नई दिल्लीः स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों ने कहा है कि गर्भवती महिला बच्चे को जन्म देने के बाद कभी भी कोविड-19 टीका लगवा सकती है. विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं को भी टीकाकरण की मंजूरी देने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके. सरकार ने स्तनपान कराने वाली मांओं के टीकाकरण को हाल में मंजूरी दी है.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी. के. पॉल ने हाल में स्पष्ट किया था कि बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं का भी टीकाकरण कराया जा सकता है.
नहीं रोकना चाहिए स्तनपान
उन्होंने कहा था, ‘‘इस तरह की खबरें थीं कि टीका लगवाने वाली माताओं को कुछ दिनों के लिए अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराना चाहिए लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि स्तनपान नहीं रोकना चाहिए और इसे जारी रखना चाहिए. किसी भी हालत में एक घंटे के लिए भी स्तनपान नहीं रोका जाना चाहिए.’’
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टीकाकरण के बाद मां से बच्चे को खतरा नहीं
इस बीच, दिल्ली स्थित गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल और विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय में ‘कम्युनिटी मेडिसिन’ विभाग में प्रोफेसर डॉ. खान आमिर मारूफ ने कहा कि टीकाकरण करा चुकी मां के स्तनपान कराने से नवजात शिशु को कोई खतरा नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रसव के बाद टीकाकरण में देरी करने का कोई कारण नहीं है.’’
मासिक धर्म के दौरान भी करा सकते टीकाकरण
उन्होंने कहा कि स्तनपान कराने वाली मां को टीकाकरण के मद्देनजर कोई विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें केवल वे सावधानियां बरतनी हैं, जो आम लोगों को बरतनी चाहिए.
फोर्टिस ला फाम, रोजवॉक अस्पताल और अपोलो क्रैडल रॉयल में वरिष्ठ सलाहकार, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ लवलीना नादिर ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान भी टीकाकरण कराया जा सकता है.
यह भी ध्यान रखना जरूरी
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस से संक्रमित होने का यह अर्थ नहीं है कि प्रसव ऑपरेशन के जरिए ही होगा, लेकिन संक्रमण की वजह से मां के बीमार होने के कारण समय से पूर्व प्रसव और ऑपरेशन के जरिए प्रसव की संभावना बढ़ जाती है.
यदि कोई महिला संक्रमण के बाद ठीक हो चुकी है, तो उसे संक्रमण से उबरने के तीन महीने बाद ही टीकाकरण कराना चाहिए.’’
नादिर ने कहा कि यदि मरीज ने पहली खुराक ले ली है और इसके बाद उसके गर्भवती होने का पता चलता है, तो उसे इसकी वजह से गर्भपात कराने की आवश्यकता नहीं है.
गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की जरूरत
उन्होंने कहा, ‘‘गर्भवती होने से सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने का खतरा बढ़ता नहीं है, लेकिन संक्रमित गर्भवती महिला का उपचार उस महिला की तुलना में जटिल है, जो गर्भवती नहीं है.’’
विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके.
मारूफ ने कहा कि सरकारी दिशा-निर्देशों में गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की अभी कोई सलाह नहीं दी गई है.
गर्भवती महिलाओं पर नहीं हुआ परीक्षण
उन्होंने कहा, ‘‘इसका कारण यह है कि कोविड-19 टीकों का गर्भवती महिलाओं पर परीक्षण नहीं किया गया है और उनकी सुरक्षा एवं टीके के उन पर असरदार होने संबंधी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गाइनकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया ने गर्भवती महिलाओं के भी टीकाकरण की सलाह दी है, क्योंकि इस वैश्विक महामारी में संक्रमित होने और मौत होने का खतरा अधिक है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह खतरा टीकों के दुष्प्रभावों से अधिक खतरनाक प्रतीत होता है.’’
भारत में अभी विचाराधीन विषय
खाद्य और पोषण सुरक्षा गठबंधन (सीएफएनएस), नई दिल्ली के कार्यकारी निदेशक डॉ सुजीत रंजन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशानुसार गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करानी वाली मांओं का भी टीकाकरण हो सकता है, लेकिन भारत में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण अभी विचाराधीन विषय है.
फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गाइनकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष एवं इनफर्टिलिटी सेंटर ऑफ रेनबो आईवीएफ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने भी गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की सलाह दी.
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