दिल्ली: देश भर में संसद से लेकर सड़क तक नागरिकता संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार और कांग्रेस के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है. एक तरफ जहां मोदी सरकार का दावा है कि इस बिल से प्रताड़ित शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलेगी वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ये कहकर इस बिल का विरोध कर रही है कि ये बिल धर्मनिरपेक्षता पर हमला है. सवाल ये है कि इस की मांग सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2003 में तत्कालीन अटल सरकार से की थी.


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18 दिसंबर 2003 को मनमोहन सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी से की थी मांग



मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था- ''मैं शरणार्थियों से हो रहे बर्ताव के बारे में कुछ कहना चाहता हूं, देश के बंटवारे के बाद बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों को आघात का सामना करना पड़ रहा है और यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि अगर हालात की वजह से लोगों को अपना देश छोड़ भारत में शरणार्थी बनना पड़ता है, तो ऐसे अभाग्य लोगों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया ज्यादा उदार होनी चाहिए. मैं उम्मीद करता हूं कि माननीय उप प्रधानमंत्री जी (लालकृष्ण आडवाणी) इसे ध्यान में रखेंगे और भविष्य़ में नागरिकता एक्ट को लेकर कदम उठाएंगे।''


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इसके बाद भी कांग्रेस कर रही है विरोध


मनमोहन सिंह के तब के बयान को भुलाकर आज कांग्रेस नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध कर रही है. कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों से बिल के खिलाफ वोट करने की अपील की है. कांग्रेस के कई नेता इस बिल पर चर्चा के दौरान सरकार को सिद्धांत याद दिलाते दिखे, लेकिन शायद वो खुद अपने वरिष्ठतम नेता की बात भूल गये. 


कपिल सिब्बल बोले, इतिहास बदला जा रहा



कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं. गृह मंत्री ने कहा था कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया. इस कारण हमें ये बिल लाना पड़ा है लेकिन टू नेशन की थ्योरी वीर सावरकर ने दी थी जिसे अमित शाह अपना आदर्श मानते हैं. आनन्द शर्मा ने कहा कि सरकार इस बिल के माध्यम से देश को बांटने और मुसलमानों को किनारे करने की साजिश कर रही है.


जेपी नड्डा ने किया मनमोहन के बयान का जिक्र



भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि18 दिसंबर 2003 को मनमोहन सिंह ने संसद में आडवानी जी से कहा था कि देश में बसे शरणार्थियों को स्थाई नागरिकता दी जाए. हमारी सरकार उन्हीं के सपने को पूरा कर रही है तो कांग्रेस को दर्द क्यों हो रहा है. नड्डा ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक की जब बात होती है उसका आधार एक ही है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर जिस अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव हुआ है और वे भारत में रह रहे हैं, उनको भारत की नागरिकता देना इस बिल का मकसद है.


अमित शाह बोले, देश के मुसलमान को कई खतरा नहीं


गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक चर्चा के लिए राज्यसभा में पेश करते हुए कहा कि भारत के मुसलमान देश के नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे. इस बिल से शरणार्थियों के ऊपर से घुसपैठिया का केस खत्म होगा. इस देश के मुस्लिमों का इससे कोई मतलब नहीं है. गृहमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में पहले 20 फीसदी अल्पसंख्यक थे, लेकिन आज 3 फीसदी ही बचे हैं. इस बिल के जरिए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को रियातत मिलेगी.