Year end 2019: तारीखें लिखती रहीं राजनीति का इतिहास

सरकार के फैसले कितने सफल रहे और कितने असफस, यह विषय तर्क और चर्चा का है, लेकिन जिन तारीखों में यह फैसले लिए गए, नव वर्ष के स्वागत के साथ उन्हें फिर से दोहरा लेना लाजिमी है. डालते हैं एक नजर...

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 3, 2020, 11:10 AM IST
    • पूरे साल की ऐतिहासिक घटनाएं, तारीख के साथ
Year end 2019: तारीखें लिखती रहीं राजनीति का इतिहास

नई दिल्लीः  राजनीति का लब्बोलुआब कुछ ऐसा है कि इतिहास के फेर में पड़ते ही यह विषय तारीखों को मोहताज हो जाता है. लगातार आगे बढ़ता जाता समय अपने पीछे अहम तारीखें गढ़ता जाता है, जो भविष्य में भी बीते हुए की याद संजोई रहती हैं. अच्छी हो या बुरी, तारीखें इनमें कोई भेद नहीं करती हैं. भारत की राजनीति के लिहाज से साल 2019 काफी उलटफेर वाला साल रहा है. इसने मौजूदा सत्ता को मजबूती तो दी ही है साथ ही कई मौकों पर सवालों में भी घेरने की कोशिश की है. 

14 फरवरी 2019 (पुलवामा हमला)
देश का युवा वैलेंटाइन में मशगूल था कि शाम तक खबर आई कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हो गया है. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. पुलवामा हमले के 12 दिन बाद भारत ने बड़ी कार्रवाई की थी.

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकाने को तबाह कर दिया था. 26 फरवरी 2019 की सुबह वायुसेना ने बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादी शिविर पर एयरस्ट्राइक किया. इससे बौखलाए पाकिस्तान ने इसके अगले ही दिन यानी 27 फरवरी को घुसपैठ की कोशिश की. फिर इसके बाद भारतीय विंग कमांडर के पाकिस्तान जाने और फिर 1 मार्च को लौट आने की घटना यादगार बन गई.

27 मार्च 2019 (एंटी-सैटेलाइट मिसाइल रखने वाला भारत चौथा राष्ट्र बना)
भारत ने 27 मार्च को मिशन शक्ति का परीक्षण किया. यह एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण था. इस परीक्षण के बाद भारत दुनिया के उन गिनती के देशों में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता रखते हैं.

भारत के अलावा यह तकनीक केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास है. इससे भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को सुरक्षित रख सकेगा. इसरो और डीआरडीओ के साझा प्रयास से इसे विकसित किया गया है. हालांकि यह घटना वैज्ञानिक प्रयास की है, लेकिन वैश्विक स्तर पर यह भारत की राजनीतिक घटना भी है.

23 मई 2019 (मोदी सरकार की सत्ता में वापसी)
23 मई 2019 को आम चुनाव के परिणाम घोषित हुए. मोदी सरकार ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और सत्ता में वापसी की. आलोचकों का अनुमान था कि भाजपा को 2014 के बजाय कुछ कम सीटें मिलेंगीं, लेकिन मोदी मैजिक ऐसा चला कि पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतकर भाजपा की फिर ने फिर से सरकार बनाई. भाजपा को इस चुनाव में 303 सीटें मिली. पीएम मोदी ने भी इतिहास रचा.

पीएम मोदी, जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे और पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन गए जिन्होंने सत्ता में रहते हुए पूर्ण बहुमत की दोबारा सरकार बनाई. एक राजनीतिक बदलाव का तथ्य यह भी है कि मोदी कैबिनेट में निर्मला सितारमण वित्त मंत्री बनीं और उन्हें इस पद पर देश की पहली महिला होने का गौरव मिला.

23 जुलाई 2019 (चंद्रयान 2 लॉन्च)
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए इस साल की सबसे बड़ी कामयाबी चंद्रयान-2 रहा. चंद्रयान-2 को चांद के साउथ पोल पर लैंड कराना था. इसरो ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 23 जुलाई के दिन चंद्रयान 2 को लॉन्च किया था.

6 सितंबर 2019 को विक्रम लैंडर की साउथ पोल पर हार्ड लैंडिंग हुई. यह मिशन 95 फीसद सफल बताया गया. पूरे विश्व ने भारत और इसरो का लोहा माना.

30 जुलाई 2019 (तीन तलाक पर प्रतिबंध)
30 जुलाई 2019 को तीन तलाक बिल राज्यसभा में पास होने का साथ तीन तलाक पर बैन लग गया. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 2017 में तीन तलाक को निरस्त करने का फैसला सुनाया था. इसे देश में लिए गए एक बड़े सशक्त फैसले के तौर पर लिया गया, साथ ही इसे कांग्रेस के लिए एक सीधी चुनौती भी माना गया.

दरअसल तीन तलाक मामला राजीव गांधी सरकार से जुड़ा माना जाता है. इसे लेकर उनपर लगातार तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे थे. शाहबानो केस तीन तलाक की पहली सीढ़ी थी. देशभर की मुस्लिम महिलाओं ने इस फैसले का स्वागत किया.

5 अगस्त 2019 (जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए निरस्त)
 यह दिन 2019 का सबसे बड़ा राजनीतिक और एतिहासिक दिन बन गया है. आजादी के बाद से ही कश्मीर मसला भारतीय राजनीति के लिए चुनौती और अस्पष्टता का मसला रहा है. चर्चा तो इस पर बहुत हुई, लेकिन कभी कोई उचित निष्कर्ष नहीं निकल सका. लेकिन अगस्त महीने के पांचवे रोज संसद की बहस से इसका निष्कर्ष भी निकला. जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करने का मोदी सरकार ने फैसला लिया.

सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का भी फैसला लिया. 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर दो केंद्रीय शासित प्रदेशों में बंट गया. जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आ गए.

24 अक्टूबर व 23 नवंबर 2019 (हरियाणा-महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम)
24 अक्टूबर को हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित हुआ. महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना को बहुमत मिला इसलिए लग रहा था कि वहां स्थिति स्पष्ट है. इधर हरियाणा में भाजपा को जीत तो मिली, लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर रही. हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा किंग मेकर बन कर उभरी. दो-चार सियासी बैठकों के बाद जजपा ने भाजपा को समर्थन दे दिया और खट्टर सीएम- चौटाला डिप्टीसीएम पर यहां का अध्याय खत्म हुआ. लेकिन जिस महाराष्ट्र में स्थिति क्लियर थी, वहां उलझ गई.

भाजपा-शिवसेना में सरकार बनाने को लेकर बनी नहीं, लेकिन ठन गई. इसके बाद एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना अभी साथ आने की प्लानिंग कर ही रहे थे कि 23 नवंबर की सुबह देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने सीएम-डिप्टीसीएम पद की शपथ ले ली. रातों-रात हुए इस प्रक्रम के खिलाफ शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं. यहां पर कोर्ट ने हस्तक्षेप कर भाजपा का पांसा पलट दिया. इस तरह महीने भर बाद महाराष्ट्र में सरकार बन सकी.

9 नवंबर 2019 (अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला)
भारत की बात हो और धर्म की नहीं तो यह तो नामुमकिन है. सदियों से इस देश की राजनीति के सफर में धार्मिक मामलों ने मील के पत्थरों जैसा काम किया है. करीब 500 साल पुराने और 27 साल से अदालती बहसों में फंसे राम मंदिर मुद्दे पर आखिर पूर्ण विराम लग ही गया. यह सौभाग्य 9 नवंबर 2019 के हिस्से आया.

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने विवादित जमीन को मंदिर के निर्माण के लिए सौंपने का आदेश दिया. कोर्ट ने साथ ही मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही दूसरी जगह मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने को कहा.

11 दिसंबर 2019 (नागरिकता संशोधन विधेयक पर मुहर)
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019, 11 दिसंबर 2019 के दिन राज्यसभा में पास हुआ. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून में बदल गया. इस विधेयक का पास होने के लिए देशभर में प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा. अफवाहों के गर्म बाजारों के बीच नागरिकता संशोधन कानून बन तो गया, लेकिन देशभर स्थिति अराजक हो गई.

असम-त्रिपुरा और मेघालय की साख-संस्कृति बचाने के लिए हो रहा प्रदर्शन देशव्यापी हो गया और इसी बहाने विपक्षी दलों ने भी इसमें राजनीति का तड़का लगाया. बंगाल में जहां इसे अस्मिता का विषय बना दिया गया, वहीं दिल्ली-उत्तर प्रदेश में छवि खराब करने की कोशिश की गई. इन सबके बीच यह तारीख भी इतिहास में दर्ज हो जाएगी.

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