नई दिल्ली: Mahatma Gandhi death anniversary 2022: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कई पन्ने हैं जिन्हें खोलते हुए आज भी देशवासियों की पलकें भींग जाती हैं. ऐसा ही एक इतिहास है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या का. 30 जनवरी 1948 को प्रातः दिल्ली के बिड़ला हाउस स्थित प्रार्थना स्थल पर ही नाथूराम गोडसे ने लगातार तीन गोलियां दाग कर उस इंसान की जिंदगी छीन ली थी. आइए जानते हैं कौन था वो, आखिर क्या ऐसा कारण रहा कि उसने तात्कालिक समय के विश्व भर में सबसे लोकप्रिय नेता की हत्या की.
गोडसे का जन्म ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसिडेंसी के पुणे जिले के अंतर्गत बारामती में हुआ था. 19 मई 1910 बारामती के विनायक वामनराव गोडसे और लक्ष्मी देवी के घर में जन्मे इस बालक का नाम रखा गया रामचन्द्र. यही बच्चा आगे चलकर इतिहास में नाथूराम गोडसे के नाम से जाना गया.
औपचारिक शिक्षा
गोडसे की शिक्षा आठवीं कक्षा तक ही हो पाई. उसके बाद उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में रुचि लेना शुरू कर दिया था.
राजनीतिक कैरियर
गांधी जी की हत्या करने वाले गोडसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य थे साथ ही वो हिन्दू महासभा से जुड़ गए.
क्यूँ मारा गांधी को
नाथूराम गोडसे उग्र हिंदूवादी विचारधारा से प्रभावित था. गोडसे को लगता था कि गांधी जी मुस्लिमों को हिंदुओं की अपेक्षा ज्यादा तवज्जो देते हैं. इसके साथ ही वह भारत- पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर भी गांधी जी को दोषी मानता था.
क्या हुआ था उस दिन
30 जनवरी 2948 को गांधी जी प्रातः प्रार्थना के लिए बिड़ला हाउस पहुंचे. उस दिन पटेल से हुई बातचीत के कारण गांधी जी खुद 15 मिनट लेट हो गए थे.
वो अभी प्रार्थना स्थल के अपने आसन पर बैठ ही रहे थे कि तभी भीड़ से निकलकर नाथूराम गोडसे ने पहले गांधी जी को प्रणाम किया और फिर लगातार तीन गोलियां दागकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
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