नई दिल्लीः सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का सेवा विस्तार तीन साल से घटाकर छह महीने करने वाले पाकिस्तान के चीफ जस्टिस आसिफ खोसा का शुक्रवार को दर्द छलक गया. उन्होंने अपने और न्यायपालिका के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाए जाने का आरोप लगाया. वह शुक्रवार आधी रात को सेवानिवृत्त हो गए. चीफ जस्टिस खोसा (64) का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान की विशेष अदालत ने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह और देश में इमरजेंसी लगाए जाने के मामले में मौत की सजा सुनाई है.
सजा सुनाने वाली विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि यदि फांसी दिए जाने से पहले मुशर्रफ की मौत हो जाती है तो उनके शव को इस्लामाबाद के सेंट्रल स्क्वायर पर खींचकर लाया जाए और तीन दिन तक लटकाया जाए.
विदाई समारोह में बोले खोसा
इसके बाद न्यायपालिका की चौतरफा आलोचना शुरू हो गई है. अपने विदाई समारोह के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस खोसा ने कहा, ‘मैंने निष्पक्षता और अपने विवेक के आधार पर फैसले सुनाए हैं. बावजूद इसके मेरे और न्यायपालिका के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान शुरू किया गया है. जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वो निराधार और गलत हैं. अदालत को अपनी शक्तियों की सीमा पता है.
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देशद्रोह के मामले में सुनाई थी फांसी की सजा
शुक्रवार मध्य रात्रि को सेवानिवृत्त होने जा रहे 64 वर्षीय खोसा ने कहा कि न्यायपालिका और उन्हें आलोचना में घसीटा जा रहा है. विशेष कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 76 वर्षीय मुशर्रफ को छह साल पुराने देशद्रोह के मामले में मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई थी. उन्हें 2007 में संविधान को निष्प्रभावी बनाने के लिए यह सजा सुनाई गई है.
सेना और इमरान खान सरकार न्यायपालिका से नाराज
इस सजा के बाद देश की ताकतवर सेना और इमरान खान सरकार न्यायपालिका से नाराज हो गई है. कानून मंत्री फारोह नसीम ने गुरुवार को कहा कि जिस न्यायाधीश ने फैसला लिखा, वह मानसिक रूप से बीमार है और उसे काम करने से रोका जाना चाहिए.
ब्रिटेन में शिक्षित खोसा ने कहा, 'न्यायपालिका और मेरे खिलाफ एक दुष्प्रचार शुरू हुआ है. आरोप निराधार और गलत हैं. हम अपनी शक्ति की सीमाएं जानते हैं और यह भी जानते हैं कि सच हमेशा कायम रहता है.
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