नई दिल्लीः विश्व भर में कोरोना अपना कहर बरपा रहा है और आधे से अधिक देश इसकी चपेट में है. इसी बीच भारत ने इसे लेकर जिस तरह की सतर्कता बरती है उसे भी पूरी दुनिया में तवज्जो मिल रही है. भारत न सिर्फ अपने देश में बल्कि विश्व के अन्य देशों को भी इस आपदा से जुड़कर निपटने का आह्वान दिया है.
यानी कि संकट के इस कठिन दौर में भारत नेतृत्व के अहम मोड़ पर है और इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही है. यह महज कूटनीति नहीं बल्कि वक्त की जरूरत भी है. जहां अन्य देश कोरोना के कारण अधिक बुरी स्थिति में हैं वहीं भारत में इसके बढ़ते मामलों पर रोक लगाने में सफलता मिल रही है.
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भारत सरकार की ओर से चलाए गए जागरूकता अभियान लोगों को सतर्क करने में सक्षम साबित हो रहे हैं. इसके अलावा पीएम मोदी इसी के जरिए अपने कई मास्टर स्ट्रोक फैसले ले रहे हैं जो दुनिया भर में भारत की मजबूत छवि स्थापित कर रहे हैं. पीएम मोदी के हाल ही में लिए गए फैसलों पर डालते हैं एक नजर-
हाथ जोड़ने की बात को दुनिया में हाथों-हाथ अपनाया गया
कोरोना संकट के बीच सबसे चर्चित नमस्ते रहा है. अभिवादन और सम्मान का यह सबसे प्राचीन और भारतीय तरीका आज विश्वभर का ऑनर स्टेटस बन चुका है. बेंजामिन नेतन्याहू से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप तक बड़े-बड़े समारोहों और बैठकों में हाथ जोड़कर नमस्ते कहते हुए अभिवादन के तरीके को बढ़ावा दे रहे हैं.
इसके अलावा अन्य देशों ने भी अपने लोगों से अपील की है कि नमस्ते को अपनाना कोरोना से बचाव का एक सबसे प्रभावी तरीका है. एक झटके में दुनिया ने हैलो-हाय कहने और हाथ मिलाने के तरीके से किनारा कर लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि यह समय है कि पूरी दुनिया नमस्ते को अपना रही है, हम इसे बढ़ावा दें.
अब G20 का करेंगे नेतृत्व
दक्षेस (SAARC) की तरह ही G20 ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों को तवज्जो देते हुए उन्हें स्वीकार किया है. कोरोना वायरस के खिलाफ साझी रणनीति पर विचार के लिए संगठन में शामिल देशों के प्रतिनिधियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के आयोजन पर हामी भर दी है. जी20 का मौजूदा अध्यक्ष सऊदी अरब है.
#مجموعة_العشرين_في_السعودية تعقد قمة استثنائية للقادة الأسبوع القادم بشأن فيروس كورونا #COVID19.#G20VirtualSummit
— G20 Saudi Arabia (@g20org) March 17, 2020
यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने मंलवार को वहां के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बात की और कोरोना से लड़ने के लिए आपसी साझेदारी पर चर्चा की जरूरत पर जोर दिया.
G20 पर भारत का बुलावा, एक बड़ा बदलाव
अभी तक यह देखने में आता था कि जी20 देशों के बीच बतौर नेतृत्व कर्ता के तौर पर अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देश ही सामने आते थे. लेकिन कोरोना से उपजे इस आपातकाल में नेतृत्व की यह जिम्मेदारी खुद भारत ने उठाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व की इस जिम्मेदारी को बखूबी उठा रहे हैं.
जी20 देशों में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपियन संघ है.
सार्क की बैठक बुलाई, साथ मिलकर कोरोना से लड़ने का संदेश दिया
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्क देशों की बैठक बुलाई थी. उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए न्योता दिया गया था. इस बैठक का उद्देश्य था कि कोरोना के इस संकट से साथ-साथ निपटा जा सके. हालांकि सार्क देशों का समूह पिछले कुछ समय से कूलिंग पीरियड में था.
‘Come together’: PM @narendramodi tells SAARC countries; India offers USD 10mn for emergency coronavirus fund. https://t.co/hf4uC2371I
via NaMo App pic.twitter.com/y1uU40xADu
— PMO India (@PMOIndia) March 16, 2020
इसके इतर भारत सार्क से अधिक बिमस्टेक को तवज्जो दे रहा था. हालांकि मौके की नजाकत को समझते हुए पीएम मोदी ने खुद पहल की और लगे हाथ सार्क को दोबारा उठाने की कोशिश की, जो सफल रही. इस बैठक में पाकिस्तान को भी बुलाया गया था. जबकि पाकिस्तान में हुए सार्क सम्मेलन में भारत समेत बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने हिस्सा लेने से मना कर दिया था.
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टलता आ रहा था सार्क सम्मेलन, मोदी बने लीडर
इस समय सार्क देशों में भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका हैं. पाकिस्तान के कारण पिछले कुछ समय से सार्क सम्मेलन टल रहा था, लेकिन मौका देखते ही पीएम मोदी ने शानदार रणनीति के तहत सभी सार्क देशों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का न्योता दे दिया.
Some ideas on how SAARC nations can work together to tackle the COVID-19 Novel Coronavirus. pic.twitter.com/b9K8tpPSzr
— Narendra Modi (@narendramodi) March 15, 2020
यह इस समय बहुत जरूरी भी था, क्योंकि भारत की सीमाएं पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका से जुड़ती हैं. अफगानिस्तान और मालदीव से भी भारत का सीधा आना जाना है. ऐसे में इन देशों से कोरोना वायरस का संक्रमण आसानी से भारत पहुंच सकता है. इसे रोकने के लिए यह जरूरी था कि सभी पड़ोसी देश भारत की तरह की मजबूती से कोरोना वायरस के खिलाफ सख्त कदम उठाएं, ताकि एक दूसरे को इस महामारी से बचाया जा सके.
भारत की तैयारियों की हुई सराहना
कोरोना को लेकर भारत ने शुरुआत में ही जिस तरह से बचाव की तैयारियां कर लीं, इसे लेकर दुनिया भर में भारत की सराहना की गई. कहा गया कि भारत में इस संक्रामक बीमारी से निपटने की तैयारी अमेरिका-इंग्लैंड से भी अच्छी हैं. जहां अमेरिका जैसा सुपर पावर सिर्फ अपने ही नागरिकों को वापस लाने तक सीमित रहा, वहीं भारत ने अपने नागरिकों के साथ-साथ 10 से भी अधिक दूसरे देशों के नागरिकों को भी कोरोना प्रभावित देशों से निकाला.
इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं. भारत ने शुरुआत से ही आइसोलेशन कैंप की व्यवस्था कर दी थी, ताकि विदेश से निकाले गए लोगों और अन्य कोरोना संक्रमित लोगों को आइसोलेशन में रखा जा सके.
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