ओज़ोन लेयर का बंद हो जाना भी एक राज़ है

क्या ये मुमकिन है कि आसमानी ओज़ोन लेयर जो बरसों के बाद टूटी और उसमे छेद हुए अब अचानक कुछ ही महीनो में ये छेद भर कैसे गया ?     

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 2, 2020, 12:40 PM IST
    • अप्रेल में वैज्ञानिकों ने पाया कि ओज़ोन लेयर का छेद भर चुका है
    • मार्च से अप्रैल के बीच हुई ये हैरतअंगेज़ घटना
    • ओज़ोन लेयर अल्ट्रावायलेट विकिरण से पृथ्वी को बचाने में मददगार है
    • लॉकडाउन से नहीं भरा है ये छेद
ओज़ोन लेयर का बंद हो जाना भी एक राज़ है

नई दिल्ली.  अजीब सी बात लगती है कि चंद महीनो में आसमान में वो छेद भर गया जिसको बनने में बरसों या दशकों का वक्त नहीं बल्कि सैकड़ों सालों का वक्त लगा था. अचानक क्या हुआ ऐसा कि कुछ ही महीनो में ओजोन परत में हुआ सबसे बड़ा छेद भर गया.  आखिर क्या है इसका राज़?

 

मार्च से अप्रैल के बीच हुई ये हैरतअंगेज़ घटना 

खगोलीय घटनाओं के अध्ययन में जुटे कोपरनिकस एटमॉस्फेयर मॉनिटरिंग सर्विस के वैज्ञानिकों ने मार्च में आकाश में एक अजीब सी बात देखि. उनको आर्कटिक क्षेत्र के ऊपर एक बड़ा खाली स्थान दिखाई दिया. आकाशीय परदे पर अब तक इतना बड़ा कटाव उन्होने पहले कभी नहीं देखा था. ये कटाव कुछ ही दिनों में एक बड़े से छेद में बदल गई. ये छेद इतना बड़ा था कि इसका आकार लगभग ग्रीनलैंड के बराबर था. लेकिन  अप्रेल में कमाल हो गया और सीएएमएस के ट्वीट से दुनिया को पता चला कि अब ये छेद दूर दूर तक कहीं नहीं नजर आ रहा है.

ओज़ोन लेयर मददगार है दुनिया के लिये

सारी दुनिया में अफसोस तो काफी था कि आकाशीय ओज़ोन लेयर में छेद हो गया है और यह छेद लगातार चौड़ा होता जा रहा है. इसको बन्द कैसे किया जाये इस पर वैचारिक स्तर पर तो कुछ कार्य किया गया किन्तु व्यवहारिक स्तर पर पर्याप्त से काफी कम प्रयास भी ढंग से नहीं हुआ. ऐसे में ये मान कर चला जा रहा था कि ओज़ोन लेयर के छेद का कुछ नहीं किया जा सकता. ये लेयर पृथ्वी को सूरज की हानिकारक किरणों से आवश्यक सुरक्षा उपलब्ध कराती है. सूर्य से उत्सर्जित अल्ट्रावायलेट विकिरण से पृथ्वी को बचाने में ये लेयर काफी मददगार है.

 

 

लॉकडाउन से नहीं भरा है ये छेद

सीएएमएस के ट्वीट से दुनिया को पता चला कि आर्कटिक के ऊपर ओजोन लेयर के छेद के भर जाने का  कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से कोई लेनादेना  नहीं है. ये छेद बेहद सशक्त और असाधारण वायु तथा दीर्घकाल में बने पोलर वोर्टेक्स के कारण हुआ था. ट्वीट के माध्यम से वैज्ञानिकों ने बताया कि ओजोन लेयर में हुआ बड़ा छेद ओजोन में आ रही भारी कमी की  समस्या का एक लक्षण है.  इसका का बंद होना केवल वार्षिक चक्र के कारण संभव हुआ है किन्तु इसे स्थायी इलाज नहीं माना जा सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि वे आशा कर  रहे हैं कि ओजोन परत में सुधार आ रहा है जो आगे चल कर इस छेद का स्थायी उपचार बन सकता है.

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