नई दिल्ली: काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) मंदिर को अप्रैल महीने में रिकॉर्ड 5.45 करोड़ रुपये का दान मिला है. पिछले साल दिसंबर में मंदिर परिसर को अपने नए अवतार में फिर से खोलने के बाद यह एक तरह का रिकॉर्ड है.
दान में मिला था 120 किलोग्राम सोना
वाराणसी के संभागीय आयुक्त दीपक अग्रवाल ने कहा कि इससे पहले मंदिर को दक्षिण के एक व्यवसायी से 120 किलोग्राम सोना दान में मिला था, जिन्होंने अपना नाम न उजागर करने की शर्त रखी थी. विश्वनाथ धाम मंदिर के लिए दान ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी किया जा सकता है.
आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर, 2021 को काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया था. आपको बताते हैं कि यह मंदिर कैसे-कैसे दौर से गुजरा है.
काशी की अलौकिक धरोहर है ये मंदिर
मान्यता है कि देवताओं और मंदिरों के शहर काशी में सभी देवी-देवता बसते हैं, लेकिन दुनियाभर में ये बाबा विश्वनाथ की नगरी के नाम से भी मशहूर है. लोग काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए पूरी दुनिया से बनारस आते हैं. यहां गंगा स्नान करते हैं, दर्शन और पूजा पाठ के साथ-साथ काशी के घाटों पर होने वाली गंगा आरती में शामिल होते हैं.
कई लोगों का मानना है कि काशी की पवित्रता, काशी की सभ्यता और संस्कृति के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की गई. इसके बाद आज काशी में इस धाम के भव्य निर्माण को लेकर हर किसी में खासा उत्साह है.
नहीं तोड़ पाए थे विशाल नंदी की प्रतिमा
औरंगजेब के आदेश के बाद 1669 में मुगल सेना ने विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त कर दिया था. स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को बचाने के लिए मंदिर के महंत शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे. हमले के दौरान मुगल सेना ने मंदिर के बाहर स्थापित विशाल नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन वे असफल रहे.
मंदिर टूटने के 125 साल तक कोई विश्वनाथ मंदिर नहीं था. इसके बाद साल 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया. 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने इसके शिखर पर सोना मढ़वाया था. इसके चलते प्रसिद्ध धार्मिक स्थल को ‘स्वर्ण मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है. कई पुराने नक्शों में इस नाम का उल्लेख देखा जा सकता है.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर करीब सवा 5 लाख स्कवायर फीट में बनाया गया है. ऐसे में मंदिर का काम पूरा होते ही अप्रैल माह में 5.45 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड डोनेशन मिला.
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