नई दिल्ली. केरल की पी. विजयन सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ अड़ गई है. पहले ही यहां के मुख्यमंत्री पी विजयन ने साफ़ कर दिया था कि वे इस क़ानून को अपने राज्य में हरगिज लागू होने नहीं देंगे. अब इस पर एक कदम आगे बढ़ कर वे सर्वोच्च न्यायालय भी पहुंच गए हैं. लेकिन ये बात केरल के राजयपाल आरिफ मुहम्मद खान को नागवार गुज़री.
केरल सीएए पर सुप्रीम कोर्ट जाने वाला प्रथम राज्य
भारत के कई राज्यों में नए नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध चल रहा है. पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों ने केरल की तरह ये घोषणा कर दी है कि वे इस क़ानून को नहीं मानते और इसे अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगे. अब केरल के सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने के बाद वह देश का ऐसा प्रथम राज्य बन गया है जिसने क़ानून के खिलाफ न्याय के सबसे बड़े द्वार पर दस्तक दी है.
''मैं सिर्फ रबर स्टैंप नहीं''
नागरकिता संशोधन क़ानून के खिलाफ केरल सरकार के सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने पर आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य सरकार के प्रति अपनी नाराज़गी जता दी है. केरल के राजयपाल आरिफ मुहम्मद खान का बयान आया है कि कोई ये न समझे कि वे सिर्फ रबर स्टैम्प हैं. उन्होंने कहा कि यह राजकीय शिष्टाचार होता है कि राज्य सरकार कोर्ट जाने से पहले उनसे अनुमति ले. सरकार के पास कोर्ट जाने का अधिकार तो है किन्तु ऐसा करने से पहले राज्यपाल को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी.
''प्रोटोकॉल और तहजीब का उल्लंघन है ये''
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ऐसा करके केरल सरकार ने प्रोटोकॉल और तहजीब का उल्लंघन किया है. उन्होंने आगे कहा कि मैं देखूंगा हूँ कि क्या ऐसा होता है कि राज्य सरकार राज्यपाल की मंजूरी के बिना सुप्रीम कोर्ट चली जाए? अगर मंजूरी नहीं लेनी थी तो कोई बात नहीं, कम से कम प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए जानकारी तो देनी चाहिए थी.
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