Kanwar Yatra: सही नाम दिखाने का ग्राउंड पर क्या है असर, जानें हिंदू और मुस्लिम ढाबों के मालिकों से

यूपी में कांवड़ रूट पर खाने-पीने की सभी दुकानों पर मालिकों का नाम दिखाने का फैसला लागू किया गया है. इसके बाद से कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. इस फैसले की जमीनी हकीकत क्या है, इसका क्या असर पड़ा है और कौन इससे सीधे प्रभावित हुए हैं, जानिएः

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 21, 2024, 12:19 PM IST
  • कांवड़ रूट पर नाम दिखाने का निर्देश
  • जानें इस फैसले का क्या है जमीन पर असर
Kanwar Yatra: सही नाम दिखाने का ग्राउंड पर क्या है असर, जानें हिंदू और मुस्लिम ढाबों के मालिकों से

नई दिल्लीः Kanwar Yatra Route: यूपी में कांवड़ रूट पर खाने-पीने की सभी दुकानों पर मालिकों का नाम दिखाने का फैसला लागू किया गया है. इसके बाद से कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. इस फैसले की जमीनी हकीकत क्या है, इसका क्या असर पड़ा है और कौन इससे सीधे प्रभावित हुए हैं, जानिएः

आदेश लागू होने के बाद जिन भोजनालयों के मालिक मुस्लिम समुदाय के लोग हैं उन्होंने अपने अतिरिक्त कर्मचारियों को अस्थायी रूप से निकाल दिया है जबकि हिंदू भोजनालय के मालिकों ने भी कम से कम कांवड़ यात्रा तक मुस्लिम कर्मचारियों को अस्थायी रूप से हटा दिया है. 

मालिक ने कहीं और काम देखने को कहाः बृजेश

दिहाड़ी मजदूर बृजेश पाल पिछले सात साल से सावन से कुछ हफ्ते पहले मुजफ्फरनगर के खतौली क्षेत्र में एक ढाबे पर हेल्पर के रूप में काम करते थे. ढाबे का मुस्लिम मालिक कांवड़ियों की बढ़ती संख्या को संभालने के लिए पाल को करीब दो माह की अवधि के लिए अपने यहां नौकरी पर रखता था. पाल रेस्तरां में अतिरिक्त ग्राहकों का प्रबंधन करने में मदद करता और बदले में उसे प्रतिदिन 400-600 रुपये और कम से कम दो वक्त का भोजन मिलता था. 

पाल ने कहा, 'यह आय का एक अच्छा स्रोत था क्योंकि इस मौसम में अन्य काम मिलना बहुत मुश्किल है. चूंकि मानसून के समय में निर्माण और कृषि कार्य ज्यादा नहीं होते, इसलिए ढाबे के अलावा अन्य काम मिलना मुश्किल है. मैंने एक सप्ताह पहले ढाबे पर नौकरी के लिये गया था, लेकिन अब मालिक ने मुझे कहीं और काम देखने के लिए कहा है.'

'सीमित कारोबार में अतिरिक्त कर्मचारी नहीं रख सकता'

ढाबे के मालिक मोहम्मद अर्सलान ने कहा, "मेरे ढाबे का नाम इस मार्ग पर हर तीसरे ढाबे की तरह ‘बाबा का ढाबा’ है, मेरे आधे से ज्यादा कर्मचारी हिंदू हैं. हम यहां सिर्फ शाकाहारी खाना परोसते हैं और सावन में लहसुन और प्याज तक का इस्तेमाल नहीं करते.” उन्होंने कहा, “मुझे मालिक के तौर पर अपना नाम बताना पड़ा और ढाबे का नाम भी बदलने का फैसला किया. मुझे डर है कि मुस्लिम नाम देखकर कांवड़िए मेरे यहां आकर खाना नहीं खाएंगे. इतने सीमित कारोबार में मैं इस साल अतिरिक्त कर्मचारी नहीं रख सकता.” 

'हम किसी तरह का विवाद नहीं चाहते हैं'

इसी तरह खतौली के मुख्य बाजार के बाहर सड़क किनारे ढाबे के मालिक अनिमेष त्यागी ने कहा, "मेरे रेस्त्रां में एक मुस्लिम व्यक्ति तंदूर पर काम करता था. लेकिन नाम के इस मुद्दे के कारण मैंने उसे जाने के लिए कहा. क्योंकि लोग इस पर विवाद कर सकते हैं. हम यहां ऐसी परेशानी नहीं चाहते." 

कुछ अन्य ढाबा मालिकों ने भी हाल के आदेश के बारे में विस्तृत जानकारी न होने की शिकायत की. स्थानीय लोगों ने प्रशासन और अपने क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों से भी संपर्क किया है. खतौली विधानसभा क्षेत्र के विधायक मदन भैया ने कहा कि उन्हें स्थानीय ढाबा मालिकों से भी शिकायतें मिली हैं, जो हाल के आदेश से प्रभावित हुए हैं. मदन भैया राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के विधायक हैं और रालोद वर्तमान में भाजपा की गठबंधन सहयोगी है. 

'जल्दबाजी में जारी किया गया है आदेश'

विधायक ने कहा, "ऐसा लगता है कि नाम बताने का हालिया आदेश जल्दबाजी में जारी किया गया. इससे सबसे अधिक नुकसान गरीब दिहाड़ी मजदूरों और छोटे दुकानदारों को हो रहा है." उन्होंने कहा कि वे प्रभावित लोगों की मदद के लिए जमीनी स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय कर रहे हैं. मदन ने कहा, "हमारी विचारधारा धर्म और जाति के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव के खिलाफ है."

 

(इनपुटः पीटीआई-भाषा)

यह भी पढ़िएः Kedarnath Landslide: केदारनाथ में बड़ा हादसा, लैंडस्लाइड से 3 की मौत, कई के दबे होने की आशंका

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़