नई दिल्ली. चाहे बाढ़ हो या तूफ़ान, इस साल भी प्रकृति ने अपनी सर्वशक्तिमान उपस्थिति दर्ज कराई और कई अलग अलग रूप में अपना रोष दिखाया.
मई में साइक्लोन फानी
2 मई 2019 को उड़ीसा में हमला बोला इस साइक्लोन फानी नामक तूफ़ान ने. यह मूल रूप से चक्रवाती तूफान था जो पश्चिम बंगाल के समुद्री आकाश से तैयार हो कर उड़ीसा की दिशा में आया था. 180 किमी/घंटे की रफ्तार से चल रही आंधियां ले कर आया था. जगह-जगह पेड़ उखाड़ता हुआ यह तूफ़ान ने पुरी आदि उदासी के तटीय इलाकों में भारी तबाही मचाई और आठ लोगों की जान लेकर वह फिर वहां से पूर्वी तट की तरफ मुड़ गया जहां से फिर पश्चिम बंगाल का रुख कर इसने वहां पूर्वी मिदनापुर जिले में पचासों घर तबाह कर दिए और चार लोगों की जान ले ली. उड़ीसा, बंगाल, बिहार और झारखण्ड सहित चार राज्यों में इस दौरान अलर्ट जारी कर दिया गया था.
अक्टूबर में तितली तूफ़ान
तितली तूफ़ान आया 10 अक्टूबर को और इसकी विभीषिका के केंद्र में पश्चिम बंगाल रहा. बंगाल की खाड़ी से उठे इस तूफान की वजह से कई इलाकों में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया था. इस तूफ़ान की गति 165 किलोमीटर प्रति घंटे की थी और इसकी जद में बंगाल के साथ ही उड़ीसा, आंध्रप्रदेश और केरल भी था. बंगाल से चल कर उड़ीसा और आंध्र प्रदेश पहुंचे इस तूफ़ा ने इन दोनों राज्यों के तटीय इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन पैदा किया. इस तूफान के कारण कच्चे घर, पेड़ और बिजली के खंभे आदि गिरने से कई जगहों में सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गया और रेल सेवाएं भी प्रभावित हुई.
अगस्त में राज्यों की भीषण बाढ़
अगस्त के महीने में केरल, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात आदि 5 राज्यों में आई बाढ़ ने जम कर तबाही का मंजर पैदा किया. महाराष्ट्र और गुजरात में भी बाढ़ की वजह से हालात भयावह बने हुए हैं. नर्मदा नदी में उफान आने से महारष्ट्र और गुजरात के कई इलाके जलमग्न हो गए. गुजरात में गोधरा, सौराष्ट्र और कच्छ के क्षेत्र बुरी तरह बाढ़ की चपेट में आये. बिहार में तो बाढ़ की ये हालत थी कि कई दिनों तक प्रदेश के शहरों में पानी भरा रहा. महाराष्ट्र में बाढ़ से पांच ज़िले प्रभावित हुए जिनमें कोल्हापुर और सांगली में सबसे गंभीर स्थिति रही. कर्नाटक में भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र के इलाक़ों में बाढ़ ने अपनी पैठ बनाई. केरल में केरल में बाढ़ और भूस्खलन से भारी जनधन की हानि हुई. यहां 70 से ज़्यादा लोगों की जान गई और पचास से अधिक लोग लापा हो गए जबकि एक लाख 65 हज़ार लोगों को केरल से निकाल कर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया.
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