फिर उबली धर्म की सियासत, सत्ता गयी तो महबूबा को आई मुसलमानों की याद !

जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया है तब से महबूबा मुफ्ती मुसलमानों को भड़काने के उद्देश्य से अजीबोगरीब ट्वीट कर रही हैं. इस बार उन्होंने मोदी सरकार को निशाने पर लेने के बहाने हिंदुस्तान के मुसलमानों के विषय में विवादित बात ट्वीट की है जिस पर राजनीतिक विवाद शुरू हो सकता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 5, 2019, 02:17 PM IST
    • नागरिकता संशोधन विधेयक के संदर्भ में कही ये बात
    • संसद में पास कराने के लिये पहले भी पेश हो चुका है विधेयक
    • नागरिकता संशोधन विधेयक की अहम बातें
फिर उबली धर्म की सियासत, सत्ता गयी तो महबूबा को आई मुसलमानों की याद !

दिल्ली: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत अब मुसलमानों के रहने लायक नहीं रहा. जानकारी के मुताबिक  महबूबा मुफ्ती का ट्विटर उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती चलाती है. आपको बता दें कि उन्होंने ये ट्वीट नागरिकता संशोधन विधेयक के संदर्भ में किया है. सरकार को निशाने पर लेने के लिये वो अक्सर मुसलमानों का सहारा लेती हैं.

 नागरिकता संशोधन विधेयक के संदर्भ में कही ये बात

महबूबा मुफ्ती ने ये बात नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कही है. इस विधेयक में पड़ोसी देशों में प्रताड़ित गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. विपक्ष का कहना है कि गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देना मुसलमानों के साथ अन्याय है. महबूबा की जब से सत्ता गयी है और मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया है तब से महबूबा मुफ्ती अपनी राजनीति चमकाने के लिये मुसलमानों के सहारा लेती हैं. इस बार उन्होंने कहा कि पूरा भारत मुसलमानों के रहने लायक नहीं रहा.

नागरिकता संशोधन विधेयक की अहम बातें

इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाना है. मौजूदा समय में किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 12 सालों में से 11 सालों तक यहां रहना अनिवार्य है. इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया जायेगा. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसे सदन में अगले हफ्ते सदन के पटल पर रखा जा सकता है.

संसद में पास कराने के लिये पहले भी पेश हो चुका है विधेयक 

आपको बता दें कि इस विधेयक को 19 जुलाई, 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था और 12 अगस्त, 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था. कमिटी ने 7 जनवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. उसके बाद अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2019 को विधेयक को लोकसभा में पास किया गया, लेकिन उस समय राज्यसभा में यह विधेयक पेश नहीं हो पाया था.

यह भी पढ़ें नागरिकता संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार और विपक्ष में तकरार जारी

ट्रेंडिंग न्यूज़