Bahuda Yatra Rathyatra 2021: भगवान जगन्नाथ जब रथयात्रा पर अपने भाई व बहन के साथ जाते हैं तो इस बात से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. फिर भगवान कैसे आम लोगों की तरह अपनी पत्नी को मनाते हैं यह बहुत दिलचस्प कथा है.
Bahuda Yatra Rathyatra 2021: 12 जुलाई को आषाढ़ द्वितीया के मौके पर पुरी में विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई. इस दौरान भगवान अपने भाई-बहन के साथ गुंडीचा मौसी के घर पहुंचते हैं. कोरोना के कारण इस मौके पर आमजन को रथयात्रा देखने की अनुमति नहीं थी, इसके साथ ही छतों पर भी लोगों का ठहरना और रुकना वर्जित किया गया था. इस पूरे दौरान पुरी में कर्फ्यू लागू रहा. भगवान जगन्नाथ 9 दिन की य़ात्रा के बाद घर वापस लौटते हैं जिसे बाहुदा रथ यात्रा कहते हैं. लेकिन इससे ठीक पहले देवी लक्ष्मी उनसे नाराज हो जाती हैं.
Bahuda Yatra Rathyatra 2021: भाई बहन के साथ रत्न वेदी से जन्म वेदी के लिए 9 दिवसीय गुंडिचा यात्रा पर निकले महाप्रभु जगन्नाथ जी की मंगलवार को रत्न वेदी के लिए वापसी होगी, जिसे स्थानीय भाषा में बाहुदा यात्रा कहा जाता है. रथयात्रा की ही तरह महाप्रभु की बाहुदा यात्रा होती है. ऐसे में महाप्रभु की बाहुदा यात्रा को लेकर पुरी जिला प्रशासन से लेकर जगन्नाथ मंदिर प्रशासन तक हर कोई तैयारी में लग गया है. घोष यात्रा की ही तरह रात सोमवार रात 8 बजे से 21 जुलाई बुधवार रात 8 बजे तक पुरी शहर में कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया गया है. शहर में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने के लिए 20 विशेष स्क्वाड का गठन किया गया है. नियम का उल्लंघन कर पुरी शहर में प्रवेश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की जानकारी पुरी के एसपी कुंवर विशाल सिंह ने दी है.
Bahuda Yatra Rathyatra 2021: रथयात्रा की ही तरह महाप्रभु की बाहुदा यात्रा को सम्पन्न कराने के लिए सभी प्रकार की सतर्कता बरती जा रही है. रथ खींचने का कार्य समय से शुरू हो इसके लिए जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से सभी प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं. इस संदर्भ में पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की एक उच्चस्तरीय तैयारी बैठक भी की गई है. जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक किशन कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में महाप्रभु की बाहुड़ा यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराने पर बल दिया गया है.
Bahuda Yatra Rathyatra 2021: जगन्नाथ पुरी में रथयात्रा उत्सव के दौरान कई सारी परंपराएं निभाई जा रही हैं. इन्हीं परंपराओं में से हेरा पंचमी निभाई जाती है. इस परंपरा के अनुसार माता लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ से भेंट करने आती हैं लेकिन द्वारपाल मंदिर का दरवाजा बंद कर देते हैं. इससे नाराज होकर लक्ष्मी जी भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया तोड़कर पुरी के हेरा गोहिरी साही में बने अपने मंदिर में वापस लौट जाती हैं. यहां वह एकांतवास में निवास करने लगती हैं. इसके बाद भगवान जगन्नाथ उन्हें मनानी जाती हैं.
Bahuda Yatra Rathyatra 2021: जब जगन्नाथ जी को इस बारे में पता चलता है तो वो लक्ष्मी जी को मनाने के लिए कई तरह की बेशकीमती भेंट और मिठाई लेकर उनके मंदिर पहुंचते हैं. इस परंपरा में भगवान जगन्नाथ विशेष रूप से रसगुल्ले माता लक्ष्मी के लिए ले जाते हैं. आखिरकार बहुत कोशिश करने के बाद जगन्नाथ जी माता लक्ष्मी को मनाने में कामयाब हो जाते हैं. उस दिन को विजया दशमी के रूप में मनाते हैं, इसके बाद रथ यात्रा की वापसी को बोहतड़ी गोंचा के नाम से जश्न मनाते हैं. पूरे 9 दिन बाद भगवान जगन्नाथ अपने मंदिर के लिए लौट जाते हैं.