नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद अब दिल्ली में भी हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी में दंगा आरोपियों के स्वामित्व वाले अवैध निर्माणों को गिराने के लिए बुलडोजर तैनात किए जा सकते हैं. उत्तरी दिल्ली नगर निगम (नॉर्थ एमसीडी) बुधवार को इलाके में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चला सकता है. एक जानकारी के अनुसार अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लिए निगम ने 20 अप्रैल व 21 अप्रैल को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस से मदद मांगी है. निगम ने पुलिस को पत्र लिखकर 400 पुलिसकर्मियों की टुकड़ी मांगी है, ताकि किसी भी तरह का हंगामे की स्थिति में स्थिति को नियंत्रित किया जा सके.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा खत
इस बीच मंगलवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम आयुक्त और मेयर को पत्र लिखकर जहांगीरपुरी इलाके में उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर बुलडोजर चलाकर अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की थी.
गुप्ता ने आग्रह किया कि असामाजिक तत्वों और दंगाइयों को स्थानीय आप विधायकों और निगम पार्षदों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण उन्होंने जहांगीरपुरी क्षेत्र में कई अवैध निर्माण और अतिक्रमण किए हैं. इसलिए, उनकी पहचान की जानी चाहिए और ऐसे निर्माणों को तोड़ा जाना चाहिए.
जहांगीरपुरी इलाके में एक 'शोभा यात्रा' पर कथित पथराव के बाद भड़की हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने अब तक कुल मिलाकर करीब 25 लोगों को गिरफ्तार किया है. व्यापक झड़पों में पुलिस सहित कई लोग घायल हो गए थे. दिल्ली पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार पांच आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया है. आरोपियों की पहचान अंसार, सलीम, इमाम शेख उर्फ सोनू, दिलशादी और अहिदी के रूप में हुई है.
जेआईएच ने पुलिस की 'ढिलाई' को जिम्मेदार ठहराया
उधर, जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी का दौरा किया, जहां 16 अप्रैल को दो समुदायों के सदस्यों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पुलिस की ढिलाई हिंसा के कारणों में से एक थी और यह एक 'सुनियोजित' घटना थी. संगठन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "जिस तरह से हिंसा हुई, उससे साफ पता चलता है कि यह अचानक नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया था."
यात्रा के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए जेआईएच के उपाध्यक्ष सलीम एम्गिनेर ने इस घटना को दर्दनाक, दुखद और एक सुनियोजित साजिश का परिणाम बताया. प्रतिनिधिमंडल ने कहा, "उस दिन हुई हिंसा से पहले माहौल खराब करने के लिए दो बार जुलूस निकाले गए. इफ्तार और नमाज के ठीक समय के दौरान जब तीसरा जुलूस निकाला गया, तो कुछ लोग अचानक तेज आवाज में संगीत बजाते हुए निकल आए."
"स्थानीय लोगों के अनुसार, जुलूस में शामिल हुए वही लोग भड़काऊ नारे लगा रहे थे. उनमें से कुछ ने हथियारों से लैस होकर जुलूस के दौरान खुलेआम उनकी ब्रांडिंग की. प्रतिनिधिमंडल को यह भी पता चला कि जुलूस की अनुमति नहीं दी गई थी और किसी भी अप्रिय घटना को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात नहीं किया गया था."
प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि पुलिस एकतरफा कार्रवाई से बचे और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे और जो भी दोषी है उसके खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कड़ी कार्रवाई करे.
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