आधी रात का धोखा: चमगादड़ चीन ने किया था कायराना हमला

झड़प नहीं ये हमला था. पंद्रह जून की रात को धोखे से बीस भारतीय जवानों पर किया गया हमला शातिर चीन के कायराना चेहरे का घटिया प्रतिबिम्ब है. चीनी सैनिकों से बात कर रहे बीस भारतीय जवानों पर अचानक तीन सौ गैर-बारुदी हथियारों से लैस चीनी सैनिकों ने रात के अंधेरे में  कर दिया धोखे से हमला. सोची-समझी साजिश नजर आने वाले इस धोखेबाज हमले में बीस भारतीय सैनिकों की जान ले कर कायर चीन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि उस पर यकीन नहीं किया जा सकता चाहे वह बातचीत की टेबल हो या जंग का मैदान हो..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Jun 17, 2020, 12:36 PM IST
    • चीनी सैनिकों ने धोखे से किया था भारतीय जवानों पर हमला
    • आधी रात के आसपास किया था कायराना हमला
    • कील लगे डंडे और कंटीले तार लपेटे लोहे की रॉड थे हथियार
    • पचपन भारतीय जवानों ने किया मुकाबला तीन सौ चीनियों को
आधी रात का धोखा: चमगादड़ चीन ने किया था कायराना हमला

नई दिल्ली.   सनातनकाल से शांति के विश्वदूत भारत को अब अपने तेवर बदलने होंगे. हम भारतीय नियम-कायदों में विश्वास रखते हैं, सिद्धांतों पर चलते हैं और यही अपेक्षा सामने वाले से करते हैं. किन्तु हम भूल जाते हैं कि कभी कभी जंग के मैदान में जानवर भी होते हैं. चरित्र के युद्धक्षेत्र में चीन एक जानवर शत्रु है, इसके साथ व्यवहार हमें यही बात ध्यान में रख कर करना होगा. जानवर कब झपट पड़े, कब पलट के काट ले, कब पागल हो जाये और कब हमारे डंडे से दुम दबा कर पेट दिखा दे - ये हमें जानना होगा और बेहतर शब्दों में कहें तो यह हमें सीखना होगा कि इन जानवरों की सेना पर हमला सुरक्षा का सबसे कामयाब तरीका है.

 

ऐसे हुआ कायराना हमला

लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ धोखा हुआ और असावधान भारतीय जवानों पर हमला किया चीनी सैनिकों ने.भारतीय कमान्डिंग ऑफीसर कर्नल संतोष बाबू अपने बीस जवानों के साथ पैट्रोलिंग पॉइन्ट फोर्टीन पर मौजूद थे और तब सामने मौजूद बटालियन कमान्डर के साथ रुके हुए चाइनीज सैनिकों के निकट जा कर उन्होंने उनसे ये कहना शुरू किया कि जैसी बात हुई है और जैसा तय हुआ है आप लोग पीछे हटें और अप्रेल वाली अपनी पुरानी स्थिति पर पहुंचे. दोनो तरफ से बातचीत चल ही रही थी कि अचानक चीन की तरफ से हमला कर दिया गया.

रात साढ़े ग्यारह बजे हुआ था हमला

 समय था रात का करीब साढ़े ग्यारह बजे का. माइनस वाले टेम्परेचर की खून जमा देने वाली सर्दी में चीन के तीन सौ सैनिकों ने अचानक 16 बिहार रेजीमेन्ट के कमान्डिंग ऑफीसर कर्नल संतोष बाबू और उनके साथ मौजूद पचपन जवानों पर हमला कर दिया. भिड़न्त की कहीं दूर-दूर तक आशंका नहीं थी और ऐसे में अंधेरे में दूर से आकर अचानक झपट पड़े चीनी सैनिकों ने गैर-बारूदी हथियारों से कर दिया हमला.

 

कील लगे डंडे और कंटीले तार लपेटे लोहे की रॉड थे हथियार

अचानक धोखे से हमला करने वाले चीनी सैनिक कील लगे डंडे और कंटीले तार लपेटे लोहे की रॉड ले कर आये थे. चीनी फौजी हाथों में कीलों वाले दस्ताने भी पहने हुए थे. भारतीय कमान्डिंग ऑफीसर और उनके साथ आये जवान जब तक कुछ समझते हमला बहुत घातक हो चुका था. और जब तक भारतीय सेना के बाकी जवान आकर मोर्चा सम्हालते, बहुत देर हो चुकी थी. भारतीय दल को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किये गये इस धोखेबाज हमले में कर्नल संतोष बाबू, हवलदार पालानी और सिपाही कुंदन झा वीरगति को प्राप्त हुए और सत्रह अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हुए.

भारतीय जवानों ने किया पलटवार

इसी दौरान पीछे से आगे आये पैंतीस भारतीय जवान अपने साथियों के बहते लहू से इस कदर क्रुद्ध हुए कि उसके बाद चोर चीन के बौने सैनिकों पर उनका जोरदार पलटवार बहुत भारी पड़ा. और अगले दिन अर्थात सोलह जून को जानकारी मिली कि बहुत से घायल सैनिकों वाले चीनी पक्ष के 43 जवानों को ढेर कर दिया था भारत के जवानों ने और मारे गये चीनियों में चीनी कमान्डिंग ऑफीसर भी शामििल था. अगले दिन अर्थात सोलह जून की शाम को सत्रह घायल भारतीय जवानों ने भी दम तोड़ दिया. इस तरह इस धोखेबाजी वाले इस चीनी हमले में  कुल 20 भारतीय जवानों का बलिदान हुआ जिनमें कर्नल रैंक के एक अधिकारी भी थे.

(यह पूरा घटनाक्रम सूत्रों से मिली जानकारी पर आधारित है)  

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