'झूठ फैलाने वालों से रहें सावधान' PM Modi ने किसानों को समझाया

किसान आंदोलन के  बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के किसानों को संबोधित किया. उन्होंने मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के किसानों के सामने वर्चुअल भाषण दिया. लेकिन पीएम के निशाने पर पहले की सरकारों की किसान विरोधी नीतियां रही.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 18, 2020, 04:03 PM IST
  • किसानों से प्रधानमंत्री का संवाद
  • शंकाओं को किया दूर
  • कांग्रेस पर किया प्रहार
'झूठ फैलाने वालों से रहें सावधान' PM Modi ने किसानों को समझाया

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने रायसेन के किसानों के सामने जो संबोधन दिया उसमें उन्होंने अपने पहले की कांग्रेस सरकार (Congress Govt) को निशाने पर रखा. पीएम का साफ तौर पर कहना था कि जिन्होंने पिछले कई दशकों तक देश पर शासन किया और किसानों के हित का ध्यान नहीं रखा. इसके बाद यही लोग अब किसानों को भ्रमित कर रहे हैं. आपको बताते हैं पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें- 

 मध्य प्रदेश (Madhya Praesh) में ओले गिरने से किसानों का नुकसान हुआ. आज इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के ऐसे 35 लाख किसानों के खातों में 1600 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा रहे हैं. बिना किसी बिचौलिए के. तकनीक के कारण ही यह संभव हो पाया है. भारत ने पिछले 5-6 वर्षों में जो आधुनिक व्यवस्था बनाई है. उसकी पूरी  दुनिया में चर्चा हो रही है. 

आज के कार्यक्रम में किसानों को क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit card) सौंपे जा रहे हैं. जो कि पहले हर किसान को नहीं मिलता था. हमारी सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड देश के हर किसान को दिलाने के लिए नियमों में बदलाव किया. जिसके बाद खेती में इन्वेस्ट करने के लिए किसानों को आसानी से कर्ज मिल रहा है. 

फसलों के भंडारण से जुड़ी सुविधाओं का शिलान्यास हुआ है. किसान कितना भी उत्पादन कर ले. लेकिन अगर फल, सब्जियों और फसलों का सही भंडारण ना हो तो केवल किसानों का नहीं बल्कि पूरे देश का नुकसान होता है. लगभग 1 लाख करोड़ का खाद्य पदार्थ भंडारण की व्यवस्था सही ना होने से बर्बाद हो जाता है. 

भंडारण के लिए हमारी प्राथमिकता पूरे देश में नए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है. सारा काम किसानों के सिर पर नहीं मढ़ सकते हैं. इसके लिए उद्योग सेक्टर (Industries) को आगे आना होगा. भारत की कृषि और किसान की उपेक्षा अब और नहीं की जा सकती. किसानों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी. समय हमारा इंतजार नहीं करेगा. भारत के किसानों को आधुनिक सुविधाओं के अभाव में असहाय नहीं छोड़ा जा सकता. जो काम पिछले 20-30 सालों में हो जाना चाहिए था. उसे अब किया जा  रहा है. 

हमारी सरकार ने किसानों के हित के कई कदम उठाए. जिसपर बरसों से मंथन चल रहा था. पिछले कुछ समय से किसानों के लिए जो कानून बनाए गए उसकी चर्चा बहुत है. यह कानून रातोंरात नहीं बनाए गए. इस पर देश की सरकार और राज्यों की सरकार से व्यापक चर्चा की गई. 

देश के किसानों को उन लोगों से जवाब तलब करना चाहिए. जो झूठे वादे करके किसानों को धोखा देते रहे और उनकी मांगों को टालते रहे. क्योंकि किसान उनकी प्राथमिकता में नहीं थे. अगर देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणा पत्र देखे जाएं और उनके बयान सुने जाएं तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं. 

विरोधियों की पीड़ा इस बात से नहीं है कि कृषि क्षेत्र में सुधार क्यों हुआ. बल्कि इस बात से है कि जो काम हम कहते रहे लेकिन किया नहीं उसका श्रेय मोदी को कैसे मिल गया. 

मैं किसी तरह के क्रेडिट का आकांक्षी नहीं हूं. मुझे बस किसानों का हित चाहिए. कृपया देश के किसानों को भ्रमित करना छोड़ दीजिए. ये कानून लागू हुए 6 से 7 महीने से ज्यादा हो चुका है. भ्रम और झूठ का जाल बिछाकर अपनी राजनीतिक जमीन जोतने का खेल खेला जा रहा है. किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किया जा रहा है. 

सरकार बार बार पूछ रही है कि कृषि कानून (Agriculture Law) के किस प्रावधान से दिक्कत है. जो भी दिक्कत है उसे हम दूर करेंगे. लेकिन विरोधी दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं है. 

जिनकी खुद की राजनीतिक जमीन खिसक गई है. वह किसानों की जमीन जाने का डर दिखाकर अपनी राजनीतिक जमीन बचा रहे हैं. 

जो विरोधी दल सत्ता में थे, उन्होंने कुछ भी नहीं किया. ये लोग बेहद निर्दयी हैं. इसका सबसे बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट. जो कि सामने आई लेकिन उसकी सिफारिशों को 8 साल तक दबाकर रखा गया. किसान आंदोलन करते थे. लेकिन इन लोगों ने कभी नहीं सुना. इन्होंने सुनिश्चित किया कि किसानों पर ज्यादा खर्च ना करना पड़े. 

विरोधियों के लिए किसान सिर्फ मोहरे हैं. किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है. हमने स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशों को लागू किया. किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी हमने दिया. 

दो साल पहले मध्य प्रदेश में विपक्ष ने कर्जमाफी का वादा किया था. लेकिन सरकार बनने के बाद बहाने बनाए गए. ये मध्य प्रदेश के किसान भली भांति जानते हैं. राजस्थान के किसान आज भी कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं. 

किसानों के साथ धोखा करने वालों को जब मैं किसान हित की बात करते देखता  हूं तो मुझे आश्चर्य होता है कि ये लोग कैसे इंसान हैं. कोई व्यक्ति इतना छल कपट कैसे कर सकता है. ये लोग किसानों को और कितना धोखा देंगे. हर चुनाव से पहले कर्जमाफी की घोषणा की जाती है. लेकिन कभी उसे पूरा नहीं किया जाता. जिन किसानों ने कभी कर्ज नहीं लिया क्या उसके बारे में कभी सोचा गया है. 

कर्जमाफी के उत्सुक किसानों को नोटिस और गिरफ्तारी का वारंट मिलता था. कर्जमाफी का फायदा सिर्फ उनके नजदीकियों को मिलता था. कुछ बड़े किसानों का कर्ज 10 साल में एक बार माफ कर दिया जाता था. इससे उनकी राजनीतिक रोटी सिंक जाती थी. लेकिन छोटे किसान जस के तस रह जाते थे. लेकिन किसान इन धोखेबाजों को पहचान गया है. 

पीएम किसान सम्मान योजना (PMKSY) के तहत हर साल किसानों को 75 हजार करोड़ दिए जाएंगे. यानी दस लाख में 7.5 लाख करोड़ किसानों के खाते में सीधा ट्रांसफर किए जाएंगे. बिना किसी कमीशन के. जबकि पहले 10 साल में 50 हजार करोड़ मुश्किल से मिलते थे. 

7 से 8 साल पहले किसानों को यूरिया नहीं मिलता था. पूरी रात लाइन लगानी पड़ती थी. लाठीचार्ज की नौबत आ जाती थी. यूरिया की कालाबाजारी होती थी.  हमारी सरकार के दौरान यूरिया की किल्लत सामने नहीं आती. हमने किसानों की तकलीफ को दूर करने के लिए यूरिया की कालाबाजारी रोकी. भ्रष्टाचार पर नकेल कसी. किसानों के नाम पर सब्सिडी दूसरे लोग खा जाते थे. यूरिया पर नीम कोटिंग से कालाबाजारी बंद हुई. 

यूपी के गोरखपुर, बिहार के बरौनी, झारखंड के सिंदरी, तेलंगाना के रामाकोट्टम में आधुनिक फर्टिलाइजर प्लांट शुरु हो जाएंगे. 50 से 60 हजार करोड़ रुपए इस काम के लिए खर्च किए जा रहे हैं. इसके बाद भारत यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा. यूरिया खरीदने पर खर्च होने वाले हजारो करोड़ रुपए बचेंगे. 

विपक्ष को खाद कारखाने शुरु करने से किसी ने नहीं रोका था. लेकिन नीयत और नीति की कमी थी. किसानों के प्रति निष्ठा नहीं थी. किसानों से झूठे वादे करके सत्ता में आना और मलाई खाना ही इनका काम था. 

अगर पुरानी सरकारों को चिंता होती तो देश के 100 से ज्यादा प्रोजेक्ट लटकते नहीं. बांध बन गया तो नहरें नहीं बनी. नहरें बनीं तो उसे आपस में जोड़ा नहीं गया.इसमें समय और पैसे की जमकर बर्बादी की गई. हमारी सरकार ने हजारो करोड़ खर्च करके सिंचाई परियोजना को मिशन मोड में पूरा किया. जिससे किसान के हर खेत में पानी पहुंचाने का हमारा सपना पूरा हो. 

खेती पर होने वाली लागत कम करने के लिए किसानों को सुविधा दी जा रही है. सोलर पंप की व्यवस्था की जा रही है. अनाज उत्पादन के साथ मधुमक्खी पालन, पशुपालन और मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. शहद का उत्पादन 1.75 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होने लगा है. शहद का निर्यात दोगुना हो गया है.  

खेती के साथ मछली पालन कम लागत में ज्यादा मुनाफा देता है. हमारी सरकार ने कुछ ही समय पहले ही 20 हजार करोड़ की मत्स्य संपदा योजना शुरु की. जिसके बाद मछली पालन के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए. जल्दी ही हम 1 लाख करोड़ की मछली निर्यात करेंगे. 

हमारी सरकार के सभी काम किसानों को समर्पित हैं. अगर सभी कदम गिनाए जाएं तो समय कम पड़ जाएगा. हमने हाल में जो कृषि सुधार किए हैं. उसमें अविश्वास और झूठ का कोई कारण ही नहीं है. 

कृषि सुधार पर सबसे बड़ा झूठ बोला जा रहा है. अगर हमें एमएसपी हटानी होती तो हम स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट लागू ही नहीं करते. हमारी सरकार एमएसपी पर इतनी गंभीर है कि बुवाई से पहले ही एमएसपी की घोषणा कर दी जाती है. जिससे किसानों को फसल उत्पादन और आय का अनुमान लगाने में आसानी हो रही है. 

कानून 6 महीने पहले लागू हुआ. इस दौरान एमएसपी (MSP) पर सरकारी खरीदारी हुई. सब कुछ पहले की तरह चला. तो यह भ्रम क्यों फैलाया जा रहा है कि एमएसपी बंद हो जाएगी. इससे बड़ा कोई षड्यंत्र नहीं हो सकता. मैं देश के हर किसान को विश्वास दिलाता हूं कि पहले की तरह एमएसपी जारी रहेगी. यह ना तो बंद होगी ना ही समाप्त होगी. 

पिछली सरकार के समय गेहूं की एमएसपी 1400 प्रति क्विंटल थी. हमारी एमएसपी 1900 रुपए की है. धान की एमएसपी 1300 थी हमारी एमएसपी 1870 रुपए है. मसूर पर एमससपी 1950 थी, हमने 5100 किया. चने पर 3100 थी जो कि अब 5100 है. तुअर दाल पर 4300 थी, जो कि अब 6 हजार है. मूंग पर 4500 थी जो कि अब 7200 है. 
यह इस बात का सबूत है कि एमएसपी हमारी सरकार समय समय पर गंभीरता से बढ़ा रही है. 

हमारा जोर रहा है कि ज्यादा से ज्यादा खरीदारी एमएसपी पर की जाए. हमारी सरकार के दौरान धान 3 हजार लाख मीट्रिक टन खरीदा यानी लगभग दोगुना. किसानों के खाते में पहले से ज्यादा पैसा पहुंचा है. 

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दलहन की खेती 2014 में दालों का संकट था. देश में मचे हाहाकार के बीच दाल विदेश से मंगाई जाती थी. 2014 से पहले मात्र 1.5 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद हुई. हमने किसानों को दाल की पैदावार के लिए प्रोत्साहित किया. हमने 112 लाख मीट्रिक टन दाल एमएसपी पर खरीदी. 

पिछली सरकार ने दाल पैदा करने वाले किसानों 650 करोड़ रुपए दिए. हमने लगभग 50 हजार करोड़ रुपए दाल पैदा करने वाले किसानों को दिया. दाल की सीधी खरीद से किसानों को सीधा फायदा हुआ. 

जो लोग आज तक किसानों को छलते रहे वह आज किसानों भ्रमित कर रहे हैं. 

हमने अपने किसानों को कहीं भी अनाज बेचने की आजादी दी है. किसान जहां फायदा समझे वहां अपना उत्पाद बेचे. चाहे तो मंडी में या कहीं बाहर. किसानों ने इसका लाभ उठाना शुरु कर दिया. हाल ही में धान उत्पादक किसानों ने चावल उत्पादक कंपनी को धान बेचा. जिससे उन्हें 20 फीसदी ज्यादा मुनाफा हुआ. 

किसानों को मंडियों के बांधकर पिछले कई दशकों से जो पाप किया गया है. नया कृषि कानून उसका प्रायश्चित किया जा रहा है. पिछले 6 महीनों में एक भी मंडी बंद नहीं हुई है. हम एपीएमसी व्यवस्था को आधुनिक और कंप्यूटराइज करने पर 500 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं.  

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कांट्रेक्ट फार्मिंग कोई नई चीज नहीं है. इसपर झूठ फैलाया जा रहा है. हमारे देश में  बरसों से यह व्यवस्था चल रही है. यह देश के कई राज्यों में चल रहा है. 8 मार्च 2019 को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने किसानों और एक कंपनी के बीच खुद एग्रीमेन्ट कराया. हमने फार्मिंग एग्रीमेन्ट में किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है. नए कृषि कानून में यह तय किया गया है कि किसानों से जो वादा किया गया उसे पूरा किया जाए. चाहे प्राकृतिक आपदा आ जाए या फिर कुछ और. 

पूरे देश के किसानों को फायदा हो रहा है. भ्रम फैलाने वालों को पहचानिए. इन्होंने हमेशा किसानों से धोखा किया है और आज भी कर रहे हैं. 

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