नई दिल्ली: आजाद भारत में यह पहला वाकया होगा, जब किसी महिला को फांसी पर चढ़ाया जाएगा. शबनम को फांसी पर लटकाने के लिए उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. शबनम ने अपनी फांसी को टालने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी, जिसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकारार रखा है.
क्या था मामला
उत्तर प्रदेश के अमरोहा में रहने वाली शबनम ने साल 2008 ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पाने परिजनों को कुल्हाड़ी से काट दिया था. इस मामले में शबनम ने राष्ट्रपति के पास भी दया याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया.
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पहली बार महिला को फांसी
भारत के आजाद होने के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब किसी महिला को किसी अपराध की सजा के तौर पर फांसी पर चढ़ाया जाएगा. आज से लगभग 150 साल पहले उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में महिलाओं को फांसी देने के लिए फांसी घर बनाया गया था. अब पहली बार इस फांसी घर का इस्तेमाल शबनम को फांसी देने के लिए किया जाएगा.
150 साल पुराने मथुरा के फांसीघर में होगी फांसी
देश के आजाद होने से पहले ही मथुरा में महिलाओं को फांसी देने के लिए एक फांसीघर बनाया गया था. बताया जाता है कि यह फांसीघर लगभग 150 साल पुराना है. आजादी के बाद से इस फांसीघर में किसी भी महिला को सूली पर नहीं चढ़ाया गया है.
मथुरा जेल के अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने मीडिया से बताया कि अभी शबनम की फांसी की तारीख तय नहीं हुई है. इसके बावजूद हमने फांसी को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. जैसे ही कोर्ट फांसी की तारीख की घोषणा करेगा, हम तुरंत फांसी देने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे.
बक्सर से मंगाई गई सूली की रस्सी
निर्भया मामले में दोषियों को सूली पर चढ़ाने वाले पवन जल्लाद दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर चुके हैं. उन्होंने जेल अधिकारियों से फांसी के तख्ते का लीवर ठीक कराने का सुझाव भी दिया है. बताया गया है कि शबनम को फांसी देने के लिए बिहार की बक्सर जेल से रस्सी मंगवाई गई है.
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