पीएम मोदी हैं आज की वैश्विक महाभारत के अर्जुन

भारत को अब हृदय में शांति और हांथ में शस्त्र धारण करना होगा. यह वैश्विक महाभारत है जिसमें भारत के कर्मयोगी प्रधानमन्त्री अर्जुन की भूमिका में है. चीन जैसे दुर्योधनों को धराशायी करने के लिये अब पीएम मोदी को करना होगा शंखनाद जिसकी आवाज दुनिया में भी जाये और बीजिंग में भी..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Jun 20, 2020, 07:15 AM IST
    • आज की वैश्विक महाभारत में मोदी हैं अर्जुन की भूमिका में
    • चीन के साथ करना होगा शठे शाठ्यम् समाचरेत
    • विश्व के मन्चों पर भी चीन को करना होगा धराशायी
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का भी करना होगा रणनीतिक इस्तेमाल
    • चीन के शत्रुओं को लगाना होगा गले और उनके साथ द्विपक्षीय हितों को देना होगा बढ़ावा
पीएम मोदी हैं आज की वैश्विक महाभारत के अर्जुन

नई दिल्ली.  इतिहास अपने को दुहराता है. यह तथ्य एक ऐतिहासिक सत्य बना है और कलियुग में चल रही इस महाभारत में भारत के पास भी एक महान योद्धा अर्जुन की भूमिका में है. पीएम मोदी भारत की सनातन संस्कृति के गर्वीले वाहक के रूप में शान्ति के विश्व दूत हैं. किन्तु उसके पहले वे एक योद्धा हैं और एक महान राष्ट्र के सर्वोच्च सेनापति भी. निकृष्ट कोटि के चीन जैसे खल-कामियों के लिए अब पीएम मोदी को पांचजन्य का गहन गंभीर शंखनाद करना होगा और प्रत्यंचा भी चढ़ानी होगी.

शठे शाठ्यम् समाचरेत करना होगा

भारत को अंतर्राष्ट्रीय मन्चों पर अब सवाक होना होगा और चीन के खिलाफ कड़े तेवर अपनाने होंगे. चीन से जुड़े मुद्दों पर भारत को सक्रिय भूमिका में आना होगा. वैश्विक मंचों पर भी भारत को दलाई लामा का समर्थन करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि दलाई लामा पर लगे सभी प्रतिबंध हटाये जायें. चूंकि चीन अरुणाचल को हड़पने की मन्शा से उसे चीन का हिस्सा बता रहा है तो अब भारत को भी तिब्बत, सिंक्यांग और इनर मंगोलिया को आजाद कराने की बात कहनी होगी.  चीन हमारे अरुणाचली लोगों को वीज़ा नहीं देता है तो जस का तस करते हुए हमें भी तिब्बत, सिंक्यांग और इनर मंगोलिया के चीनियों को वीज़ा देना बंद करना होगा. 

चीन के शत्रुओं को लगाना होगा गले

चाणक्यनीति का व्यावहारिक अनुसरण करते हुए गिन-गिन कर चीन के शत्रुओं को मित्र बनाना होगा. मित्र क्या बनाना होगा, इस कोरोना काल में उनको गले लगाना होगा अर्थात इस आपातकालीन भारतीय और वैश्विक परिस्थितियों के दौर में उनको परम मित्र बनाना होगा. उनके लिये हृदय के ही नहीं, देश के द्वार भी खोलने होंगे. द्विपक्षीय हितों को बढ़ावा देते हुए उन्हें ईमानदारी से विश्वास दिलाना होगा कि भारत उनका परम मित्र ही नहीं परम समर्थक और परम हितैषी भी है. सबसे पहले तो पीएम मोदी के मित्र राष्ट्रपति ट्रम्प ही हैं जिनके साथ जुड़ कर दो महाशक्तियां चीन के खिलाफ एक भारी बढ़त वाला मोर्चा बना सकती हैं. अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान, ताइवान, हांगकांग, दक्षिण कोरिया, फिलीप्पीन्स, वियतनाम, तिब्बत, आदि ऐसी एक लंबी सूचि है जिनके साथ मैत्री को विस्तार देकर विस्तारवादी राक्षस चीन को धूल चटाई जा सकती है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का इस्तेमाल

भारत हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल हुआ है. यहां भी भारत को जबर्दस्त समर्थन है. चीन कोई भी बेजा हरकत भारत के साथ इसलिये भी नहीं कर सकता क्योंकि अब भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की महती शक्ति जुड़ गई है. भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का इस्तेमाल चीन पर दबाव बनाने के लिये सुनियोजित ढंग से कर सकता है.  संयुक्त राष्ट्र में भी अब भारत को चीन के खिलाफ भारी मुद्दे उठाकर गोलबन्दी करनी शुरू करनी होगी और खुल कर चीन का सामना करना होगा. संयुक्त राष्ट्र में वैसे भी चीन के प्रति किसी की सहानुभूति नहीं है और कोरोना कांस्प्रेसी के इस मुजरिम का दिमाग ठिकाने लगाने का इससे अच्छा मौका वैश्विक स्तर पर कोई दूसरा नहीं मिल सकेगा.

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