में उनके समर्थकों की लंबी फेहरिस्त थी. लोग उनके विचारों को सुनना चाहते थे. कुछ साल बाद गांधी दांडी यात्रा निकालते हैं. तब गांधी अंग्रेज सरकार की ओर से नमक पर लगाए गए कर को दुनिया का सबसे अमानवीय कर बताते हैं. 241 किलोमीटर दूर दांडी जाकर नमक कानून तोड़ने के गांधी के अंदाज ने उन्हें हीरो बना दिया था. लेकिन इस यात्रा में गांधी ने एक हत्यारे को भी शामिल किया था.

मशहूर किताब,  गांधी : एन इलस्ट्रेटेड बायोग्राफ्री में इसका जिक्र मिलता है. गांधी दांडी यात्रा में खड़ग बहादुर सिंह नामक शख्स को शामिल करते हैं. गांधी के इस कदम का काफी विरोध होता है, लेकिन गांधी अपनी बात पर कायम रहते हैं. दरअसल, खड़ग सिंह गांधी को अपनी कहानी सुनाता है कि किन परिस्थितियों में उसने हत्या की. वह गांधी को हत्या करने की 21 वजहें बताता है, जिसके बाद गांधी उसे मार्च में शामिल कर लेते हैं. हालांकि, बाद में खड़ग बहादुर सिंह को अहमदाबाद में गिरफ्तार किया गया. उसने जेल में तब तक घुसने से इनकार कर दिया, जब तक जेल का मुख्य गेट पूरी तरह से खोला नहीं जाता, ताकि वो राष्ट्रीय झंडे को बिना झुकाए जेल के अंदर प्रवेश कर सके.

खास बात यह थी कि इस यात्रा में गांधीजी के लिए एक घोड़े का भी इंतजाम किया गया था, लेकिन वह उस पर कभी नहीं बैठे. रास्ते में अंग्रेजी हुकूमत उनपर डंडे बरसाती रही, लेकिन गांधी ने अपने कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिया था कि किसी तरह का प्रतिकार नहीं करना है. इसका असर ये हुआ कि विदेशी मीडिया में भी अंग्रेजों की इस अमानवीयता की आलोचना हुई थी.

जब ब्रह्मचर्य की शपथ से डमगमा गए थे गांधी
गांधी ऐसे शख्स थे, जिनके विचार सिर्फ आजादी या अहिंसा के लिए मशहूर नहीं हुए. बल्कि पर्यावरण, गृहस्थ जीवन, ब्रह्मचर्य यहां तक कि महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक तक की जरूरत पर गांधी के विचार प्रासंगिक हैं. यही कारण है कि उन्हें फॉदर ऑफ डिबेट्स भी कहा जाता है. बताते हैं कि गांधी ने 1906 में 37 साल की उम्र में ब्रह्मचर्य अपना लिया था. लेकिन उसके बाद एक बार ऐसा मौका आया था, जब वो डगमगाए थे और रवींद्रनाथ टैगोर की भांजी सरला देवी चौधरानी के लिए उनके मन में प्रेम की भावनाएं पैदा हो गई थीं.

मीडिया रिपोर्ट्स और कई छपे पत्रों से पता चलता है कि गांधी सरला देवी को बहुत मानते थे और उनकी वजह से उनका वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ गया था. यहां तक की गांधी के पोते और उन पर किताब लिखने वाले राजमोहन गांधी ने भी इसकी पुष्टि की. उन्होंने बताया, 'सरला देवी बंगाल की रहने वाली थीं, लेकिन लाहौर में रहती थीं. वो शादीशुदा थीं और बहुत अच्छा भाषण दिया करती थीं. गांधी के मन में उनके लिए अपार स्नेह था, लेकिन जब उन्हें लगने लगा कि इसकी वजह से उनकी शादी टूट सकती है तो उन्होंने खुद ही सरला देवी से अपने संबंध तोड़ लिए थे.'

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जब गांधी का भाषण सुनकर कई राजा हो गए थे नाराज
ये वाकया 1916 का है. गांधी बनारस गए थे. यहां उन्होंने एक कॉलेज में भाषण देना शुरू किया तो वहां मौजूद राजा-महाराजा सभा छोड़कर जाने लगे. बताते हैं कि गांधी ने पहले तो बनारस की गंदगी पर बोला. फिर उन्होंने कहा कि यहां के राजा महाराजा को देखें जो इतने गरीब देश में रहते हैं, लेकिन खुद सोने के आभूषण की माला से लदे हैं. ये बात सुनते ही सन्नाटा पसर गया. एनी बेसेंट ने गांधी के भाषण को बीच में ही रोक दिया. मदन मोहन मालवीय राजाओं को मनाने के लिए दौड़ पड़े, लेकिन गांधी तो गांधी थे. उन्होंने अपनी बात कह दी थी.

यह सच है कि गांधी की कई बातों से आप असहमत हो सकते हैं, लेकिन गांधी की यही खासियत है कि आप उनसे जितना ज्यादा असहमत होते जाते हैं, आप उतना ही उनके प्रशंसक होते जाते हैं. आप गांधी को एक व्यक्ति के रूप में देखते हैं तो उनसे कई सवाल आपके हो सकते हैं, लेकिन उनके व्यक्तित्व का कोई सानी नहीं है. गांधी के गांधी बनने का बड़ा कारण था, अपनी आलोचना को शत्रुता न मानना. आश्चर्य नहीं कि उनके सबसे प्रिय लोगों में रवींद्रनाथ टैगोर और नेहरू उनके आलोचक भी थे. लेकिन आलोचक और निंदक में फर्क है. बस अगर यही फर्क हमने सीख लिया तो निश्चित रूप से हमें गांधीगीरी करने से फिर कोई नहीं रोक सकता.

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