नई दिल्लीः भगवान शिव को देवों के देव महादेव ही नहीं कहा जाता है बल्कि उन्हें उनके व्यक्तित्व के कई गुणों की वजह से भी सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. कभी वो सौम्य-शांत है तो कभी वो अत्यंत क्रोधी. उनके व्यक्तित्व से काफी कुछ सीखा जा सकता है. वहीं सोमवार के दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं.
सोमवार के दिन सूर्योदय के समय शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करें. प्रदोष काल में शहद की धारा अर्पित करें. रुद्राक्ष की माला से सुबह-शाम ऊं नमो धनदाय स्वाहा मंत्र का जप करें.
कैसे बने रह सकते हैं सकारात्मक
वहीं भगवान शिव के व्यक्तित्व की बात करें तो ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास बताते हैं कि समुद्रमंथन से जब विष बाहर आया तो सभी ने कदम पीछे खींच लिए थे क्योंकि विष कोई नहीं पी सकता था. ऐसे में महादेव ने स्वयं विष (हलाहल) पिया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया. इस घटना से बहुत बड़ा सबक मिलता है कि हम भी जीवन में आने वाली नकरात्मक चीजों को अपने अंदर रखकर या इससे गुजरते हुए भी जीवन की सकरात्मकता बनाए रख सकते हैं.
कैसे खुद को कर सकते हैं नियंत्रित
शिव से बड़ा कोई योगी नहीं हुआ. किसी परिस्थिति से खुद को दूर रखते हुए उस पर पकड़ रखना आसान नहीं होता है. महादेव एक बार ध्यान में बैठ जाएं तो दुनिया इधर से उधर हो जाए लेकिन उनका ध्यान कोई भंग नहीं कर सकता है. शिव का यह गुण हमें जीवन की चीजों पर नियंत्रण रखना सिखाता है.
बाहरी सुंदरता की जगह गुणों को चुनना
शिव का संपूर्ण रूप देखकर यह संदेश मिलता है कि हम जिन चीजों को अपने आस-पास देख भी नहीं सकते, उसे उन्होंने बड़ी आसानी से अपनाया है. उनके विवाह में भूतों की मंडली पहुंची थी. शरीर में भभूत लगाए भोलेनाथ के गले में सांप लिपटा होता है. बुराई किसी में नहीं बस एक बार आपको उसे अपनाना होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)
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