नई दिल्ली: देश में साल 1987 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना की गई थी. पिछले एक वर्ष में इस प्राधिकरण ने देश के अंतिम छोर से लेकर सीमा तक स्थित गांव कस्बों तक अपनी पहुंच बनायी है. जिसके जरिए देश में विधिक सेवा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की उम्मीद पैदा हो रही है.
24 अप्रैल 2021 को जस्टिस एन वी रमन्ना देश के 48 वें मुख्य न्यायाधीश बने. जस्टिस रमन्ना के बाद वरिष्ठता के अनुसार जस्टिस उदय उमेश ललित सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज हो गए. जिसके बाद 17 मई 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस ललित को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण यानी नालसा का 30 वां कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया.
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज ही नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किये जाते हैं. और यहीं से शुरुआत हुई नालसा के एक नए अध्याय की.
देश के अंतिम छोर तक न्याय पहुंचाने का जुनून
जस्टिस यू यू ललित ने नवंबर 2021 में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में जी मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था कि उनका प्रयास है की देश के सुदूर गांव का आखिरी आदमी भी कानूनी मदद से वंचित नहीं रहना चाहिए. उनके ये शब्द केवल कथन नहीं बल्कि हकीकत बनकर सामने आए भी.
जस्टिस ललित ने कोविड प्रतिबंधों के खुलते ही देश के अंतिम छोर से लेकर सीमा पर स्थित गांव कस्बों तक विधिक सेवा के कार्यक्रम आयोजित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया. इसके लिए उन्होंने कुछ माह में ही हिमालय से लेकर कन्याकुमारी और कच्छ से लेकर गुवाहाटी के दूर दराज गांवों के हजारों किलोमीटर का सफर तय किया.
2 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नई दिल्ली में नालसा के 'पैन इंडिया लीगल अवेयरनेस एंड आउटरीच कैंपेन' का शुभारंभ किया. इस कैंपेन के तहत जस्टिस ललित के नेतृत्व में नालसा की टीम ने कई कार्यक्रमों की शुरुआत की. इसके तहत देशभर में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की योजना बनायी गयी. इस योजना पर सामुहिक देशभर में एक साथ प्रयास शुरू किये गये. इस अभियान में पैरा लीगल वालिन्टियर से लेकर न्यायिक अधिकारियों, हाईकोर्ट जजों, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ आम जनता ने भी उत्साह दिखाया.
कारगिल से कन्याकुमारी और कच्छ से माणा तक का सफर
देश के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी सुप्रीम कोर्ट जज ने कारगिल से लेकर कन्याकुमारी और कच्छ से माणा तक का सफर किया हो. जस्टिस ललित पहले सुप्रीम कोर्ट जज भी हैं जिन्होने कारगिल में बेहद कम तापमान में आयोजित विधिक सेवा शिविर में शिरकत की.
15 अक्टूबर 2021 को जस्टिस ललित ने यहां पर जागरूकता के लिए वाहन रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया. इस कार्यक्रम के दो सप्ताह बाद ही वे 30 अक्टूबर को वाराणसी में 'कानूनी जागरूकता के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण' विषय पर राष्ट्रव्यापी कानूनी जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ कर रहे थे, वही उसके अगले ही दिन 31 अक्टूबर 2021 को कन्याकुमारी में मेगा लीगल सर्विस कैंप का उद्घाटन करने पहुंचे.
जस्टिस ललित ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित हुए देशभर में 40 से ज्यादा कार्यक्रमों में शिरकत की. केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित वेल्लर क्राफ्ट गांव, महाराष्ट्र का बीड़, नागालैण्ड हो या फिर राजस्थान, गुजरात का कच्छ हो या फिर उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जस्टिस ललित विधिक सेवा से जुड़े हर दूसरे कार्यक्रम में शिरकत करते रहे. सोमवार से शुक्रवार तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करने के बाद अक्सर शनिवार और रविवार को वे इन कार्यक्रम का हिस्सा होते थे.
जस्टिस ललित बद्रीनाथ से 3 किमी ऊंचाई पर बसे भारत के आखिरी गांव माणा तक भी पहुंचे. वे यहां जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किये गये विधिक सेवा शिविर में शामिल हुए. माणा समुद्र तल से 19,000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है.
नालसा कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर जस्टिस ललित पिछले एक वर्ष में देश के 18 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा कर चुके हैं. संभवतया ऐसा करने वाले भी वे देश के एकमात्र जज हैं. इन राज्यों में आयोजित हुए छोटे से छोटे विधिक सेवा के विभिन्न कार्यक्रमों में जस्टिस ललित खुद शामिल हो रहे थें.
आपदा को बनाया अवसर- कोविड में राष्ट्रीय लोक अदालत
नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के साथ ही जस्टिस यू यू ललित ने देशभर के राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को अपडेट करना शुरू कर दिया. कोविड काल के दौरान नालसा ने कई तरह के कार्य शुरू किये थे. लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी बेहद कुछ किया जाना बाकी थी. वर्चुअल मोड से देशभर की अदालतों में सुनवाई हो रही थी लेकिन लोक अदालत के जरिए मामलों के निस्तारण की गति धीमी हो चुकी थी.
वर्ष 2020 में पूरे वर्ष में दो राष्ट्रीय लोक अदालत में करीब 20 लाख मुकदमे ही निस्तारित हो पाए थे. वहीं वर्ष 2021 में 10 अप्रैल में आयोजित पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में भी 4 लाख से कुछ अधिक मामले ही निस्तारित हो पाए थे.
ऐसे में जस्टिस ललित ने नालसा को एक बेहतरीन अवसर मानते हुए राष्ट्रीय लोक अदालत का रिकॉर्ड लक्ष्य तय किया. राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए खुद जस्टिस ललित ने सभी राज्यों के अधिकारियों से लेकर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हाईकोर्ट जजों से सीधा संवाद स्थापित किया.
यह पहली बार था कि कार्यकारी अध्यक्ष के नाते जस्टिस ललित खुद वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोक अदालतों के कामकाज की निगरानी कर रहे थे. यहां तक की वे लोक अदालत के दौरान पक्षकारों से भी मुखातिब हो रहे थे. उन्होने अपनी पहली लोक अदालत में ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात की लोक अदालत में सुनवाई करते हुए पीठासीन अधिकारियों, हाईकोर्ट जजों और पक्षकारों से सीधे बात की.
बेशक इस मामले में केन्द्र सरकार के कानून मंत्रालय और कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अहम भूमिका निभाई. रिजिजू नालसा की ओर से देशभर में आयोजित हुए कई कार्यक्रम में खुद भी शामिल हुए.
2021 में 3 लोक राष्ट्रीय लोक अदालतों में 1.23 करोड़ मुकदमे
कार्यकारी अध्यक्ष बनने के मात्र 23 दिन बाद ही जस्टिस यू यू ललित के नेतृत्व में 10 जुलाई 2021 को पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. कोविड महामारी के बाद ये वर्ष 2021 की दूसरी और जस्टिस ललित के नेतृत्व में पहली राष्ट्रीय लोक अदालत थी. वर्चुअल और हाइब्रिड दोनों मोड में देशभर के 32 राज्यों में आयोजित की गयी इस राष्ट्रीय लोक अदालत के सकारात्मक नतीजे सामने आए.
इस लोक अदालत में एक ही दिन में कुल 27 लाख 6 हजार से अधिक मुकदमों का निस्तारण किया गया. इसके बाद 11 सितंबर को वर्ष की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 41.11 लाख मुकदमों का निस्तारण हुआ. 12 दिसंबर को आयोजित हुई वर्ष 2021 की अंतिम और चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में भी 54.85 लाख से अधिक प्रकरणों का निस्तारण किया गया.
इस तरह जस्टिस ललित की नियुक्ति के बाद वर्ष 2021 की इन 3 राष्ट्रीय लोक अदालतों में कुल 1 करोड़ 27 लाख से अधिक प्रकरणों का निस्तारण किया गया. जिसमें 55 लाख से अधिक मुकदमों कई वर्षो से अदालतों में लंबित मुकदमे थे.
वर्ष 2022 में बन गया नया रिकॉर्ड
वर्ष 2021 में राष्ट्रीय लोक अदालत में मिली सफलता ने देशभर के विधिक सेवा से जुड़े पीएलवी से लेकर पीठासीन अधिकारियों को प्रोत्साहित किया. 12 मार्च को वर्ष 2022 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसमें कुल 77.95 लाख मुकदमों के निस्तारण के साथ ही 1419 करोड़ के अवार्ड पारित किये गये. निस्तारित किये गये मुकदमों में 16.69 लाख प्री लिटिगेशन और 82363 पेंडिंग मुकदमें शामिल थे. राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए ये आंकड़े एक नया कीर्तिमान बनाने जा रहे थे.
वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत दो हिस्सों में आयोजित की गयी. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मई और जून में आयोजित हुई दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 95.75 लाख मुकदमों का निस्तारण किया गया. जिसमें 28,71,919 लंबित और 67,03,824 के प्री लिटिगेशन के मुकदमे शामिल थे. वही इन केसो में कुल 9413.62 करोड़ के अवार्ड जारी किये गये.
वर्तमान में करीब 4.78 करोड़ मुकदमे देशभर की अदालतों में लंबित है.जस्टिस ललित के नेतृत्व में वर्ष 2022 में अब तक दो राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया जा चुका हैं. मार्च और मई-जून माह में आयोजित हुई इन लोक अदालतों में रिकॉर्ड 1 करोड़ 73 लाख से अधिक मुकदमों का निपटारा किया गया है. इन राष्ट्रीय लोक अदालतों में निस्तारित हुए मुकदमों की संख्या देश की अदालतों में लंबित कुल मुकदमों का करीब 36.19 प्रतिशत है.
इस तरह बदली तस्वीर
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद तहसील से लेकर जिला स्तर और जिले से लेकर राज्य स्तर के विधिक सेवा प्राधिकरणों में बड़े बदलाव हुए. तहसील से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विधिक सेवा की टीम के सदस्यों को खुद जस्टिस ललित ने बातचीत कर प्रोत्साहित करने में कोई कमी नहीं रखी. सामुहिक प्रयासों से देशभर में राष्ट्रीय लोक अदालत एक उत्सव बन गया जिसके नतीजों ने सभी को चौका दिया है.
जस्टिस ललित के नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद अब तक 5 राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन हो चुका है. और इन 5 राष्ट्रीय लोक अदालतों में कुल 2 करोड़ 96 लाख से अधिक मुकदमों का निस्तारण किया गया है. इनमें 1 करोड़ 90 लाख से अधिक प्री लिटिगेशन के मुकदमे शामिल है जो अदालतों तक पहुंचने से पहले ही निस्तारित किये गये.
इस तरह देश की अदालतों में मुकदमों की एक बड़ी संख्या पहुंचने से पूर्व ही निस्तारित कर दी गयी है. जिससे ना केवल अदालतों पर आने वाला बोझ कम हुआ है बल्कि इन केस से जुड़े करोड़ लोग भी लाभान्वित हुए हैं.
इससे भी देश की अदालतों में सालों से पेंडिंग पड़े 1 करोड़ 4 लाख से अधिक मुकदमों के निस्तारण से भी एक नई तस्वीर उभरी है. अब तक देश की अदालतों में पेंडेंसी की बात होती रही है लेकिन ये पहली बार है कि राष्ट्रीय लोक अदालतों की वजह से अब केसों के निस्तारण की बात होने लगी है और अदालतों को लेकर यहीं वो तस्वीर है जो बदलने लगी है.
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