पीएम मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति के आगे उग्रवादी नतमस्तक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व का लाभ हिंदुस्तान को बहुत बड़ी मात्रा में मिल रहा है. मोदी सरकार के कड़े फैसलों के कारण  उग्रवादियों को भारत के आगे झुकना पड़ा है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 15, 2020, 05:44 PM IST
    • नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व का लाभ हिंदुस्तान को बड़ी मात्रा में मिल रहा
    • 22 उग्रवादियों को म्यांमार सरकार ने भारत को सौंप दिया
    • पूर्वोत्तर में उग्रवाद की कमर टूटी
पीएम मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति के आगे उग्रवादी नतमस्तक

नई दिल्ली: निर्दोष लोगों को निशाना बनाने वाले कट्टरपंथी उग्रवादियों ने भारत के सामने घुटने टेक दिये हैं. भारत और म्यांमार की सीमा पर नुकसान पहुंचाने के लिए भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर हमला करने वाले 22 उग्रवादियों को म्यांमार सरकार ने भारत को सौंप दिया है. भारत की इस महान सफलता के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल की मेहनत और कुशल कूटनीति का योगदान है.

पूर्वोत्तर में उग्रवाद की कमर टूटी

म्यांमार द्वारा 22 खूंखार उग्रवादियों के भारत के सामने आत्मार्पित करने से पूर्वोत्तर के राज्यों में जो हिंसा की जाती थी, उस हिंसात्मक वातावरण का लाभ उठाने वाले उग्रवादी संगठनों की कमर टूट गयी है. भारत को सौंपे गए उग्रवादियों को मणिपुर और असम की पुलिस को सौंपा जाएगा. जहां इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

असम और मणिपुर की पुलिस करेगी कानूनी कार्रवाई

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीड डोभाल इस ऑपरेशन को खुद लीड कर रहे थे और सभी सरकारी और गैर सरकारी गतिविधियों पर उनकी पैनी नजर थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को परोक्ष रूप से बताया कि विशेष विमान से भारत आ रहे इन उग्रवादियों में से कुछ को पहले मणिपुर की राजधानी इंफाल मे उतारा जाएगा. बचे हुए उग्रवादियों को गुवाहाटी में स्थानीय पुलिस को सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि म्यांमार सरकार ने पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों के नेताओं को सौंपने के भारत के अनुरोध पर काम किया है.

भारत और म्यांमार के संबंधों में आयेगी ऐतिहासिक मजबूती

जानने योग्य बात ये है कि 22 उग्रवादियों को भारत के हवाले2करके म्यांमार ने भारत म्यांमार संबंधों को ऐतिहासिक मजबूती प्रदान की है. आने वाले समय में हिंदुस्तान को इसका बड़ा लाभ होगा.

ये भी पढ़ें-  आर्थिक पैकेज: कृषि विकास के लिए 1 लाख करोड़ का प्रावधान, जानिये अहम घोषणाएं

गौरतलब है कि 2018 में भारतीय सेना ने म्यांमार सेना की सहयोग से पूर्वोत्तर में एक सर्जिकल स्ट्राइक को भी अंजाम दे चुकी है. इसमें बड़ी संख्या में उग्रवादी मारे गए थे. ये सभी उग्रवादी भारत द्वारा बनाए जा रहे एक महत्वकांक्षी सड़क निर्माण प्रक्रिया में बार-बार बाधा डाल रहे थे. अब इन उग्रवादियों के पकड़े जाने से पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति बहाली करने में सरकार और सैन्य बलों को मदद मिलेगी.

आपको बता दें कि म्यांमार से भारत सौंपे गए उग्रवादियों में एनडीएफबी (एस) का कथित गृह सचिव राजेन डाइमरी, यूएनएलएफ का कैप्टन सनतोम्बा निंगथौजम शामिल हैं. इनके अलावा एक और उग्रवादी संगठन का कमांडर परशुराम लेशराम शामिल है. इन 22 विद्रोहियों में से 4 मणिपुर के चार विद्रोही गुटों के सदस्य हैं जबकि अन्य 10 असम के विद्रोही गुटों के सक्रिय सदस्य हैं.

ट्रेंडिंग न्यूज़