नई दिल्ली. भारत की जनता का क्रोध जो शी जिंगपिंग पर है. यह क्रोध उस भारत की जनता के आक्रोंष का वो मुजाहिरा है जिसकी खबर बीजिंग में बैठे हुए चीन के राष्ट्रपति के पास भी पहुंच गई होगी. चीन का राष्ट्रपति जानता है कि भारतीय जनता का क्रोध सिर्फ कोरोना की वजह से नहीं है बल्कि लद्दाख सीमा पर दिखाए गए चीनी तेवरों पर भी कड़ी प्रतिक्रिया का प्रतिबिम्ब है. इसके अतिरिक्त शी जिंगपिंग को ये भी जान लेना चाहिए कि जिस देश की जनता शत्रु राष्ट्र पर कुपित हो जाए, तो उसे नेस्तनाबूद करने के लिए वो जनता ही पर्याप्त होती है, फिर सेना की आवश्यकता इस निमित्त नहीं होती.
चम्पारण में दर्ज हुआ मुकदमा
गाँधी का चम्पारण आज फिर सुर्खियां बना है यहां दुनिया के सबसे बड़े शैतान के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमें की वजह से. भारत में कोरोना वायरस फैलाने के जिम्मेदार चीन को उसकी इस नामुराद साजिश के लिए बिहार के चंपारण में मुकदमा किया गया है. चम्पारण जिले के बेतिया नगर में एक अधिवक्ता ने चीन के राष्ट्रपति और WHO के डायरेक्टर पर CJM कोर्ट में एक आपराधिक प्रकरण दायर किया है. इसकी सुनवाई 16 जून को होनी है. पहले जो चंपारण गांधी जैसे महापुरुष के लिये जाना गया था अब वही शी जिंगपिंग जैसे वैश्विक अपराधी के लिये जाना जायेगा.
मोदी और ट्रम्प को बनाया गया है गवाह
इस मामले को मज़ाक में नहीं लिया जा सकता. इसमें एक वास्तविक और वैश्विक खलनायक को भारत भूमि में हुए कोरोना की सात हज़ार से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार मानते हुए उसे क़ानून की चौखट पर खड़ा किया गया है. ऐसा भारत में भी हुआ है और इसके पहले अमेरिका में भी. भारत में इस प्रकरण में गवाही के लिए प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम दिया गया है.
कई देशों के नागरिकों ने चीन को माना है मुजरिम
अदालत में मामला आया तो CJM कोर्ट ने बाकायदा इस मामले को स्वीकृति प्रदान करते हुए इसकी सुनवाई की तारीख 16 जून की तय कर दी है. जहां ये सब जानते हैं कि भारत में ढाई लाख से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं वहीं दुनिया के कई देशों के लोगों ने भी चीन को इस साजिश के लिए सीधे सीधे कटघरे में खड़ा किया है.
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