नई दिल्ली. दो बातें नज़र आती हैं यहां. एक तो ये कि यह मामला कितना गंभीर है जिस पर मजबूर हो कर इस तरह का तुगलकी फरमान जारी किया है दूरसंचार विभाग ने. दूसरा ये कि दूरसंचार विभाग को भी इस फरमान को जारी करते समय ये पता नहीं होगा कि ऐसा हो पाना असम्भव है और न ही ये सोचा गया होगा कि अगर वास्तव में आदेश का पालन टेलीफोन कंपनियों द्वारा न किया गया तो बदले में किस तरह की कार्रवाई करनी है उसे उन पर..
मामला है बकाया एजीआर का
टेलीकॉम कंपनियों पर नाराज़गी जाहिर करते हुए दूरसंचार विभाग ने उनको एक ही रात में एजीआर बकाया चुकाने का हुक्म दिया है. इस नाराजगी की वजह भी जायज़ है. जब विभाग पर एजीआर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पूछताछ हुई तो उसके पास भी कोई जवाब नहीं था. सुप्रीम फटकार के बाद अब विभाग ने दूरसंचार फटकार लगाई इन टेलीफोन कंपनियों को और फ़टाफ़ट वापस मांग लिए बकाये के पैसे.
भारती एयरटेल & वोडाफोन आइडिया हैं ये कंपनियां
1.47 लाख करोड़ रुपये मामूली रकम नहीं है. एक रात में किस तरह इसकी व्यवस्था हो पाएगी और किस तरह इसे चुकाया जाएगा, इस पर दूरसंचार विभाग ने विचार नहीं किया. अब वह चाहता है कि ये दोनों बड़ी कंपनियां एक रात में सारा बकाया चुका दें.
रात 11.59 तक का समय था चुकाने का
अपने सख्त फैसले में बकाया चुकाने की जो मोहलत डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने इन दोनों बड़ी दूरसंचार कंपनियों को दी थी उसके अनुसार इन कंपनियों को कहा गया कि शुक्रवार 14 फरवरी की रात बारह बजे के पहले तक वे एजीआर की बकाया रकम 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान कर दें. इस आर्थिक राशि में 92642 करोड़ लाइसेंस फीस के हैं और बकाया 55054 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम फीस है.
ये भी पढ़ें. अस्तित्व के खात्मे की तरफ धीरे-धीरे बढ़ रहा है यूरोप का यह समृद्ध देश