नई दिल्ली: अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स को, चीन के चंदे पर पलने वाले न्यूयॉर्क टाइम्स को, भारत में ही ऐसा पत्रकार क्यों ढूंढ रहा है, जो उसे दुष्प्रचार का एजेंडा चलाने में पूरी मदद दे. भारत में बैठकर ही भारत को गाली देने में मदद करे. न्यूयॉर्क टाइम्स में भारतीय पत्रकारों के लिए आवेदन निकाला है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की करतूतों का कच्चा चिट्ठा
सोचिए ऐसा क्यों था कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले को न्यूयॉर्क टाइम्स ने आतंकवादी हमले की बजाए सिर्फ विस्फोट बताया? न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में ये कहा पुलवामा में (आतंकवादी हमला नहीं) ब्लास्ट बताया था.
न्यूयॉर्क टाइम्स अपने लेख में कह चुका है कि पीएम नरेंद्र मोदी से भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि के लिए खतरा है, न्यूयॉर्क टाइम्स NRC का विरोध करता है, न्यूयॉर्क टाइम्स लेख लिखकर कहता है, कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने के करीब पहुंच रहा है? अनुच्छेद 370 की समाप्ति को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट छपती है, कि कश्मीर में हजारों मुस्लिम हिरासत में हैं.
ये वही न्यूयॉर्क टाइम्स है, जो भारत के मिशन मंगलयान का मजाक उड़ाकर माफी मांग चुका है, अमेरिका के इसी अखबार ने भारत में पत्रकारों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन निकाला है. इस आवेदन में न्यूयॉर्क टाइम्स की जो भारत विरोधी सोच है, उसपर ध्यान दीजिए.
आवेदन में लिखा है कि अभ्यार्थी ऐसा हो जो भारत सरकार के विरुद्ध लिख सके और सत्ता बदली की उनकी कोशिशों में अपना योगदान दे सके. वैसे तो भारत जनसंख्या के मामले में चीन को टक्कर दे रहा है, लेकिन फिर भी विश्व मंच पर बड़ी आवाज बनने की महत्वाकांक्षा रखे हुए है.
'भारत में विभिन्न संस्कृतियां एक साथ रहती हैं'
'अलग-अलग विश्वास के लोग साथ में रहते हैं'
'प्रधानमंत्री मोदी का नजरिया बिलकुल अलग'
'प्रधानमंत्री मोदी कट्टर राष्ट्रवाद के पक्षधर हैं'
'हिंदू बहुसंख्यकों पर आधारित सोच वाली सरकार'
'भारत में विचारों और मीडिया पर निगरानी'
'भारत में मीडिया पर सख़्ती बढ़ती जा रही है'
'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवालिया निशान'
'भारत में निजता की सुरक्षा पर सवालिया निशान'
'भारत का भविष्य आज चौराहे पर खड़ा है'
दिल्ली में साउथ एशिया बिजनेस संवाददाता के लिए जो बातें कही गई हैं, उसे देखकर लगता है कि हिंदू विरोधी और मोदी विरोधी हुए बिना वहां नौकरी मिल पाना मुश्किल है. इस विज्ञापन से न्यूयॉर्क टाइम्स का एजेंडा साफ़ है. शायद अखबार चाहता है कि उसे पत्रकार के रूप में ऐसा एजेंट मिले, जो मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाए. ऐसा व्यक्ति उसके लिए काम करे, जो भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा दे. ऐसा व्यक्ति न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ जुड़े, जो टुकड़े-टुकड़े गैंग की मदद करे.
न्यूयॉर्क टाइम्स की ऐसी करतूत की वजह
अब न्यूयॉर्क टाइम्स ऐसा चाहता क्यों है कि उसे भारत में ही भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाला एजेंट मिले. तो इसके लिए आपको भारत से चीन के तनावपूर्ण रिश्ते और चीन से न्यूयॉर्क टाइम्स के मधुर रिश्तों की तह में जाना होगा.
दरअसल, गलवान विवाद के बाद भारत चीन के व्यापार में कमी आई है.
भारत ने चीन के कई Apps पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे उन Apps कंपनियों को अरबों का नुकसान हुआ. 2020 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार में 5.64% की कमी आई. चीन की कई कंपनियों को भारत में टेंडर छिन गया. गलवान विवाद के बाद नुकसान चीन का हुआ, और दर्द शायद न्यूयॉर्क टाइम्स को हुआ. क्योंकि पिछले 4 सालों में न्यूयॉर्क टाइम्स को चीन की ओर से 50 हजार डॉलर के विज्ञापन मिले हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स को भारत से परेशानी
इसीलिए चीन और उसके हमदर्द न्यूयॉर्क टाइम्स को भारत से इतना दर्द है. चीन जिन्हें आर्थिक मदद देता है, उनसे बदले में काफी कुछ चाहता है. शायद इसीलिए न्यूयॉर्क टाइम्स भी चीन के दबाव में ऐसे एजेंट ढूंढ रहा है, जो पत्रकार बनकर भारत को आंतरिक तौर पर कमजोर करने में चीन की मदद करें.
1 जुलाई 2021 को NYT ने जॉब रिक्रूटमेंट पोस्ट की. दिल्ली में साउथ एशिया बिजनेस संवाददाता के लिए नौकरी निकाली. न्यूयॉर्क टाइम्स में हायरिंग की शर्ते बेहद आपत्तिजनक हैं. पत्रकारों के लिए आवेदन में 'एंटी इंडिया' सोच उजागर की गई है. पत्रकारों के लिए आवेदन में 'हिंदू विरोधी' सोच उजागर हो गई है. पत्रकार का 'एंटी मोदी' होना भी साथ-साथ जरूरी है.
सवाल ये भी है, कि न्यूयॉर्क टाइम्स को क्यों ये भरोसा है कि उसे देश में ही ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो न्यूयॉर्क टाइम्स एजेंडे में पत्रकार नहीं एजेंट की तरह काम करेंगे?
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