गांधीनगर: नानावटी जांच आयोग की रिपोर्ट बुधवार को गुजरात विधानसभा में पेश की गयी. गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने यह रिपोर्ट पेश करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आयोग ने दंगों के समय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी और उनके तीन मंत्रियों को क्लीनचिट दे दी है. इससे साफ है कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और यह मोदी और भाजपा को बदनाम करने की कांग्रेस की चाल थी.
आयोग ने बताया, राजनीति से प्रेरित नहीं थे दंगे
नानावटी आयोग की रिपोर्ट के तथ्यों की जानकारी देते हुए गुजरात के वर्तमान गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा कि 2002 में हुए दंगे पूर्व नियोजित या राजनीति से प्रेरित नहीं थे. कुछ लोगों ने इसे राजनीति से जोड़कर इसमें वोट बैंक तलाशने की कोशिश की थी.
इन मंत्रियों को भी मिली क्लीन चिट
नानावटी आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन गुजरात सरकार में मंत्री रहे अशोक भट्ट, भरत बारोट और हरेन पंड्या को भी आरोपों से मुक्त किया है. इस आयोग का गठन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने किया था. इसमें कहा गया है कि उक्त मंत्रियों की दंगों में कोई भूमिका नहीं थी.
2009 में पेश हुई थी पहली रिपोर्ट
नानवटी आयोग की पहली रिपोर्ट 25 सितंबर 2009 को गुजरात विधानसभा में पेश की गई थी. रिटायर्ड जस्टिस जीटी नानावती और जस्टिस अक्षय मेहता ने दंगों को लेकर 2014 में अपनी आखिरी रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी. दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. आयोग को 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों की जांच के लिए नियुक्त किया था.
अधिकारियों के आदेश पर हुआ था पोस्टमार्टम
आयोग ने बताया कि गोधरा स्टेशन पर सभी 59 कारसेवक के शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया था. ये नरेंद्र मोदी के आदेश पर नहीं बल्कि अधिकारियों के आदेश पर पोस्टमॉर्टम किया गया था. संजीव भट्ट ने जो आरोप लगाया था कि हिन्दुओं को अपना गुस्सा निकालने दिया जाए, ऐसा मोदी ने आदेश दिया है. इस पर आयोग का कहना है कि इस मीटिंग में ऐसे कोई आदेश मुख्यमंत्री के जरिये नहीं दिए गए थे. सरकार ने किसी भी तरह के बंद का ऐलान नहीं किया था.
गोधरा में ट्रेन में आग लगाने के बाद भड़के थे दंगे
उल्लेखनीय है कि साबरमती एक्सप्रेस में 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर आग लग गई थी. इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे.
गोधरा ट्रेन अग्निकांड में मारे गए अधिकतर लोग कार सेवक थे जो अयोध्या से लौट रहे थे. गौरतलब है कि 2002 में दंगों में गुजरात पुलिस पर इस मामले में निष्क्रिय रहने के आरोप लगे थे. तीन दिन तक चली हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए थे जबकि कई लापता हो गए.
आरोप लगते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी दंगाइयों को रोकने के लिए जरूरी कार्रवाई नहीं की. इन सभी आरोपों को आयोग ने खारिज कर दिया है.
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