नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलिया दूसरे यूरोपियन देशों की तुलना में शांतिपूर्ण देश है. यहां श्रम और प्रतिभा की प्रतिष्ठा है इसी कारण ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता हासिल करने में भारतीय सबसे आगे हैं जबकि चोर देश जैसे कि चीन और पाकिस्तान भी इसी पंक्ति में खड़े दिखाई देते हैं.
पिछले वर्ष अड़तीस हज़ार को नागरिकता
दो लाख से ज्यादा लोगों को पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया ने अपने देश की नागरिकता प्रदान की है. 2019-2020 में इन नए बने ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों में भारत के अड़तीस हज़ार लोग भी शामिल हैं. आंकड़े बताते हैं कि यह संख्या उसके भी पिछले वर्ष भारतीयों को मिली ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता से साठ प्रतिशत अधिक है. इसी तरह दूसरा अहम तथ्य ये भी है कि यह ऑस्ट्रेलिया में किसी भी देश के लोगों को मिली नागरिकता की सबसे बड़ी संख्या है.
ऑस्ट्रेलिया है बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र
भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया भी बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है. और यही बात ऑस्ट्रेलिया के आव्रजन, नागरिकता, प्रवासी सेवा और बहुसांस्कृतिक मामलों के मंत्री एलन टुडगे ने हाल ही में कही है. एलन टुडगे ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के लिए नागरिकता एक अहम विषय है क्योंकि हम मानते हैं कि एक सामाजिक रूप से संयुक्त, बहुसांस्कृतिक राष्ट्र के रूप में उभरने में नागरिकता की महत्वपूर्ण दायित्व निभाती है.
पिछले वर्ष की ऑस्ट्रेलियन नागरिकता
जो दो लाख लोग वर्ष 2019-2020 में ऑस्ट्रेलिया के नए नागरिक बने हैं उनमें कुल 38,209 भारतीय हैं. दूसरे कुछ प्रमुख देशों के जिन लोगों को नागरिकता मिली है उनमें पच्चीस हज़ार ब्रिटिश लोगों को, चौदह हज़ार चीनियों को और लगभग नौ हज़ार पाकिस्तानियों को ऑस्ट्रेलिया ने अपनी नागरिकता प्रदान की है.