जानवरों के इलाकों में इंसान का दखल कम होना चाहिए, शेर सफारी पर बोला हाईकोर्ट

सरकार ने दलील दी कि सफारी में इस्तेमाल किए जाने वाले शेर अनिवार्य रूप से पिंजरे में बंद जानवर होते हैं, जो पहले ही अपना शिकार कौशल खो चुके होते हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 27, 2021, 02:40 PM IST
  • जानिए क्या बोला गुजरात हाई कोर्ट
  • जानवरों को बताया शांति प्रिय
जानवरों के इलाकों में इंसान का दखल कम होना चाहिए, शेर सफारी पर बोला हाईकोर्ट

अहमदाबादः गुजरात हाई कोर्ट ने शेर सफारी के लिए गिर जंगलों में पर्यटकों की भीड़ जुटने पर चिंता जताते हुए कहा है कि एशियाई शेरों को शांति से रहने दिया जाना चाहिए और इंसानों और बिल्लियों की प्रजाति के इस विशालकाय जानवर के बीच संपर्क घटाया जाना चाहिए.

सरकार से नीति बनाने को कहा
न्यायमूर्ति जे पी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर मेहता की खंडपीठ ने इस संबंध में दूसरे देशों द्वारा अपनाए गए कदमों का अध्ययन करने के बाद इस मामले में सरकार से नीति बनाने के लिए कहा. 

कम से कम होनी चाहिए सफारी
गुजरात के गिरनार अभयारण्य में प्रस्तावित पर्यटन क्षेत्र का विरोध करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि गिर अभयारण्य में सफारी गतिविधियां न्यूनतम होनी चाहिए और सरकार को मनुष्यों और जानवरों के बीच संपर्क को कम करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए.

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इंसानों को हस्तक्षेप से बचना चाहिए
 उन्होंने कहा, “आपको इससे क्या मिलेगा? उन्हें शांति से रहने दें.” न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर उनका मानना है कि इंसानों को कभी भी जानवरों के साम्राज्य में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, “शेर और शेरनियों को शांति से रहने दें, आप उन्हें क्यों परेशान करते हैं? अगर किसी को उन्हें देखने की इच्छा है तो वे चिड़ियाघर जा सकते हैं. प्रकृति में हस्तक्षेप न करें.” 

होगा इसका बुरा असर
उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादा हस्तक्षेप से शेरों को मजबूरन आबादी क्षेत्रों की तरफ आना पड़ेगा. एक करतब के लिए एक शेर को एक जीवित गाय से फुसलाने की हालिया खबर का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति मेहता ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बड़ी बिल्लियों के शिकार कौशल को कम कर देंगे, और फिर वे मनुष्यों के लिए एक बड़ी समस्या पैदा करेंगे. 

सरकार ने दलील दी कि सफारी में इस्तेमाल किए जाने वाले शेर अनिवार्य रूप से पिंजरे में बंद जानवर होते हैं, जो पहले ही अपना शिकार कौशल खो चुके होते हैं. मामले में अगली सुनवाई तीन दिसंबर को तय की गई है.

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