नई दिल्ली. यदि ऐसा होने जा रहा है तो ये अच्छा कदम उठाया जा रहा है सरकार द्वारा. क्योंकि भगवान न करे दिल्ली में और देश में भी अब आगे कोरोना मौतें हों. कोरोना मौत के बाद मरीज के शरीर के अंतिम संस्कार में देश के किसी भी श्मशानघाट में समस्या आ सकती है. इसलिए यदि इस दिशा में सरकार द्वारा एक मार्गदर्शिका तय कर दी जायेगी तो ये आगे परेशानियां पैदा नहीं होने देगी.
निगम बोध घाट पर हुआ विवाद
कोरोना ने अपनी दहशत की जद में अंतिम संस्कार के स्थलों को भी ले लिया है. दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में कोरोना की अधेड़ महिला की मृत्यु के बाद निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार के पहले एक विवाद पैदा हुआ. चूंकि यह ऐसा प्रथम मामला था इसलिए कोरोना के संक्रमण से अंतिम संस्कार की विधि-विधान में समस्या पैदा हो रही थी. इस विवाद के कारण अंतिम संस्कार में दो घंटे लग गए.
जागरूकता फैलाने हेतु गाइडलाइन
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कि अंतिम संस्कार के दौरान शव को सम्हालने से कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना नहीं है. फिर भी लोगों के मन से इस डर और संबंधित गलतफहमियां निकालने के लिए एक गाइडलाइन लाने के बारे में सोचा जा रहा है जो आमजनों के लिए कोरोना संक्रमण संबंधी जागरूकता बढ़ाने का काम करेगी.
क्या हुआ था विवाद
कोरोना पीड़िता की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए परिजन एवं मेडिकल अधिकारी पूरी सुरक्षा व्यवस्था रख कर शव को लेकर निगम बोध घाट पहुंचे. किन्तु निगम बोध घाट की संचालन समिति का कहना था कि सीएनजी से दाह संस्कार होने पर वायरस फैल सकता है, इसलिए सावधानी के लिहाज़ से आप शव को अंतिम संस्कार के लिए लोधी रोड स्थित इलेक्ट्रिक श्मशान घाट ले जाएं. विवाद बढ़ने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया तथा श्मशान घाट प्रशासन को तुरंत अंतिम संस्कार करने के निर्देश दिए. इसके बाद ही सीएनजी से अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ.
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