नई दिल्ली: माता वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं के लिए खुशी की घड़ी आ गई है. यात्रा की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन इस बार कोरोना संकट को देखते हुए काफी कुछ बदलाव किए गए हैं. आने जाने के लिए अलग-अलग ट्रैक बनाए गए हैं.
आने जाने के लिए अलग-अलग ट्रैक
पहुंचने के लिए पुराना रूट- बाणगंगा-अर्धकुवारी-सांझीछत
वापस आने के लिए नया रूट- हिमकोटी ताराकोट रूट
कोरोना संकट में यात्रा अनुमति... माँ वैष्णो देवी के भक्तों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है. अपनी अराध्य माँ वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए बहुत दूर दूर से खिंचे चले आते हैं. क्या भारत और क्या विदेश, माँ के भक्तों की आस्था ऐसी है कि दर्शनों के लिए वैष्णो देवी यात्रा साल के 12 महीने बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं से लगातार चलती रहती है. कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन के चलते क़रीब 5 महीना यह यात्रा ज़रूर रूकी रही, लेकिन इसके बावजूद माता वैष्णों के भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं आई.
माता के दर्शन के लिए बदल गया रूट
माता के दर्शन के लिए आने जाने के अलग अलग ट्रैक रखे गए है. कटरा से भवन तक जाने के लिए वाया बाणगंगा अर्धकुवारी सांझीछत पुराना रूट रखा गया है. जबकि वापस आने के लिए हिमकोटी ताराकोट रूट को रखा गया है, यह नया रूट है.
जम्मू-कश्मीर के बाहर से आने वाले भक्तों को कोरोना टेस्ट करवाकर आना पड़ेगा. उनके टेस्ट की रिपोर्ट को देखने के बाद ही आगे जाने की इजाजत दी जाएगी. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के रेड जोन एरिया में रहने वाले भक्तों को भी इसी तरह से रिपोर्ट दिखाकर आगे जाने दिया जाएगा. रूट पर कई जगह थर्मल स्क्रनिंग होगी.
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माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड पहले ही साफ कर चुका है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा उसकी ना सिर्फ उसकी पहली बल्कि सबसे ज़रूरी प्राथमिकता है और इसे लेकर कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी.
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