नई दिल्लीः तारीखों के हिसाब से तो सर्दी का मौसम अपने शबाब पर होना चाहिए था, लेकिन ऐसा है नहीं. दिसंबर आने के बाद भी माहौल में केवल गुनगुना ही अहसास है, जबकि यह समय कड़ाके की ठंड का होता है. इस लिहाज से आशंका जताई जा रही है कि नवंबर 2019 का महीना 1901 के बाद से अब तक का तीसरा सबसे गर्म महीना है. छिटपुट बारिश और बादलों से ढके होने के कारण इस साल नवंबर का महीना औसत तापमान से अधिक रहा. इस साल नवंबर का तापमान औसत से 0.72 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. 1901 के बाद से अब तक सबसे गर्म नवंबर 2015 रहा जब औसत से तापमान 0.87 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.
दिल्ली का न्यूनतम तापमान सामान्य 2.1 डिग्री अधिक
1901 से अभी तक दूसरा सबसे गर्म महीना 1979 का रहा था जब औसत तापमान 0.86 डिग्री औसत से अधिक रहा. भारतीय मौसम विभाग पुणे के क्लाइमेट रिसर्च डिविजन की ओर से बताया गया है कि अगर सिर्फ औसत तापमान की बात की जाए तो इस साल नवंबर का महीना 1901 के बाद का सबसे गर्म महीना रहा है. पिछले महीने का न्यूनतम तापमान सामान्य से 1.5 डिग्री अधिक रेकॉर्ड किया गया जबकि 1979 में यह 1.64 डिग्री अधिक था. दिल्ली में औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 2.1 डिग्री अधिक रहा.
पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी के पर्यावरणविद ने तापमान में बढ़ोतरी के कारण बताए हैं. उन्होंने कहा कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने लो प्रेशर सिस्टम और चक्रवातों का असर नवंबर के तापमान पर पड़ा. लो प्रेशर और साइक्लोन के कारण देश के कई हिस्सों में बारिश हुई और बादल छाए रहे. रात के वक्त में बादलों की मौजूदगी के कारण तापमान में कमी तो आती है, लेकिन वातावरण से उनकी मौजूदगी खत्म नहीं होती. बादलों के बने रहने के कारण गर्मी वापस नहीं हो पाती और पृथ्वी के वायुमंडल में बनी रहती है. लिहाजा नवंबर में गर्मी का अहसास अधिक रहा.
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विश्व मौसम संगठन ने भी चेताया था
साल 2019 इतिहास में दूसरे या तीसरे सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज हो सकता है. पिछले दिनों विश्व मौसम संगठन ने यह रिपोर्ट पेश की थी. मैड्रिड में क्लाइमेट चेंज पर हुई कॉन्फ्रेंस के दौरान संगठन ने इसकी आशंका जताई और कहा कि मौजूदा दशक पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म दशक होगा.स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट पर अपने औपचारिक बयान के साथ सयुक्त राष्ट्र ने भी सम्मेलन में अपनी यह टिप्पणी रखी.
इस दौरान रिपोर्ट में दिल्ली में 48° सेल्सियस रिकॉर्ड तापमान का भी जिक्र किया. डब्ल्यूएमओ ने कहा कि अभी तक इस वर्ष वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.1 डिग्री सेल्सियस ऊपर है. प्रोविजनल रिपोर्ट में भारत में सर्वाधिक रिकॉर्ड तापमान वाले दिनों का भी जिक्र किया गया. दिल्ली के इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर 10 जून को रेकॉर्ड 48° सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था. इस रिपोर्ट में विशेष तौर पर दुनियाभर के कई शहरों मे रेकॉर्ड अधिकतम तापमान रेकॉर्ड किए दिनों को शामिल किया गया है, जिससे स्पष्ट है कि यह साल इतिहास के सबसे गर्म सालों में दर्ज हो सकता है.
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