जोड़ियां भले स्वर्ग में बनती हैं, लेकिन टूटती धरती पर हैंः सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि दो दशक तक पति-पत्नी खुशहाल जीवन नहीं बिता सके तो बेहतर है कि वे अलग-अलग रहकर अपने जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाएं. अच्छे जीवन की उम्मीद उम्र के किसी भी पड़ाव में की जा सकती है.दंपती की शादी अप्रैल, 2000 में हिंदू रीति-रिवाज के साथ जालंधर में हुई थी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 21, 2019, 03:57 AM IST
जोड़ियां भले स्वर्ग में बनती हैं, लेकिन टूटती धरती पर हैंः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं लेकिन टूटती धरती पर हैं. दो दशक से पति-पत्नी के बीच जारी तनाव और द्वेष को समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर महिला के एतराज के बावजूद दंपती के वैवाहिक संबंध को हमेशा के लिए खत्म कर दिया. कोर्ट ने कहा कि दंपती साथ-साथ नहीं तो अलग रहकर खुशहाल रह सकते हैं. बेहतर जीवन की हर वक्त संभावना रहती है.


जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने दंपती के वैवाहिक संबंध को खत्म करते हुए दोनों को अपने हिसाब से जीवन जीने की इजाजत दे दी है. पीठ ने पाया कि पति-पत्नी के बीच सिर्फ और सिर्फ कड़वी यादें हैं और सही मायने में दोनों साथ रहने के लिए तैयार नहीं है. महिला ने साथ रहने की इच्छा जताई थी लेकिन उनके बीच कड़वाहट इस कदर है कि महिला पति से तलाक लेकर उसे अपनी जिंदगी तक जीने नहीं देना चाहती. 

पीठ ने कहा कि दो दशक तक पति-पत्नी खुशहाल जीवन नहीं बिता सके तो बेहतर है कि वे अलग-अलग रहकर अपने जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाएं. अच्छे जीवन की उम्मीद उम्र के किसी भी पड़ाव में की जा सकती है.

वैवाहिक संबंध में सुधार की उम्मीद न के बराबर होना, तलाक का आधार नहीं
पीठ ने कहा कि देश में वैवाहिक संबंध में सुधार होने की गुंजाइश न के बराबर होना, तलाक का आधार नहीं है. विधि आयोग में इस मसले पर बहस भी हुई लेकिन अब तक इस आधार को तलाक कानून का हिस्सा नहीं बनाया गया. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत मिले विशेषाधिकार (अनुच्छेद-142) का इस्तेमाल कर पति-पत्नी के बीच रिश्ते सुधरने की रत्ती भर भी गुंजाइश न देखते को पति की तलाक याचिका स्वीकार कर ली. पीठ ने कहा कि कई बार दोनों के रिश्ते सुधारने की कोशिश की गई लेकिन वह बेनतीजा रही.

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2000 में जालंधर में हुई थी शादी
दंपती की शादी अप्रैल, 2000 में हिंदू रीति-रिवाज के साथ जालंधर में हुई थी. पत्नी के परिजन कनाडा में रहते थे. दोनों कभी भी दो महीने से अधिक निरंतर साथ-साथ नहीं रहे. करीब एक वर्ष बाद पत्नी वापस कनाडा चली गई. करीब सवा साल तक वह भारत वापस नहीं लौटी. इसके पहले ही वह कनाडा की नागरिकता ले चुकी थी. इसके बाद दोनों के बीच कड़वाहट बढ़ती गई और दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए थे.

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