फिलिस्तीनी राजदूत से मुस्लिम नेताओं की मीटिंग, बाहर आकर मोदी को याद दिलाई वाजपेयी की ये बात

Muslim Leaders Met Palestinian Diplomats: देश के कई दलों और संगठनों के मुस्लिम नेताओं ने फिलिस्तीनी राजदूत से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने बयान जारी करते हुए भारत सरकार से फिलिस्तीन का समर्थन करने की मांग की है. उन्होंने इसके लिए महात्मा गांधी का हवाला भी दिया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 19, 2023, 02:58 PM IST
  • मुस्लिम नेता बोले- दुनिया के देश हस्तक्षेप करें
  • खून खराबा बंद हो जाना चाहिए
फिलिस्तीनी राजदूत से मुस्लिम नेताओं की मीटिंग, बाहर आकर मोदी को याद दिलाई वाजपेयी की ये बात

नई दिल्ली: Muslim Leaders Met Palestinian Diplomats: इजरायल और फिलस्तीन के बीच युद्ध जारी है. इस बीच भारत के मुस्लिम नेताओं ने एकजुटता दिखाई है. उन्होंने फिलस्तीन के पक्ष में बयान जारी करते हुए नेतन्याहू की सरकार की आलोचना की है. उन्होंने अपने संयुक्त बयान में कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि इजरायली सरकार कई सालों से फिलिस्तीनी नागरिकों को उनकी जमीन से बेदखल कर रही है. देश के नए इलाकों में इजरायल अपने नागरिकों को बसा रहा है. इजरायल के द्वारा पवित्र अल-अक्सा मस्जिद को भी नापाक बनाया जा रहा है. इजरायल सरकार धड़ल्ले से अंतरराष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ा रही है.

फिलस्तीनी राजदूत से हुई थी मीटिंग
दरअसल, कुछ दिन पहले ही देश के कुछ मुस्लिम नेताओं ने फिलिस्तीनी राजदूत अदनान मोहम्मद जाबेर अबुलहैजा से मुलाकात की थी. इसके बाद ही इन्होंने संयुक्त बयान जारी किया है. इन्होंने कहा, गाजा को लेकर बेहद चिंतित हैं. गाजा में बच्चों और महिलाओं की हत्या हो रही है. खाना-पानी और बिजली की सप्लाई को कट कर दिया है. इजरायल द्वारा किए गए ऐसे काम की हम सख्त निंदा करते हैं. बाकी देश हस्तक्षेप करें, ताकि ये खून- खराबा बंद हो.

भारत सरकार से की ये मांग
अपने संयुक्त बयान में मुस्लिम नेताओं ने भारत सरकार से भी एक मांग की है. उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि वे फिलस्तीन समर्थक विदेश नीति जारी रखें. महात्मा गांधी और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी स्वतंत्र फिलस्तीन के समर्थक थे.

संयुक्त बयान पर इनकी मुहर
इस संयुक्त बयान पर कई मुस्लिम संगठनों के हस्ताक्षर हैं. इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया उलेमा जमात-ए-इस्लामी, इमारत ए शरिया और मसाईख बोर्ड, मिल्ली काउंसिल के अध्यक्ष और वरिष्ठ प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं. वहीं, जमीयत अहल-ए-हदीस, जामा मस्जिद (शिया) और फतेहपुरी मस्जिद के इमाम और मजलिस-ए-मुशावरत के पूर्व अध्यक्ष के हस्ताक्षर भी हैं.

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