नई दिल्ली. जो लोग बड़ी बड़ी अट्टालिकाओं में रहते हैं या गगनचुम्बी इमारतों के रहने वाले हैं उन सभ्य नागरिकों के लिए ये सर्दी सर्दी ही है, और ज्यादा कुछ नहीं. लेकिन वो आम किसम की जनता, जिसका आशियाना झोपड़ियों में है या सड़कों के फुटपाथों पर है, उनके लिए ये सर्दी ज़िंदगी का अभिशाप है. पेट की आग से रोज़ सुबह से शाम तक दो-चार करते इन लोगों को सर्दी जो पीड़ा पहुंचा रही है शायद उसकी कल्पना भी आसानी से नहीं की जा सकती.
जारी हो गया रेड अलर्ट
दिल्ली की सर्दी ने खून जमाने का इंतज़ाम कर लिया है. एक डिग्री के करीब पहुँच कर अब उसका सवाल है राजधानी की बहुसंख्यक आम जनता से कि ज़िंदगी जी के दिखाओ ज़रा! मौसम विभाग ने भी अपना कर्तव्य कर दिया है और रेड अलर्ट जारी करके सबको उस सर्दी के लिए चेताया है जो सुबह से शाम तक दिल्ली की जनता को पहले ही तकलीफ दे रही है.
इस बार नहीं हैं शीला के अलाव
दुखद है किन्तु सत्य है यह. शीला दीक्षित थीं तो कांग्रेसी मुख्यमंत्री लेकिन उन्होंने सर्दी में दिल्ली की दरिद्र जनता का कष्ट व्यक्तिगत रूप से महसूस किया था. इसलिए बताया जाता है कि उनके राज में दिल्ली में सर्दियों के समय चौराहों पर अलाव जला करते थे जिसकी लकड़ियाँ प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई जाती थीं. जिसको ताप कर रातें कटती थीं दिल्ली की आम जनता की. लेकिन अब न शीला हैं न वो अलाव.
टूट सकता है सौ सालों का रिकार्ड
पूरा उत्तर भारत है शीत लहर की चपेट में. दिसंबर महीने में इतनी सर्दी की उम्मीद मौसम विभाग को भी न रही होगी जितनी ये पिछले दस दिनों में परवान चढ़ी है. इस बार पहाड़ी राज्यों के मुकाबले दिल्ली की सर्दी कहीं अधिक डरावनी हो गई है. माना जा रहा है कि दिल्ली की ये सर्दी 118 साल का रिकॉर्ड तोड़ सकती है. अभी आने वाले दिनों में तापमान और ज्यादा गिर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो 1901 के बाद दूसरी बार ऐसा होगा जब दिसंबर का महीना दिल्ली के लिए इतना सर्द होगा.
दो दिनों के लिए है रेड अलर्ट
मौसम विभाग का कहना है कि दिल्ली में अगले दो दिन और भी भीषण सर्दी पड़ सकती है. इसलिए रेड अलर्ट जारी किया गया है, हालत ये है कि शनिवार की सुबह दिल्ली में कुछ स्थानों पर पारा गिर कर 1.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था.