नई दिल्ली: कल तक जो देश तोड़ने की बात कर रहे थे. क्या आज वो खुद बंट गए? ये सवाल शाहीन बाग के ऊपर है. सूत्रों को मुताबिक शाहीन बाग में एक गुट सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकार से बातचीत करना चाहता है. जबकि दूसरा गुट इसका विरोध कर रहा है.
दो हिस्सों में बंट गया है शाहीन बाग: सूत्र
1). प्रदर्शनकारियों में नेतृत्व को लेकर टकराव
2). प्रदर्शन की अगुवाई को लेकर आपसी मतभेद
3). नेतृत्व को लेकर अलग-अलग गुट बने
4). हर गुट के लोग संचालक बनने में लगे
5). प्रदर्शनकारियों के बीच आपसी खींचतान बढ़ी
6). मीडिया में बयानबाजी देने पर आपस में तनातनी
7). प्रदर्शनकारियों ने एक-दूसरे के बयान को नकारा
8). मंच पर रखी गई बात को कोई नहीं सुनता
9). सभी गुट प्रदर्शन के चेहरे 'दादी' को साथ आने में जुटे
10). अनबन के बीच मंच से एकराय नहीं बन रही है
शाहीन बाग में देश 'बांटने' वाले अब खुद बंट गए?
सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आ रही है कि बातचीत पर शाहीन बाग में 'बंटवारा' हो गया है. प्रदर्शनकारियों में बातचीत को लेकर मतभेद हो गया है. यानी कुछ प्रदर्शनकारी वार्ताकारों से अलग बात करने के पक्ष में हैं और कुछ प्रदर्शनकारी वार्ताकारों से सबके सामने बातचीत करने पर अड़े.
शाहीन बाग में आज क्या हुआ?
आज फरीदाबाद और जैतपुर जाने वाला रास्ता खोला गया. कालिंदी कुंज से थोड़ी देर के लिए रास्ता खोला गया. DND फ्लाई-वे पर बस फंसने के बाद रास्ता खोला. नोएडा से फरीदाबाद जाने वाले रास्ते पर ट्रैफिक बढ़ा और रास्ता फिर बंद किया, टू-व्हीलर्स को जाने की इजाज़त दी गई.
कितनी बार शाहीन बाग गए वार्ताकार?
2 बार प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे लेकिन प्रदर्शनकारियों से 2 राउंड की बातचीत बेनतीजा रहा. इस दौरान वार्ताकार बोले- 'बातचीत का माहौल नहीं है.' उन लोगों ने प्रदर्शनकारियों को रास्ता छोड़ने के लिए समझाया. प्रदर्शनकारियों के साथ बंद रास्तों का जायजा लिया.
बातचीत पर शाहीन बाग में 'बंटवारा'?
इस बीच बीजेपी नेता शिव प्रताप शुक्ला ने कहा है कि 'वार्ताकार ने ये भी कहा है कि बात करने का माहौल नहीं है. इसका मतलब शाहीन बाग पर कहीं ना कहीं दूसरे लोग आ करके कब्ज़ा किए हुए है.'
शाहीन बाग को 'समाधान' नहीं, 'संग्राम' चाहिए?
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि 'ये लोकतांत्रिक नहीं खिलाफत आंदोलन है, जो देश को तोड़ने की बात करता है. लोकतांत्रिक देश को इस्लामिक धार्मिक देश बनाने की बात करता है.' लेकिन बिहार चुनाव को सामने देखते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और RJD नेता तेजस्वी यादव भी मैदान में कूद गए हैं.
शाहीन बाग में जाएंगे, सब 'सियासत' चमकाएंगे?
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि 'शाहीन बाग की जितनी भी तारीफ की जाए वो कम है. वहां जिस तरह से आंदोलन को लोगों ने आगे बढ़ाया है. बीजेपी ने कोशिश की कि वहां दंगा हो जाए फसाद हो जाए सांप्रदायिक हो जाए लेकिन सांप्रदायिक नहीं हो पाया.' ...तो क्या सिर्फ हंगामा खड़ा करना है मकसद?
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इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने आज ज़ी मीडिया के कैमरे पर कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट नागरिकता कानून पर रोक नहीं लगाएगा. वो सड़क खाली नहीं करेंगे, तो सवाल ये है कि क्या शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट की बात भी नहीं सुनेंगे. क्या उनकी ज़िद सुप्रीम कोर्ट से ऊपर है.
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