ओमप्रकाश राजभर और अखिलेश यादव के बीच बढ़ने लगी दरार? जानिए अब क्या हुआ

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने सपा के मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि वो उनसे पूछेंगे कि यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में हमें क्यों नहीं बुलाया?

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 11, 2022, 04:33 PM IST
  • अखिलेश से क्या नाराज हुए राजभर?
  • ओपी राजभर को सपा से जवाब चाहिए
ओमप्रकाश राजभर और अखिलेश यादव के बीच बढ़ने लगी दरार? जानिए अब क्या हुआ

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने सोमवार को कहा कि वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात करके पूछेंगे कि विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित क्यों नहीं किया गया.

अखिलेश की सपा से दूर हो सकते हैं राजभर

राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है. मतदान में सुभासपा की भूमिका को लेकर असमंजस बना हुआ है क्योंकि पार्टी प्रमुख ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से उनकी नजदीकी की अटकलें तेज हो गई हैं और यह भी कयास लग रहे हैं कि राजभर सपा से दूर हो सकते हैं.

सोमवार को राजभर ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की भाजपा सरकार के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह से मुलाकात कर उनके पिता के निधन पर शोक संवेदना प्रकट की.

अखिलेश यादव से मिलना चाहते हैं राजभर

सुभासपा अध्यक्ष ने सोमवार को 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा कि वह अखिलेश यादव से मुलाकात करना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने रविवार को सपा नेता उदयवीर सिंह (अखिलेश यादव के करीबी) से फोन पर बात की और उन्हें अखिलेश से मुलाकात व बातचीत की अपनी मंशा से अवगत कराया.

गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के लिये विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की बृहस्पतिवार को पत्रकार वार्ता हुई थी. सपा ने इस पत्रकार वार्ता में गठबंधन के एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख जयंत सिंह को तो बुलाया था, लेकिन सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर इसमें नजर नहीं आए थे.

राजभर ने कहा कि वह सपा प्रमुख से मिलकर यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार उन्हें विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में आमंत्रित क्यों नहीं किया गया. उन्होंने दावा किया कि वह 12 जुलाई तक अखिलेश के रुख का इंतजार करेंगे और फिर अपने निर्णय की घोषणा करेंगे.

तो क्या द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देंगे राजभर?

उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार किया. राजभर ने कहा कि चुनाव में अभी समय है. हालांकि उन्होंने मुर्मू को उम्मीदवार बनाए जाने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि वह राजनीति में अति दलित व पिछड़े वर्ग की लड़ाई लड़ते हैं.

उन्होंने कहा कि डॉक्टर बी आर अंबेडकर, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया व पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मंशा थी कि राजनीति में हाशिए पर रहे लोगों को आगे लाया जाए. यह पूछे जाने पर कि क्या वह द्रौपदी मुर्मू की प्रशंसा कर राजग उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर रहे, राजभर ने कहा कि जो सही है, वह वही बोल रहे हैं.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को यहां राजग के सांसदों और विधायकों से अपने लिए समर्थन मांगा था.

..जब सीएम योगी के आवास पर पहुंचे राजभर

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शुक्रवार को अपने पांच कालीदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर मुर्मू के सम्मान में रात्रिभोज आयोजित किया था, जिसमें भाजपा के सहयोगी दलों के नेताओं के अलावा ओमप्रकाश राजभर भी शामिल हुए थे. हालांकि, बाद में राजभर ने दावा किया था कि वह मुर्मू के बुलावे पर गये थे.

शनिवार को बलिया में सुभासपा नेता ने सपा से गठबंधन को लेकर यह भी कहा था 'हमारी तरफ से कोई दरार नहीं है. सुभासपा गठबंधन धर्म के निर्वहन के लिए कटिबद्ध है. हम सपा के साथ गठबंधन में हैं और रहेंगे. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अगर गठबंधन तोड़ेंगे, तब फिर हम निर्णय करेंगे.'

उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में राजभर की पार्टी के छह विधायक हैं. उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सपा के नेतृत्व वाले विपक्षी समूह के सहयोगी के रूप में लड़ा था. 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा, भाजपा के साथ थी और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद सत्ता में शामिल भी हुई थी लेकिन बाद में पार्टी सरकार से अलग हो गयी थी.

लोकसभा चुनाव 2024 में भी अखिलेश के साथ रहने का दावा

ओमप्रकाश राजभर ने पिछले सोमवार को जारी एक बयान में यह भी दावा किया था कि वह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही रहेंगे. उन्होंने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि योगी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल में भाजपा ने सिर्फ नफरत फैलाने का काम किया है.

राजभर ने सोमवार को परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दया शंकर सिंह से मुलाकात की. वह बिहार के बक्सर जिले में स्थित सिंह के पैतृक गांव राजपुर पहुंचे. राजभर ने ट्वीट कर कहा कि परिवहन राज्य मंत्री सिंह के पिता विंध्याचल सिंह जी के निधन पर उनके राजपुर स्थित आवास पर श्रद्धांजलि देकर शोक संवेदनाएं व्यक्त की.

माना जाता है कि राजभर और दया शंकर सिंह के बीच अत्यंत मधुर रिश्ता है. दयाशंकर ने पिछले दिनों बलिया में बयान दिया था कि वह राजभर का भाजपा में स्वागत करने को तैयार हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान भी राजभर ने दयाशंकर सिंह के साथ जाकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात की थी.

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