हे सरकार! ये है राजधानी... जिंदा बचने लिए ले रहे जान का जोखिम, दिल्ली में पानी की ऐसी किल्लत क्यों?

Delhi Water Crisis: दिल्ली के कई इलाकों में गहरा जल संकट गहरा गया है. न्यू अशोक नगर, चिल्ला गांव और चाणक्यपुरी समेत कई ऐसे इलाके हैं जहां पर लोगों को पेयजल तक का पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसी बीच दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : May 31, 2024, 02:42 PM IST
  • दिल्ली में जल संकट गहराया
  • SC पहुंची दिल्ली की सरकार
हे सरकार! ये है राजधानी... जिंदा बचने लिए ले रहे जान का जोखिम, दिल्ली में पानी की ऐसी किल्लत क्यों?

नई दिल्ली: Delhi Water Crisis Explainer: दिल्ली... ये सुनते ही गांव-ढाणियों के लोगों के मन में एक ऐसे शहर की तस्वीर उभरती है, जो सारी सुख सुविधाओं से लैस है. जहां एश-ओ-आराम के सारे साधन हैं. देहात के आदमी के जेहन में ये तस्वीर बनना भी लाजमी है, आखिरकार दिल्ली देश की राजधानी जो ठहरी. लेकिन अब दिल्ली में जल संकट गहराया हुआ है. पानी की ऐसी किल्लत है कि लोग टैंकर से एक बाल्टी भरने के लिए रात से ही लाइन लगा लेते हैं. जब सुबह टैंकर आता है तो लोग जान जोखिम में डालकर किसी तरह एक-आध बाल्टी पानी भर पाते हैं. भीषण गर्मी के चलते राष्ट्रीय राजधानी की एक बड़ी आबादी पानी जैसे मूलभूत आवश्यकता के लिए भी तरस रही है. दिल्ली में न सिर्फ राज्य सरकार, बल्कि केंद्र सरकार का भी दखल रहता है. लेकिन लुटियंस दिल्ली की बड़ी-बड़ी कोठियों और बंगलों में रहने वाले नेता-अधिकारी चाणक्यपुरी, न्यू अशोक नगर, चिल्ला गांव और बेगमपुर जैसे दसियों इलाकों की समस्याओं से दूर, बहुत दूर हैं. गर्मी हर साल आती है, पानी की समस्या भी हर साल आती है, नहीं आता तो बस इसका एक स्थायी समाधान.

दिल्ली सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
आप सरकार में मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली के हिस्से का यमुना का पानी रोक दिया है. हरियाणा 1 मई, 2024 से दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं पहुंचा रहा. इसको लेकर दिल्ली की आप सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. दायर याचिका में SC से हरियाणा सरकार को ये निर्देश देने की मांग की गई है कि दिल्ली को ज्यादा पानी दिया जाए, ताकि पानी की किल्लत से जूझ रहे लोगों को राहत मिले.

यमुना समझौता क्या है?
यह पहली बार नहीं जब हरियाणा और दिल्ली के बीच पानी को लेकर विवाद हो रहा है. यह विवाद दशकों से चला आ रहा है. दरअसल, 1954 में हरियाणा और यूपी के बीच में यमुना जल समझौता हुआ था. इसमें हरियाणा को यमुना के जल का 77% हिस्सा दिया गया. जबकि यूपी को 23% हिस्सा मिला. इसके बाद दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश ने भी यमुना के पानी पर अपना दावा ठोका. आखिरकार 1993 में दिल्ली और हरियाणा के बीच समझौता हुआ. तय हुआ कि हरियाणा दिल्ली को मुनक नगर के जरिये पानी देगा. साल 1994 में पांचों राज्यों के बीच समझौता हो गया. समझौते की धारा 7(3) में कहा गया कि जब भी जल की मात्रा अनुमानित मात्रा से कम हो जाए, तो सबसे पहले दिल्ली की पेयजल संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा.

दिल्ली में कितने पानी की कमी 
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की मानें तो राजधानी में को हर रोज 129 करोड़ गैलन पानी चाहिए होता है. लेकिन अब 96.9 करोड़ गैलन ही मिल पा रहा है. करीब 32 करोड़ गैलन पानी की किल्लत के चलते दिल्ली जल संकट से जूझ रही है. बताते चलें की दिल्ली का अपना कोई जल स्त्रोत नहीं है. दिल्ली को हरियाणा, पंजाब या यूपी से पानी लेना पड़ता है. सबसे बड़ा हिस्सा हरियाणा देता है. 

ये भी पढ़ें- 24 घंटे की देरी, बिना AC बैठाया, कई लोग बेहोश... एयर इंडिया की फ्लाइट में यात्रियों का हाल-बेहाल

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़