भारत के सामने अब भी छद्म युद्ध और सीमा पार आतंक की चुनौतियांः सीडीएस

सीडीएस बुधवार को एक सम्मेलन में पहुंचे थे. जनरल रावत ने यहां इस आलोचना को भी खारिज किया कि सशस्त्र बल जम्मू-कश्मीर में लोगों के अधिकारों का दमन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत और आतंकवाद के खतरों पर विचार करते हुए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 13, 2020, 07:05 AM IST
भारत के सामने अब भी छद्म युद्ध और सीमा पार आतंक की चुनौतियांः सीडीएस

नई दिल्लीः चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि भारत के सामने अब भी छद्म युद्ध और सीमा पार आतंकवाद जैसी अहम सुरक्षा चुनौतियां हैं. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि भारतीय सेना बदलाव के दौर में है, लेकिन उसे सीमा पार से आ रहे आतंक से निपटना है. 

सेना की आलोचना को किया खारिज
सीडीएस बुधवार को एक सम्मेलन में पहुंचे थे. जनरल रावत ने यहां इस आलोचना को भी खारिज किया कि सशस्त्र बल जम्मू-कश्मीर में लोगों के अधिकारों का दमन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत और आतंकवाद के खतरों पर विचार करते हुए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. भारत में कट्टरपंथी सोच बदलने वाले शिविर होने संबंधी विवादित टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनका मतलब था कि लोगों का उनके विचारों के आधार पर वर्गीकरण और युवाओं की कट्टरपंथी सोच को बदलने के अथक प्रयासों के प्रभाव का मूल्यांकन. 

उन्होंने कहा, 'जब मैंने शिविर कहा तो मेरा मतलब लोगों के समूह से था. पिछले महीने रायसीना संवाद में अपने संबोधन में जनरल रावत ने कहा था कि 10 और 12 साल आयु के लड़के-लड़कियों को घाटी में कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. इसे चिंता का विषय बताते हुए उनका कहना था, 'हमारे देश में कट्टरपंथी सोच को बदलने वाले शिविर चल रहे हैं. 

'भारत को वैश्विक शांति में बड़ी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत 
उभरते क्षेत्रीय सुरक्षा परिवेश के बारे में जनरल रावत ने कहा कि पश्चिम एशिया की तरह भारत के निकट पड़ोसियों से इतर घटनाएं देश के सुरक्षा हितों से टकरा सकती हैं. उन्होंने कहा, 'भारत को वैश्विक शांति के संदर्भ में बड़ी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है. हमें अपना प्रभाव बढ़ाना होगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या सीडीएस का पद सृजित करने से नौकरशाही की एक और परत बनी है, इस पर पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि यह लंबे समय से अटका प्रस्ताव था जिसका मकसद तीनों सेनाओं के कामकाज में ज्यादा एकीकरण सुनिश्चित करना है.

'हमारा ध्यान संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल पर
उन्होंने कहा कि सीडीएस और रक्षा सचिव दोनों की जिम्मेदारियां स्पष्ट हैं और दोनों सेना में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए आपसी समन्वय के साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा, 'भारतीय सशस्त्र बल बदलाव के मोड़ पर हैं. अगर हम युद्ध के भविष्य को देखें तो सेना को और मजबूत करना होगा. हमारी प्राथमिकता गुणवत्ता है, न कि संख्या.

जनरल रावत ने अलग लॉजिस्टिक कमांड के साथ-साथ वायु रक्षा कमांड की योजनाओं के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, 'हमारा ध्यान संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने पर होगा. सीडीएस ने यह भी कहा कि सशस्त्र बल चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं.

हमें क्षेत्रीय ताकत बनना है
चीन से प्रतिस्पर्धा पर जनरल रावत ने कहा, 'यह उनके और हमारे बीच नहीं है. चीन की महत्वाकांक्षा वैश्विक शक्ति बनना है. हमारी महत्वाकांक्षा क्षेत्रीय ताकत बनने की है. हमें हमारी सीमाओं, हमारे प्रायद्वीप, हमारे द्वीपों की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा की जरूरतों के लिए तैयार होना होगा. 

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