नई दिल्लीः साल 2020 में भारत Corona महामारी के साथ तो उलझा ही रहा, इसके साथ ही सीमा पर भी चीन और पाकिस्तान के साथ संघर्ष बना रहा है. पिछले दिनों रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अगर कोई आत्मसम्मान को छेड़ेगा तो उसे छोड़ेंगे नहीं. भारत बीते सालों में लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है. 


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इसके लिए अमेरिका, रूस और फ्रांस से हथियारों की डील हुई तो वहीं DRDO ने कई नए हथियारों का देश की सेनाओं के लिए निर्माण किया. आगे भी निर्माण प्रक्रिया जारी है. वर्ष 2021 में ऐसे कई हथियार हैं जो परीक्षण के अपने अंतिम दौर में होंगे और हो सकता है कि वह बेड़े में इसी साल शामिल भी हो जाएं. एक नजर में देखते हैं कि वे कौन से हथियार हैं जो देश और अधिक सुरक्षित-ताकतनर बनाएंगें-


एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी)
भारत पनडुब्बियों की क्षमता बढ़ाने पर कार्य करेगा और इस साल में इसमें सफलता पा ली जाएगी.  पारंपरिक पनडुब्बियों को ज्यादा लंबे समय तक पानी के अंदर बनाए रखने में सक्षम बना देने वाली स्वदेशी एआईपी (एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शनः के लिए परीक्षण नए साल की पहली तिमाही में शुरू होगा.



इसे फिर से फिट करने के दौरान भारत की छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में लगाया जाना है. इस तरह समुद्री सीमा की सुरक्षा और अधिक सुदृढ़ हो जाएगी. 


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बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस-2
2020 में बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस कार्यक्रम का पहला चरण पूरा हुआ है. अब 2021 में इसका दूसरा चरण पूरा होने वाला है. इसका उद्देश्य बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली के माध्यम से देश को किसी भी तरह की मिसाइलों, जिसमें परमाणु मिसाइलें और हवा में उड़ने में सक्षम उपकरण शामिल हैं.



इसके अलावा बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड का भी परीक्षण जारी है. 


रुस्तम-2 मानवरहित एरियल व्हीकल
DRDO अपने महत्वकांक्षी प्रयोग और परीक्षण में ड्रोन रुस्तम-2 को भी शामिल करने वाला है. .रुस्तम 2 को डीआरडीओ ने पूरी तरह स्वदेशी तौर पर विकसित किया है. ये ऐसा ड्रोन है, जो दुश्मन की निगरानी करने, जासूसी करने, दुश्मन ठिकानों की फोटो खींचने के साथ दुश्मन पर हमला करने में भी सक्षम है.



DRDO इसे जल्द ही परीक्षण पूरा करके सेना में शामिल कराएगा. रुस्तम- 2 अमेरिकी ड्रोन प्रिडेटर जैसा है. प्रिडेटर ड्रोन दुश्मन की निगरानी से लेकर हमला करने में सक्षम है.


होवित्जर तोप सीमा पर दहाड़ेगी
DRDO 18 महीनों में ही 200 से अधिक मेड इन इंडिया एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) होवित्जर तैयार करेगा. अभी हाल ही में Odisha के बालासोर में चांदीपुर फ़ायरिंग रेंज में इस स्वदेशी तोप का ट्रायल चला है.



आने वाले दिनों में भारत चीन से लगती सीमा पर अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन तोपों को तैनात किया जा सकता है. यह चीन के खिलाफ कारगर होंगी. DRDO मेड इन इंडिया ATAGS होवित्जर प्रोजेक्ट को भारतीय सेना के लिए जल्द से जल्द पूरा कर सकता है. इस साल इसका काफी काम पूरा हो जाएगा. 


JVPC कार्बाइन- एक मिनट में दागेगी 700 गोलियां
जल्द ही सेना में ज्‍वॉइन्‍ट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (JVPC) भी शामिल होगी. इसने पिछले दिनों ही अपना फाइनल परीक्षण पूरा किया है. DRDO की तरफ से बताया गया है कि एक कार्बाइन जिसे पुणे स्थित इसके सेंटर और ऑर्डिनेंस फैक्‍ट्री बोर्ड (ओएफबी) ने साथ में मिलकर तैयार किया था,



उसने सेना की तरफ से हुए फाइनल ट्रायल को पूरा कर लिया है. डीआरडीओ की तरफ से कहा गया है कि अब यह कार्बाइन सेना के प्रयोग के लिए पूरी तरह से रेडी है.


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